- भैयाथान तहसील में पदस्थ रहते हुए विवादित मामले का निपटारा करते हुए प्रतिफल अनुसार 30 डिसमिल जमीन अपने पत्नी के नाम खरीदने का लगा आरोप
- संजय राठौर तहसीलदार कोई भी काम बिना मुनाफा के नहीं करते…मुनाफा भी लाखों में नहीं कई लाखों में होता है…
- तहसीलदार संजय राठौर के विरुद्ध विभागीय जांच करने की रही मांग सबसे भ्रष्ट अधिकारियों में हो चुके हैं सुमार
- भैयाथान तहसील कार्यालय से हटकर सरगुजा कमिश्नर से टीम गठित कर जांच करने की उठ रही मांग…
- तहसीलदार संजय राठौर का एक और कारनामा उजागर,कलेक्टर जनदर्शन में हुई शिकायत
- एक तरफा बंटवारा करने बदले बेस कीमती जमीन अपनी पत्नी के नाम करवाया
- जिस तहसील कार्यालय में पदस्थ होते हैं उसी तहसील कार्यालय के आसपास काफी कीमती जमीन अपने पत्नी के नाम कर लेते हैं,वह भी कौडि़यों के भाव कैसे?

-शमरोज खान-
सुरजपुर,11 जून 2025 (घटती-घटना)। गजब तहसीलदार हैं संजय राठौर इस समय काफी ट्रेंड कर रहे हैं अपने कारनामों की वजह से, कारनामें भी इतने विचित्र हैं की सुनने वाले भी इन्हें सबसे भ्रष्ट तहसीलदार मान रहे हैं, इनकी विभागीय जांच जल्द से जल्द बैठने की मांग करने लगे हैं, जहां पर भी यह विवादित मामला होता है वहां पर यह गलत व्यक्ति के पक्ष में न्याय देकर उसे व्यक्ति से प्रतिफल स्वरूप काफी कीमती जमीन अपने पत्नी के नाम कर लेते हैं, उसकी रजिस्ट्री होने के में जो दर लिखा होता है उसे देखकर लोग आश्चर्यचकित हो जाते हैं, लगभग 189500 लाख रुपए में कई लाख की जमीन व खरीद लेते हैं, अब इतनी सस्ती जमीन पूरे देश में कहीं नहीं मिल रही होगी जितनी सस्ती जमीन तहसीलदार साहब ने अपनी पत्नी के नाम खरीदी है? यह एक बड़ा जांच का मामला खड़ा हो गया है ऐसे मामले आ गए हैं जिसमें फर्जी तरीके से बटवारा करके इन्होंने अपनी पत्नी के नाम जमीन करवाया है,दो अलग-अलग प्रार्थियों ने इसकी शिकायत जनदर्शन में दी है, जिसके बाद अब यह मामला विभागीय हो गया है और राजस्व के लिए यह काफी चर्चित मामला हो गया है, इस मामले में जल्द से जल्द सरगुजा कमिश्नर,सूरजपुर कलेक्टर सहित राजस्व मंत्री व राज्यव सचिव को संज्ञान लेने वाली बात आ गई है, आखिर इसके पीछे की सच्चाई क्या है यह जानना भी अब जरूरी हो गया है,क्योंकि जिस तहसील कार्यालय में पदस्थ है उसी तहसील कार्यालय के अगल-बगल की जमीन व अपने पत्नी के नाम कर रहे हैं और उसे खरीदना बता रहे हैं, खरीदने का जो रकम है वह इतना काम है कि इतनी कम वाली जमीन शायद ही कोई आज तक खरीदा होगा, जिस जमीन को इन्होंने खरीदा है उसकी कीमत लगभग 2 लाख रूपए डिसमिल से अधिक है पर इन्होंने पूरी जमीन को ही 189500 में खरीद लिया है ऐसा पीडि़त का आरोप है,अब सीधे-सीधे आप पर जांच ना करें तो फिर प्रशासन व वर्तमान सरकार की कार्यप्रणाली पर तो सवाल उठेंगे ही, इसीलिए अपने आप को पाक साफ बताने के लिए प्रशासन को इस मामले में निष्पक्ष जांच करना अत्यंत आवश्यक हो गया।
उच्च न्यायालय से भी नहीं डरते हैं तहसीलदार साहब
वहीं इस मामले को लेकर स्थानीय लोगों का भी कहना है की तहसीलदार संजय राठौर के हौसले इतने बुलंद हैं कि माननीय उच्च न्यायालय बिलासपुर में बंटवारा प्रकरण लम्बित होने की स्थिति में भी उनके द्वारा एक तरफा फर्द बंटवारा किया गया जिससे स्पष्ट प्रतीत होता है कि साहब को उच्च न्यायालय की अवमानना का भी तनिक भी भय नहीं है, न्यायालय को उन्होंने अपने घर की खेती बना लिया है जब मन किया बोया जब मन किया काटा।
