सूरजपुर/कोरिया@सेवा समाप्ति के बाद प्रिंस जायसवाल ने प्रशासन पर लगाया षड्यंत्र व रंजिशवश कार्यवाही करने का आरोप

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-रवि सिंह-
सूरजपुर/कोरिया,05 जून 2025 (घटती-घटना)। राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन रायपुर द्वारा एक बड़ी कार्यवाही की गई,उस कार्यवाही में सूरजपुर जिले के स्वास्थ्य विभाग के प्रभारी जिला कार्यक्रम प्रबंधक की सेवा समाप्त कर दी गई है,एक शिकायत मिलने पर और जांच के साथ संबंधित दस्तावेज व तथ्य को देखते हुए यह कार्यवाही की गई है,इस कार्यवाही के बाद जिस प्रभारी जिला कार्यक्रम प्रबंधक की सेवा समाप्त हुई है उसकी प्रतिक्रिया सोशल मीडिया पर सामने आई है, उनका इस आदेश के विषय में कहना यह है कि मेरे विरुद्ध प्रशासनिक षड्यंत्र कर रंजिशवश गलत तरीके से कार्यवाही किया गया है,मैं कोई भी फर्जी दस्तावेज के आधार पर कोई भी नौकरी नहीं कर रहा था, साक्ष्य जल्द सामने आएगा,यह बात बर्खास्त हो चुके प्रभारी जिला कार्यक्रम प्रबंधक डॉक्टर प्रिंस जायसवाल का कहना है, वैसे यह उन्होंने किसी भी मीडिया या फिर पत्रकार को बयान नहीं दिया है यह बयान उन्होंने सार्वजनिक तौर पर सोशल मीडिया पर दिया है,जो इस समय वायरल हो रहा है इस खबर का प्रकाशन इसलिए भी जरूरी है क्योंकि समाचार पत्र का दायित्व है कि उनके पक्ष का भी प्रकाशन किया जाए,उनका पक्ष सोशल मीडिया पर आया है जिसे प्रकाशित करना जरूरी माना जा रहा है, उनके इस पोस्ट के बाद सवाल भी कई सारे खड़े हो चुके हैं,सवाल तो सबसे पहले यह है कि इनकी नौकरी या कहा जाए कि उनकी नियुक्ति आरएमएनसीएच+ए सलाहकार पद में राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन द्वारा की गई थी,पर यह प्रभारी जिला कार्यक्रम प्रबंधक कैसे बने? यह किसी को भी पता नहीं चला कानों कान इसकी खबर किसी को नहीं थी,अचानक ही वह इस पद पर आसीन हो गए। वह जिस डिग्री पर नौकरी कर रहे थे वह डिग्री आरएमसीएच ए सलाहकार के लिए लगाई गई थी फिर प्रभारी जिला कार्यक्रम प्रबंधक संविदा बनने के लिए इन्होंने कौन सी डिग्री लगाई? जब तक वह जिला आरएमएनसीएच+सलाहकार थे तब तक इनके ऊपर कोई भी उंगली नहीं उठी पर जैसे ही यह प्रभारी जिला कार्यक्रम प्रबंधक संविदा बने उनके डिग्री पर सवाल उठने लगा और डिग्री फर्जी होने की शिकायत होने लगी डिग्री फर्जी है इसे लेकर लंबे समय से शिकायत हो रही थी और जांच भी लंबे समय से हो रही थी,पुलिस विभाग से लेकर जिला प्रशासन तक इस पर जांच कर रहा था सभी ने उस फर्जी डिग्री की असलियत पता करने के लिए साबरमती विश्वविद्यालय से जानकारी मांगी,पुलिस वहां तक पहुंची भी और जो जानकारी वहां से मिली वह काफी चौंकाने वाली थी उन्होंने साफ लिखकर दे दिया,एक नहीं तीन बार लिखकर दे दिया की डॉक्टर प्रिंस जायसवाल उनके यहां का स्टूडेंट यानी की छात्र नहीं