- नीलगिरी के पेड़ व एसईसीएल तालाब दोनों ही 35-40 साल पुराने फिर इतने साल बाद एसईसीएल प्रबंधन को कैसे पता चला की उस पेड़ की वजह से तालाब सूख रहा है?
- एसईसीएल कटकोना के तालाब के पास का अवैध तरीके से कटा हुआ पेड़ कहां जा रहा है?
- क्या इसका पैसा वन विभाग के खाते में जमा होगा या फिर एसईसीएल के खाते में या फिर लकड़ी माफिया का निकलेगा मेहनताना?
- इन कटे हुए पेड़ों को आखिर कौन बेच रहा है एसईसीएल या फिर वन विभाग?,क्या एसईसीएल प्रबंधन भी पेड़ काटने की अनुमति लेने के लिए झूठ बोल रहा है?



-रवि सिंह-
बैकुंठपुर/कटकोना,24 मई 2025 (घटती-घटना)। एसईसीएल जैसी कंपनी के जिम्मेदार अधिकारी भी क्या-क्या रिकॉर्ड झूठ बोलते हैं और झूठ व धोखा देकर अपना स्वार्थ सिद्ध करते हैं अब आप पूछ रहे होंगे कि यह सवाल क्यों हो रहा है,तो यह सवाल इसलिए हो रहा है क्योंकि इस बार एसईसीएल बैकुंठपुर कटकोना प्रबंधन की झूठ पकड़ी गई है एसईसीएल कटकोना प्रबंधन ने राजस्व प्रशासन को झूठा पत्र लिखा है उन्होंने लिखा है कि तालाब के किनारे 20 से 25 नीलगिरी के पेड़ है जिस वजह से तालाब सूख जाता है, इसीलिए उस पेड़ को काटने की अनुमति चाहिए, उन्हें इस बात की भी चिंता है कि पशु निस्तार एवं ग्रामवासियों के उपयोग के लिए जल संकट उत्पन्न हो रहा है पर यह चिंता उनकी दिखावा की चिंता है उनका मकसद तो इसके पीछे उन पेड़ों को कटवाकर तालाब का चौड़ीकरण करना है ताकि वहां के पानी से वह खदान में मशीन को पानी दे सकें। जबकि एसईसीएल प्रबंधन सही बातों का भी उल्लेख कर सकता था पर उसने उल्लेख किया नहीं क्योंकि यह झूठ पकड़ी जाती जबकि यह उल्लेख तब करना था जब उन्होंने टेंडर निकालने व तालाब गहरीकरण करने की रूपरेखा बनाई थी पर उस समय इन्होंने ऐसा नहीं किया रूपरेखा बना लिया और उस काम के लिए स्वीकृति दे दी,वह काम किसी को मिल गया इसके बाद पेड़ कटाई की अनुमति मांगी है,वह भी झूठ बोलकर कि उस पेड़ की वजह से तालाब सूख जाता है, पर सच्चाई तो यह है कि उस तालाब में बारिश का पानी ही पहुंचता था और खदान से निकलने वाला काला पानी उस तालाब में जमा होता था पुराने तालाब को बंद करके नया तालाब बना दिया गया था जो तालाब अनुपयोगी है और जो उपयोगी तालाब है उसमें पानी आता ही नहीं है वह तालाब सूखने की स्थिति में है। वहीं पेयजल के लिए गोबरी जलाशय पर एसईसीएल पहले से ही आश्रित रहा है उसके लिए जल संसाधन विभाग को लगभग 15 लख रुपए साल का एसईसीएल देता है। आखिर पेड़ की कटाई के लिए प्रबंधन को झूठ क्यों बोलना पड़ा यह बड़ा सवाल है? एक बार फिर से पेड़ की कटाई शुरू हो चुकी है और यह कटाई किसके इशारे पर हो रही है इसका तो पता नहीं पर यह जरूर है कि इस पेड़ कटाई लकड़ी तस्कर कर रहे हैं यह लोगों का कहना है,अब लकड़ी तस्कर इस पेड़ को नीलामी में खरीदे हैं या फिर चुरा कर ले जा रहे हैं इसकी पुष्टि तो अब वन विभाग राजस्व विभाग एसईसीएल प्रबंधन ही कर सकता है?