तहसीलदार सहित सभी पर कार्यवाही करने की मांग
आवेदकों ने जिलाधीश महोदय को सम्पूर्ण प्रमाण देते हुये इस एकतरफा बंटवारा को निरस्त करते हुये तहसीलदार संजय राठौर सहित विरेन्द्र दुबे, देवीप्रसाद दुबे, शिवम दुबे, देवचन्द्र व इसमें संलिप्त अन्यों पर आपराधिक प्रकरण दर्ज कराने की मांग की है, वहीं अब इस मामले में कुछ बुद्धजीवियों का यह भी कहना है कि जिले के कलेक्टर बहुत ही संवेदनशील है जो आमजनता के समस्याओं के समाधान करने सदैव तत्पर रहते है उनके संज्ञान में मामला आया है तो इस मामले में भी दोषियों पर अवश्य ही कठोर कार्यवाही होगी।
30 डिसमिल जमीन 189500 में तहसीलदार अपने पत्नी के नाम ख़रीदा
तहसीलदार संजय राठौड़ ने 30 डिसमिल जमीन 189500 में खरीद जिसके बाद यह सवाल उठने लगा कि आखिर इतनी सस्ती जमीन कहां मिल रही है? जबकि जिस जमीन को उन्होंने खरीदा है वह जमीन बेस कीमती है उस जमीन का बाजार भाव तकरीबन 2 लाख से ऊपर का बताया जा रहा है ऐसे में 189500 में जमीन को खरीद कर क्या तहसीलदार ने यह बता दिया कि वह जमीन पानी के भाव थी आखिर इतनी सस्ती जमीन क्या भारत के भैयाथान क्षेत्र में ही मिलती है? यदि जमीन के दाम की बात की जाए तो 6316 डिसमिल में यह जमीन खरीदी गई है इस रेट को देखकर शायद कलेक्टर भी अपना माथा पकड़ ले।
क्या उच्च न्यायालय से ऊपर है भैयाथान के तहसीलदार साहब?
भैयाथान तहसील कार्यालय इन दिन सुर्खियों में छाया हुआ है जिसके मुख्य किरदार तहसील कार्यालय में विद्यमान तहसीलदार साहब और उनके कुछ विश्वसनीय भूमि दलाल है जो कि अपने स्वार्थों की पूर्ति के लिए भोले भाले भूमि स्वामियों को रातों रात भूमिहीन कर देते है। सामूहिक खाते के हिस्से की जमीन से हिस्सेदारों का नाम गायब कर फर्द बंटवारा करके अपने विश्वसनीय भूमि दलालों व अपनी पत्नी के नाम जमीन करा लेते हैं। ऐसा ही एक मामला सामने आया है जिसमें कलेक्टर जनदर्शन में आया है जिसमें भी वर्तमान में सर्वाधिक विवादास्पद तहसीलदार संजय राठौर का नाम जुड़ा हुआ है,जिस मामले को लेकर जिला के आला आधिकारी भी सकते में आ गए है और अपने अधीनस्थ अधिकारी के कारनामों के बारे में कुछ भी बोलने में असहज लग रहे है, कलेक्टर जनदर्शन में महेन्द्र दुबे,सतीश दुबे,रविशंकर दुबे,राजेश दुबे ,रामकृपाल दुबे ने तहसीलदार संजय राठौर और अन्यों पर इतने गम्भीर आरोप प्रमाण सहित लगाये हैं जिससे जिला प्रशासन भी सकते में आ गया है। आवेदकों ने अपने आवेदन में उल्लेख किया है कि उनकी सम्मिलात खाते की भूमि ग्राम कोयलारी,तहसील भैयाथान,जिला सूरजपुर में स्थित है और इसके बंटवारा विषयक प्रकरण माननीय उच्च न्यायालय बिलासपुर में विचाराधीन हैं,इसके बावजूद भी तहसीलदार संजय राठौर ने बहुमूल्य भूमि के लालच में एक कथित आपसी समझौता के आधार पर और उसमें भी कुछ के फर्जी हस्ताक्षर, फर्जी पता दिखाकर अपने चहेतों को अधिक भूमि लाभ देते हुये उनके पक्ष में एकतरफा बंटवारा आदेश दे दिया, और बदले में पुरुस्कार स्वरूप तीस डिसमिल भूमि अपनी पत्नि शारदा राठौर के नाम अन्तिम आदेश दिनांक 07-03-2025 से पूर्व ही 05-02 -2025 को रजिस्टर्ड विक्रय पत्र के माध्यम से प्राप्त कर ली, इसके बाद यह सवाल उठने लगा कि क्या तहसीलदार साहब उच्च न्यायालय से भी ऊपर हो गए हैं उन्हें उच्च न्यायालय का भी डर नहीं है क्या उन्होंने उच्च न्यायालय की अवहेलना की है?
