- रायपुर वाले पार्टनर ने जेम पोर्टल में डाला था किंतु उसे जेम में रिजेक्ट बाय सेलर कर दिया गया था
- ऐसी स्थिति में उस फर्म के द्वारा किया जाने वाला दावे का सवाल ही नहीं उठता टेंडर में…कार्य किया दंतेवाड़ा वाले पार्टनर ने
- ऑफलाइन आदेश से दंतेवाड़ा वाले पार्टनर ने पूरा किया काम और उसे ही हुआ भुगतान…
- पहले पार्टनर तत्कालीन सीएमएचओ सहित अन्य के विरुद्ध जानकारी छुपा कर की शिकायत दर्ज हुआ एफआईआर: डॉ. रनसाय सिंह
- तत्कालीन सीएमएचओ ने पुलिस अधीक्षक सूरजपुर को आवेदन प्रस्तुत कर दी पूरी जानकारी और निष्पक्ष जांच करने की मांग।
- तत्कालीन सीएमएचओ ने शिकायत कर बताया कि ऑक्सीजन प्लांट का भुग़तान काम करने वाले कंपनी को ही हुआ है।
- क्या जानकारी छुपा कर रायपुर वाले पार्टनर ने तत्कालीन सीएमएचओ सहित कर्मचारियों को फसाने का किया प्रयास?

-ओंकार पाण्डेय-
सूरजपुर,18 मई 2025 (घटती-घटना)। तत्कालीन सीएमएचओ सहित पांच के खिलाफ केंद्रीकृत ऑक्सीजन प्लांट स्थापना मामले के भुगतान को लेकर एफआईआर दर्ज हुआ था,अब उसे मामले में एक नया ही मोड़ ले लिया है इस मामले में नया मोड़ तब आया जब तत्कालीन सीएमएचओ ने चार पेज की शिकायत पुलिस अधीक्षक सूरजपुर व महानिरीक्षक सरगुजा को की,उसमें उन्होंने बताया कि भुगतान उसी को हुआ है जिसने केंद्रीकृत ऑक्सीजन प्लांट की स्थापना की है जानकारी छुपा कर की गई शिकायत की वजह से आज सही तथ्य छुप गया है और एफआईआर दर्ज कर ली गई है जिसकी निष्पक्षता से जांच करना अति आवश्यक है, यदि तत्कालीन सीएमएचओ की शिकायत पर गौर किया जाए तो एक बहुत उलझने वाला मामला हो गया है,यूनिक इंडिया कंपनी एक फर्म का नाम है उक्त नाम के फर्म दो जगह पर संचालित होती है,एक फर्म रायपुर का है जिसके मलिक जयंत चौधरी है वही यूनिक इंडिया कंपनी दंतेवाड़ा फर्म है जिसका मालिक आशीष कुमार बोस बताया जाता है,कंपनी का नाम एक है पर दोनों का पता अलग है और दो पता के मालिक का नाम भी अलग-अलग है, रायपुर वाले पता का मालिक जयंत चौधरी है तो वही दंतेवाड़ा वाले फर्म का मालिक आशीष कुमार बोस है,दोनों पार्टनर भी हैं ऐसा सूत्रों का कहना है,अब इस मामले में पेंच यहां पर फंसा की रायपुर वाले कंपनी ने जेम पोर्टल में टेंडर डाला और उसे कार्य आदेश भी मिल गया पर समय अवधि पर उसने प्लांट की स्थापना नहीं की,जिस वजह नियमो व शर्तो का पालन न होने के कारण वह टेंडर निरस्त हो गया,इसके बाद ऑफलाइन आदेश दिया गया गया और ऑक्सीजन की कमी को देखते हुए यह काम दंतेवाड़ा वाले यूनिक इंडिया कंपनी के प्रोपराइटर आशीष कुमार बॉस को दे दिया गया, जिन्होंने इस प्लांट की स्थापना की और उसे यह भुगतान कर दिया गया। रायपुर वाले ने इस बीच सूरजपुर जिले में आकर किसी भी अधिकारी से संपर्क नहीं किया और वह अपने क्षेत्र में बैठे रहे ना ही उन्होंने कोई सामान उपलब्ध कराया और नहीं उसे समान को उन्होंने कोई भुगतान किया, पर जब यह भुगतान दंतेवाड़ा वाले को हो गया उसके बाद रायपुर वाले ने अपने कार्य आदेश का हवाला देते हुए झूठा आरोप लगाया कि कार्य आदेश मुझे मिला था और भुगतान किसी और को कर दिया गया, जिसके बाद पुलिस ने अपराध दर्ज कर लिया और यह मामला काफी तेजी से तूल पकड़ लिया,अब एफआईआर होने के बाद जब तत्कालीन सीएमएचओ ने पूरे पिख्र से पर्दा उठाने के लिए पुलिस अधीक्षक सूरजपुर को शिकायत की दस्तावेजों के साथ तब पता चला कि यह दो पार्टनरों की आपसी लड़ाई में सूरजपुर स्वास्थ्य विभाग को कटघरे में खड़ा कर दिया है। अब यह विषय पुलिस के लिए भी जांच का विषय बन गया है और अब पुलिस को यह पता करना है की शिकायत किसकी सही है रायपुर वाले यूनिक इंडिया कंपनी के प्रोपराइटर जयंत चौधरी की या फिर तत्कालीन सीएमएचओ सूरजपुर की।
वर्त्तमान सीएमएचओ के पत्र के बाद उलझा मामला-
इस मामले में सीएमएचओ डॉ. केडी पैकरा ने 24 सितम्बर 2024 को एक पत्र यूनिक इंडिया कंपनी दंतेवाड़ा के प्रोपराईटर आशीष कुमार बोस को भेजते हुए उल्लेख किया गया कि 81 लाख 85 हजार 881 रूपए का भुगतान त्रुटिवश उनके फर्म में हो गया है। जबकि यह भुगतान जयंत चौधरी की फर्म यूनिक इंडिया कंपनी को करना था। सीएमएचओ के द्वारा जारी पत्र में आशीष कुमार बोस से उक्त राशि को तत्काल स्वास्थ्य विभाग के खाते में जमा कराने का निर्देश दिया गया जिसके बाद मामला उलझ गया।
क्या जयंत चौधरी व आशीष बोस थे पार्टनर?