था,उसके बाद यह साफ हो गया कि यह डिग्री फर्जी है वह फर्जी डिग्री पर नौकरी कर रहे हैं, इसे लेकर कार्रवाई नहीं की गई इस डिग्री पर इन्होंने पर डीपीएम पद के लिए आवेदन किया,सेवा समाप्ति के आदेश के पांचवें नंबर पर लिखा है कि तथ्यों से यह स्पष्ट है कि डॉक्टर प्रिंस जायसवाल द्वारा राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन में सेवारत रहते हुए भी राज्य कार्यालय द्वारा जारी विज्ञापन में फर्जी व कूटरचित दस्तावेजों को प्रस्तुत कर जिला कार्यक्रम प्रबंधक पद में नियुक्ति पाने का प्रयास किया गया यह मानव संसाधन नीति 2018 का उल्लंघन है उक्त कृत गंभीर आचरण के श्रेणी में आता है।

डॉक्टर प्रिंस जायसवाल की मूल पद आरएमएनसीएच+ए सलाहकार का था यह पद एक विशेषज्ञ है जो प्रजनन,मातृ,नवजात,बाल और किशोर स्वास्थ्य आरएमएनसीएच+ए के क्षेत्र में परामर्श सेवाएं प्रदान करता है। वे व्यक्तियों,परिवारों और समुदायों को आरएमएनसीएच+ए से संबंधित स्वास्थ्य समस्याओं के बारे में जानकारी,सलाह और समर्थन प्रदान करते हैं। पर वही जिला कार्यक्रम प्रबंधक का काम अलग होता है पर यह उस पद पर अचानक आसीन हो गए थे, किन दस्तावेजों के तहत आसीन हुए थे यह शिकायतों के आरोप में साफ लिखा हुआ है इसके बाद भी उनका यह आरोप अपने ही विभाग के उच्च अधिकारियों पर है कि उन्होंने षडयंत्र पूर्वक उन पर कार्यवाही की है और वह दस्तावेज प्रस्तुत करेंगे यदि उनके पास दस्तावेज थे तो इतना लंबा समय मिलने के बाद भी उन्होंने आयुक्त सह मिशन संचालक राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन रायपुर को क्यों नहीं दिया? यहां तक की न्यायालय से भी स्थगन उन्हें नहीं मिला।

सेवा प्राप्ति के आदेश में लिखा है कि राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन अंतर्गत कार्यरत डॉ. प्रिंस जायसवाल (आरएमएनसीएच+ए सलाहकार) वर्तमान प्रभारी जिला कार्यक्रम प्रबंधक,जिला सूरजपुर के विरुद्ध राज्य कार्यालय को शिकायत प्राप्त हुई है,जिसकी जाँच एवं दस्तावेज सम्बन्धी रिपोर्ट व तथ्यों के आधार के अनुसार डॉ. प्रिंस जायसवाल द्वारा जिला कार्यक्रम प्रबंधक पद हेतु पत्र क्रमांक एनएचएम/ एचआर/2023/506/2063 दिनांक 04.09.2023 को जारी विज्ञापन में निर्धारित शैक्षणिक योग्यता हेतु साबरमती विश्वविद्यालय (कैलोरक्स टीचर्स यूनिवर्सिटी) मास्टर ऑफ पçलक हेल्थ (एमपीएच) की डिग्री संलग्न कर आवेदन किया गया था। पुलिस अधीक्षक,सूरजपुर द्वारा डॉ. प्रिंस जायसवाल के डिग्री के संबंध में जानकारी प्राप्त किये जाने पर साबरमती विश्वविद्यालय द्वारा अपने पत्र क्रमांक SU/LETT/OCOE/1017/JULY-2024,दिनांक 16-07-2024 में उल्लेख किया गया है कि निम्न उल्लिखित छात्र के लिए विश्वविद्यालय के पास कोई रिकॉर्ड उपलध नहीं है, इसलिए हमें खेद है कि साबरमती द्वारा कोई सत्यापन जानकारी प्रदान नहीं की जा सकती