उन व्यक्तियों का भी हस्ताक्षर करवा लिया है जो सम्मिलित खाता में नहीं है जिनका कोई अधिकार नहीं
आवेदकों ने बंशवृक्ष लगाया है जिसमें उल्लेख किया है जिस भूमि का यह मामला है वह भूमि क्षेत्र के गणमान्य विद्वत ब्राह्मण पण्डित बालगोविन्द दुबे के वंशजों की है जिसके वास्तविक उत्तराधिकारियों को सूचना तक नहीं दी गई, सहमति लेना तो बहुत ही दूरगामी विषय है वहीं आवेदकों ने अपने आवेदन में यह भी लिखा है की कुछ उत्तराधिकारियों के फर्जी पता सहित फर्जी हस्ताक्षर संजय राठौर के विश्वसनीय दलाल ने किया है साथ ही यह भी आरोप लगाया है की फर्द बंटवारा में उन व्यक्तियों के भी हस्ताक्षर हैं जो न इस सम्मिलात भूमि के खातेदार हैं,न ही हकदार, सम्मिलात खाते सम्बन्धित दो प्रकरण माननीय उच्च न्यायालय बिलासपुर में विचाराधीन हैं जिसमें पक्षकार महेन्द्र दुबे वगैरह प्रति गंगा देवी वगैरह के प्रमुख पक्षकार महेन्द्र दुबे सहित उनके भाईयों को इस बंटवारा में सम्मिलित करना संजय राठौर ने उचित नहीं समझा और न ही उन्हें एक इंच भूमि ही इस बंटवारा में दिया है, आवेदन में लिखा है कि विरेन्द्र दुबे,देवीप्रसाद दुबे ,शिवम दुबे सहित अन्यों को एकतरफा भूमि लाभ देकर देवचन्द दुबे के सहयोग से प्रकरण के अन्तिम आदेश देने से पूर्व प्रकरण के विचाराधीन स्थिति में रहते हुए तीस डिसमिल भूमि शारदा राठौर के नाम प्राप्त करने के बाद ही संजय राठौर ने अन्तिम आदेश दिया ।बंटवारा का अन्तिम आदेश 07/03/2025 को होता है और उससे पूर्व ही 05/02/2025 को सम्मिलात खाते की ही भूमि जिसका खसरा नम्बर 19/1 है उसमें से तीस डिसमिल भूमि अपनी पत्नी शारदा राठौर के नाम से रजिस्ट्री करा लेते हैं, एकतरफा बंटवारा प्रकरण में लाभप्राप्ति पश्चात ही वे रिकार्ड दुरुस्ती का ज्ञापन देते हैं।
तहसीलदार ने दो जगह पर जमीन खरीदी वह भी अपने पत्नी के नाम…दोनों पर शिकायत हुई पर अभी तक हटाए नहीं गए
तहसीलदार द्वारा अपनी पत्नी के नाम दो जगह पर जमीन खरीदा गया है और यह दोनों जमीन इनके न्यायालय के विवादित प्रकरण से जुड़ा हुआ है, जिसकी एवज में उन्हें जमीन प्रतिफल स्वरूप मिला है ऐसा शिकायतकर्ताओं का दावा है यही वजह है कि शिकायतकर्ता उन्हें हटाकर इस मामले की निष्पक्ष जांच चाह रहे हैं अब देखना यह है कि उच्च अधिकारी इस पर निष्पक्ष जांच कर पाते हैं या फिर यह मोदी जैकेट के शौकीन तहसीलदार यह सब मामलों से बच निकलते हैं?