एसईसीएल बिना पेड़ को काटे भी सीएम मशीन के लिए एक नंबर खदान के नीचे भी वाटर स्टोरेज बना सकत है…
सहक्षेत्र कटकोना में सिर्फ बाहर से आने वाले व्यक्तियों का ही बोलबाला है स्थानीय लोग अब बचे नहीं हैं पुराने कर्मचारी इधर रुक नहीं रहे हैं सारे लोग पलायन कर चुके है दो खदान में से एक खदान ही उत्पादन कर रहा है एक खदान आज से 10 साल पहले बंद कर दिया गया था अब एक बार फिर से सीएम मशीनिया या ने की कोल कटर मशीन इस भूमिगत खदान में लगने जा रहे हैं, इस मशीन को चलाने के लिए पानी की आवश्यकता होती है मशीन को पानी देने के लिए अब एसईसीएल प्रबंधन एक बहुत बड़ा तालाब बनाना चाह रहा है ताकि मशीन को पानी मिल सके,इस तालाब को सिर्फ एसईसीएल प्रबंधन कोयला निकालने के लिए आई मशीन को पानी देने के लिए ही बनाया जा रहा है,इसका उद्देश्य बिल्कुल भी जानवरों सहित पर्यावरण जागरूकता को लेकर नहीं है उनका उद्देश्य तो सिर्फ कोयला कैसे निकाले इस पर है,कोयला निकल रहा है इससे दिक्कत नहीं दिक्कत तो इस बात से है कि इस क्षेत्र में अब व्यवस्थाएं कम होती जा रहे हैं और रोजगार भी लगभग खत्म हो चुके हैं,स्थानीय स्तर पर रोजगार देने की कोई भी कार्य योजना नहीं बनाई गई है,इस क्षेत्र में खदान होने के बाद भी बेरोजगारी का आलम ही वजह है कि इस क्षेत्र में चोरी चकारी बढ़ी है। पर वही सीएम मशीन के पानी के लिए तालाब चौड़ा हो जाए, पानी का स्टोर हो जाए इसके लिए पेड़ की कटाई करना उनकी जरूरत है,इस वजह से इन्होंने एक झूठी कहानी बनाई है कि उन पेड़ों से तालाब सूख रहा है इसलिए पेड़ कटाई की अनुमति दी जाए।
एजुकेटिव इंजीनियर को क्षेत्रीय सिविल अभियंता का प्रभार क्यों?
सूत्रों का कहना है कि एजुकेटिव इंजीनियर को क्षेत्रीय सिविल अभियंता का प्रभार दे दिया गया है इस समय वह सारे कामों में जमकर ठेकेदारों से कमीशन वसूल रहे और साथ ही गुणवत्ता के साथ होने वाले सिविल विभाग के काम गुणवत्ताहीन देखे जा रहे हैं, उसकी वजह सिर्फ कमीशन को ही मानी जा रही है अब पूरा क्षेत्र इस अधिकारी के जिम्मा में यह भी अब मान जा रहा है। कहीं ना कहीं तालाब गहरीकरण एनजीटी के नियमों के विरुद्ध है जिस पर अब उच्च स्तरीय शिकायत होने वाली है एनजीटी के नियमों का खुला उल्लंघन एसईसीएल द्वारा किया जा रहा है।
वहां पर हैं 50 से अधिक पेड़ फिर 20 से 25 पेड़ की अनुमति ही क्यों मांगी गई…
एसईसीएल प्रबंधन का झूठ पकड़ा गया है इन्होंने झूठ बोलकर पेड़ काटने का षड्यंत्र रचा है जिसमें कुछ श्रमिक नेता सहित लकड़ी माफिया भी शामिल है जहां श्रमिक नेता एसईसीएल प्रबंधन के गुलाम बने हुए हैं तो वहीं लकड़ी माफिया को तो फ्री में नीलगिरी की लकड़ी मिलेगी इस वजह से सभी पूरे इस काम में शामिल हो चुके हैं, और इस षड्यंत्र के तहत ही पेड़ों की कटाई का उद्देश्य राजस्व वन विभाग के लिए घाटा उत्पन्न करना है,वैसे क्या राजस्व व वन विभाग नियम के विरुद्ध जाकर पेड़ कटाई की अनुमति दे दिया है या फिर देगा? क्योंकि एक बार फिर पेड़ की कटाई शुरू हुई है और उस पेड़ को काटकर ले जाने वाला विभाग नहीं है लकड़ी तस्कर है ऐसा सूत्रों का कहना है आखिर इस सरकारी पेड़ की बिक्री क्यों नहीं हो रही यदि काटने की अनुमति मिली है तो या फिर लकड़ी माफिया को लकड़ी काटने का मेहनताना समझकर उन्हें यह लकड़ी सौंपी जा रहा है?