है। कार्यालय कलेक्टर सूरजपुर से पत्र क्रमांक 596/2025 दिनांक 30.01.2025 से प्राप्त पत्रानुसार साबरमती विश्वविद्यालय से प्राप्त पत्र क्रमांक क्रद्गद्घ. हृश. Ref. No. SU/Lett/OCOE/1117/Jan-2025 दिनांक 09-01-2025 में स्पष्ट रूप से लेख है कि श्री प्रिंस जयसवाल साबरमती विश्वविद्यालय (पूर्व में कैलोरक्स टीचर्स यूनिवर्सिटी) के छात्र नहीं हैं,दस्तावेज़ विश्वविद्यालय के रिकॉर्ड के अनुसार धोखाधड़ी और गलत बयानी है। बिन्दु क्रमांक 02 एवं 03 के संबंध में डॉ. प्रिंस जायसवाल को इस कार्यालय के पत्र क्रमांक 132/4002 दिनांक 19.02.2025 के माध्यम से 03 दिवस के भीतर जवाब प्रस्तुत करने हेतु कारण बताओ नोटिस जारी किया गया था,जिसके परिप्रेक्ष्य में डॉ. प्रिंस जायसवाल द्वारा आवेदन दिनांक 20.02.2025 के माध्यम से 30 दिवस का समय मांगा गया था। किन्तु दिनांक 26.05.2025 को डॉ. प्रिंस जायसवाल कार्यालय में उपस्थित होकर अपना जवाब प्रस्तुत किया गया कि इस सम्बन्ध में माननीय न्यायालय, मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट सूरजपुर के समक्ष परिवाद प्रस्तुत किया गया है जिसमें माननीय न्यायालय से फर्जी दस्तावेज के संबंध में स्थगन प्राप्त नहीं है। श्री प्रिंस जयसवाल साबरमती विश्वविद्यालय (पूर्व में कैलोरक्स) के छात्र नहीं हैं,रिकॉर्ड के संबंध में पर्याप्त सुनवाई का अवसर प्रदान करने के उपरांत भी डॉ. प्रिंस जायसवाल द्वारा कोई संतोषप्रद साक्ष्य प्रस्तुत नहीं किया गया है। इस प्रकार उनके द्वारा प्रस्तुत जवाब संतोषप्रद एवं समाधानकारक नहीं है। उपरोक्त तथ्यों से यह स्पष्ट है कि डॉ. प्रिंस जायसवाल द्वारा राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन में सेवारत रहते हुए भी राज्य कार्यालय द्वारा जारी विज्ञापन में फर्जी, कूटरचित दस्तावेजों को प्रस्तुत कर जिला कार्यक्रम प्रबंधक के पद में नियुक्ति पाने का प्रयास किया गया। यह कृत्य मानव संसाधन नीति-2018 का उल्लंघन है, उक्त कृत्य गंभीर कदाचरण की श्रेणी में आता है। डॉ. प्रिंस जायसवाल का यह कृत्य संविदा सेवक के रूप में अशोभनीय भी है जो कि छाीसगढ़ सिविल सेवा (आचरण) नियम 1965 के नियम 3 सामान्य (1) एवं संविदा सेवा नियम 2012 का भी उल्लंघन है। अतः उपरोक्तानुसार इस कार्यालय द्वारा जारी आदेश क्रमांक 4186 दिनांक 23.02.2024 जिसमें डॉ. प्रिंस जायसवाल जिला आरएमएनसीएच+ए सलहाकार (एनएचएम) को प्रभारी जिला कार्यक्रम प्रबंधक (संविदा), जिला सूरजपुर में कार्य करने हेतु आदेशित किया गया था, जिसे तत्काल प्रभाव से निरस्त करते हुये मानव संसाधन नीति 2018 के कंडिका 34.3 के तहत अनुसार डॉ. प्रिंस जायसवाल, जिला आरएमएनसीएच+ए सलहाकार (एनएचएम) की एक माह का वेतन / मानदेय प्रदान करते हुए तत्काल प्रभाव से संविदा नियुक्ति समाप्त की जाती है।


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