परिजनों ने सीएमओ से की शिकायत..
बिलासपुर,11 जून 2025 (ए)। शहर के प्रतिष्ठित अपोलो हॉस्पिटल पर इलाज में घोर लापरवाही का सनसनीखेज आरोप लगा है. परिजनों का दावा है कि अस्पताल में दी गई दवा के बाद एक मरीज लकवाग्रस्त हो गया है और अब बिस्तर से उठने में भी असमर्थ है. इस गंभीर मामले को लेकर आक्रोशित परिजनों ने सीधे मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी से शिकायत की है, जिससे अस्पताल प्रबंधन सवालों के घेरे में आ गया है।
कोरबा जिले के रजगामार निवासी वेदराम पटेल एसईसीएल के रिटायर्ड कर्मचारी को करीब 10 दिन पहले अपोलो में भर्ती कराया गया था। तब उन्हें किडनी की बीमारी बताई गई और डायलिसिस कराया गया।
परिजन का आरोप है कि डायलिसिस के बाद उनकी तबीयत ठीक थी, जिसके बाद हाथ में स्थूला बना, जिसके इलाज में उन्हें दवाई का ओवरडोज दिया गया, जिससे उनकी तबीयत बिगड़ गई। अपोलो अस्पताल के डॉक्टर मरीज के साथ प्रेक्टिस कर रहे हैं। अब उन्हें दूसरे अस्पताल में रेफर कर दिया गया है।
मरीज के बेटे राजकुमार का आरोप है कि पिता की तबीयत 31 मई को बिगड़ गई, जिस पर उन्हें अपोलो अस्पताल लेकर आए। यहां जांच के बाद उनके किडनी की परेशानी बताई गई और डायलिसिस के लिए भर्ती किया गया। शनिवार को डायलिसिस के बाद उनकी तबीयत में सुधार हुआ। चार जून को उनके हाथ में स्थूला बन गया, जिसके बाद उन्हें एनेस्थिसिया का डोज दिया गया। जिसके बाद नींद की गोली दी गई। जिसके बाद उनकी तबीतय बिगड़ने लगी। जिस पर परिजन ने किडनी रोग विशेषज्ञ डॉक्टर विनय कुमार को फोन किया। लेकिन, डॉक्टर ने हालत में सुधार होने का दावा किया और मामला को छिपाने के लिए उन्हें डिस्चार्ज किया जा रहा था।
परिजन का आरोप ओवरडोज से बिगड़ी हालत मरीज के बेटे राजकुमार पटेल ने आरोप लगाया कि डायलिसिस के बाद उन्हें नींद की गोली का ओवरडोज दिया गया है, जिससे उनकी तबीयत बिगड़ने लगी। अपनी लापरवाही छिपाने के लिए अपोलो प्रबंधन ने उन्हें डिस्चार्ज करने का दावा किया। लेकिन, उनकी हालत में सुधार नहीं हुआ। अब परिजन उसे लेकर दूसरे अस्पताल जा रहे हैं।
परिजनों ने इलाज में लापरवाही बरतने का आरोप लगाते हुए सीएमएचओ से शिकायत की है।इस पूरे प्रकरण पर सीएमएचओ डॉ. सुरेश तिवारी ने संज्ञान लिया है।
उन्होंने बताया कि मरीज के परिजनों ने अपोलो अस्पताल प्रबंधन पर इलाज में लापरवाही और दवा का ओवरडोज देने का आरोप लगाया है।
सीएमएचओ ने आश्वस्त किया है कि इस शिकायत पर गंभीरता से जांच की जाएगी। जांच के आधार पर ही आगे की कार्रवाई तय की जाएगी, जिससे यह स्पष्ट हो सकेगा कि क्या वाकई अस्पताल की लापरवाही से मरीज की यह हालत हुई है।