पेड़ कटाई के जनक हैं तत्कालीन कटकोना एग्जीक्यूटिव इंजीनियर
एग्जीक्यूटिव इंजीनियर जो इस समय बैकुंठपुर एसईसीएल एरिया के प्रभारी सिविल अभियंता बने बैठे हैं यह सब उनकी वजह से हो रहा है उन्होंने ही गलत जानकारी ऊपर दी थी और तालाब चौड़ीकरण का पैसा स्वीकृत कराया था उन्होंने बताया था कि सभी कुछ क्लियर है इसके बाद ही बिलासपुर से इस काम की स्वीकृति मिली और काम का टेंडर हो गया और काम ठेकेदार को मिल गया,अब उसके बाद पूरा बवाल अब सामने आ रहा है इस बात की भनक तब लगी जब अचानक हरे भरे पेड़ों की कटाई होने लगी,तब पता चला कि पेड़ों की कटाई तालाब के चौड़ीकरण करने के लिए किया जा रहा है जिसके लिए एक करोड़ का ठेका भी दे दिया गया है आखिर सिविल अभियंता ने झूठ बोलकर ही टेंडर की स्वीकृत दिलाई थी,जबकि काम से पहले ही पेड़ काटने की अनुमति सच बोलकर लेना था पर ऐसा किया नहीं अब जब मामला तुल पकड़ लिया तब अब उन्होंने पेड़ काटने की अनुमति यह बोलकर मांगी है की 20 से 25 पेड़ की वजह से तालाब सूख जा रहा है जबकि तालाब और पेड़ दोनों 35 से 40 साल पुराने हैं तो क्या अब 35 से 40 साल बाद ही उस पेड़ से तालाब को खतरा आया या फिर झूठ बोलकर ही पेड़ को कटवाना था और अपना स्वार्थ सिद्ध करना था?
प्रभारी क्षेत्रीय सिविल अभियंता विदेश यात्रा में है व्यस्त आखिर…किस पैसे से कर रहे हैं विदेश यात्रा?
इस समय सूत्रों का कहना है कि प्रभारी क्षेत्र सिविल अभियंता बैकुंठपुर क्षेत्र में नहीं है किसी विदेश यात्रा पर गए हुए हैं उनकी गैर हाजिरी में फिर से उस तालाब की गहरीकरण के लिए पेड़ों की कटाई शुरू की गई है जो पेड़ पहले से कटे थे उसकी भी ढुलाई शुरू हो गई है पूरे मामले को पेचीदा बनाने वाले अधिकारी इस समय विदेश यात्रा में व्यस्त हैं सूत्रों का कहना है कि कई बार यह विदेश यात्रा कर चुके हैं अब सवाल यह उठता है कि क्या यह युवा अधिकारी सिर्फ विदेश यात्रा घूमने के लिए ही पैसे कमा रहे हैं या फिर ठेकेदारों से मिलने वाले कमीशन के दम पर उनकी विदेश यात्रा हो रही है?