रजिस्ट्री के तुरंत बाद उसी दिन हुआ नामांतरण
यदि आम आदमी जमीन खरीदता है तो उसके नामांतरण में दिन क्या महीने लग जाते हैं, पर वही जब तहसीलदार को अपनी पत्नी के नाम जमीन ख़रीदा तो यह जमीन एक दिन में ही उनके नाम हो गई, आखिर अपने पावर का उपयोग उन्होंने कैसा किया? अब इस बात से आप अंदाजा लगा सकते हैं अपने पावर का दुरुपयोग ही इन्होंने किया है यह कहना गलत नहीं होगा। क्या भैयाथान तहसीलदार बनते उनके हाथ जैकपोट लगा गया, आखिर यह जमीन जो खरीदी गई इतनी कम पैसे में खरदी गई है की रजिस्ट्री में देखा जा सकता है, क्या इसका दर इसलिए कम किया गया है ताकि नगद भुगतान दिखा सके या फिर वह भी इन्हें उपहार में मिली रही? लोगों का कहना है कि तहसीलदार साहब सभी को ऐसे जमीन बताएं जो 6 हजार 300 रूपए डिसमिल में लोगों को मिल जाए।
क्या जहां-जहां पर राजस्व के तहसीलदार,पटवारी व आरआई पदस्थ होगे वहां-वहां व जमीन खरीदेंगे…या फिर प्रकरण को प्रभावित करके जमीन उपहार में पाएंगे?
क्या राजस्व विभाग के तहसीलदार, पटवारी, आरआई जहां भी पदस्थ होंगे वहां पर यह जमीन खरीदेंगे या फिर वहां पर पदस्थ रहते हुए अवैध तरीके से जमीन अर्जित करेंगे? क्योंकि अब यह सवाल इसलिए उत्पन्न हो रहा है क्योंकि जो आरोप तहसीलदार पर लगे हैं वह कुछ इसी और इशारा कर रहे हैं, और ऐसे कई उदाहरण है जो यह बताते हैं कि जहां-जहां पर आरआई पटवारी व तहसीलदार पदस्थ हुए हैं वहां वहां पर वह जमीन बनाने का प्रयास किए हैं यानी की संपत्ति अपनी एक तैयार की है।
तहसीलदार साहब ने किसी प्रकरण के बाद 30 डिसमिल जमीन अपने पत्नी के नाम करवाया?
तहसीलदार साहब जहां-जहां पर फैसला सुनाते हैं वहां वहां पर जमीन अपने नाम कर लेते हैं ऐसा शिकायतकर्ताओं का आरोप है 30 डिसमिल जमीन उन्होंने अपने पत्नी के नाम करवाया कुल मिलाकर भैयाथान तहसील कार्यालय में रहते हुए, इस बारे में कोईलारी गांव से उक्त भूमि संबंधी जानकारी चाही तो पता चला की 19/1 जिसमें तहसीलदार साहब ने अपनी पत्नी के नाम 30 डिसमिल जमीन ली है वह भैयाथान पटना मुख्य मार्ग से लगा हुआ है और जिसका बाजार मूल्य लगभग एक लाख रुपए डिसमिल है। फर्द बंटवारा प्रपत्र को भी लेकर आवेदकों ने तहसीलदार साहब पर आरोप लगाते हुए बताया है कि फर्द बंटवारा सीट पर वास्तविक खातेदारों के हस्ताक्षर ही नहीं हैं और जो है वह भी फर्जी हस्ताक्षर हैं वहीं साथ में यह भी लिखा है की तहसील कार्यालय के ऑर्डर शीट और फर्द बंटवारा में देवचंद दुबे, त्रिनेत्र दुबे, उपेंद्र का सहमति में हस्ताक्षर लेकर फर्द बंटवारा किया गया है जो कि संबंधित जमीनों के खातेदार ही नहीं है और न ही हकदार है। तहसीलदार भैयाथान पर आरोप लगाते हुए यह भी उल्लेख किया है कि विधिक नियमों की धज्जियां उड़ा कर फौत हो चुके खातेदारों किशुन राम दुबे व ओंकार नाथ दुबे की मृत्यु का उल्लेख किये बिना ही तथा उनके वैध उत्तराधिकारियों का नाम दर्ज किये बिना ही तथा उनको सूचित किये बिना ही उनके वास्तविक अंश को न देकर देवचन्द दुबे के सहयोग से विरेन्द्र दुबे, देवीप्रसाद दुबे, शिवम दुबे सहित अन्यों को एकतरफा लाभ दिया गया है।