इस मामले में यह भी जानकारी लगी है कि शिकायतकर्ता जयंत चौधरी तथा अशीष कुमार बोस दोनों ही भागीदार थे और दोनों की ही फर्म का नाम एक ही है। संभवतः आपसी विवाद व लेनदेन में हुई गफलत के कारण ये शिकायत की गई है। जयंत चौधरी के द्वारा अगर 2021 में कार्य किया गया होता तो 2024 तक तीन वर्षों के अंतराल में उनके द्वारा भुगतान के लिए कोई भी पत्राचार नहीं किया गया,बल्कि जेम पोर्टल से उनकी निरस्त निविदा को हटाने के लिए उन्होंने 2024 में पत्र लिखा।
क्या जानकारी लिए बिना हुआ एफआईआर?
क्या बिना जानकारी ही एफआईआर दर्ज कर लिया गया यह सवाल इसलिए उठ रहा है क्योंकि पूर्व सीएमएचओ की शिकायत के अनुसार मामला अब कुछ अलग ही लगने लगा है, इस संबंध में जिले के पूर्व सीएमएचओ व बाल रोग विशेषज्ञ वरिष्ठ चिकित्सक डॉ. आरएस सिंह कहना है था की वैश्विक महामारी कोविड में पीडि़तों की जीवन रक्षा के लिए अपने जीवन की परवाह किए बगैर लोगों के जीवन को सुरक्षित रखने हेतु उच्चाधिकारियों के दिशा निर्देश पर पूर्ण जवाबदेही से उनके द्वारा काम किया गया है। कोई भी ऐसा कार्य नहीं किया गया है, जो अपराध की श्रेणी में आता हो। कोविड के दौरान सूरजपुर जिला चिकित्सालय में अन्य जिलों से लोग यहां आकर भर्ती ही रहे थे। उस परिस्थिति में उपरोक्त प्रकरण में निष्पक्ष जांच किए बगैर तथ्यात्मक जानकारी लिए बिना संदर्भित एफआईआर दर्ज कर दी गई है, जो विधि संगत नहीं है। उन्होंने इस मामले में आला अधिकारियों से दस्तावेजों का अवलोकन कर दर्ज अपराधिक मामले को निरस्त करने की मांग की है।
वैश्विक महामारी कोविड से पहले स्थापित होना था केंद्रीकृत ऑक्सीजन प्लांट
वर्ष 2018 में ही केंद्रीकृत ऑक्सीजन प्लांट को सूरजपुर के जिला चिकित्सालय में स्थापित करने के लिए पैसे की स्वीकृति हो गई थी,पर उसे समय भी एक बार टेंडर निरस्त हुआ और उस समय के तत्कालीन सीएमएचओ ने इस ऑक्सीजन प्लांट को स्थापना के लिए उस पैसे को सुरक्षित रखें किसी बीच कोविड महामारी आ गई और ऑक्सीजन की जरूरत अधिक पड़ने लगी जिसे देखते हुए तत्काल जेम पोर्टल में इसके लिए निविदा आमंत्रित किया गया। यूनिक इंडिया कंपनी रायपुर को यह कर आदेश जारी हो गया पर यह कंपनी के द्वारा टेंडर को रिजेक्ट बाय सेलर कर रिजेक्ट कर दिया गया था और कार्य नहीं कर पाया था जिससे अपने काम को स्थापित नहीं कर पाई जिस वजह से नियम व शर्तों के तहत स्वतः ही वह कर आदेश निरस्त हो गया। कार्यालय जिला पंचायत सूरजपुर द्वारा डीएमएफ योजनान्तर्गत प्रशासकीय स्वीकृति आदेश क्रमांक-447/ डीएमएफ/जेडपी/2017-18/2017 सूरजपुर 23.04.2018 कार्य का नाम नवीन जिला चिकित्सालय सूरजपुर में केन्द्रीयकृत ऑक्सीजन प्लांट के स्थापना हेतु राशि रू 83 लाख रूपये की प्रशासकीय स्वीकृति आदेश प्रदान कर क्रियान्वन एजेंसी कार्यालय मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी जिला सूरजपुर को बनाया गया था। वैश्विक महामारी कोविड-19 के जिला सूरजपुर में अत्यधिक संक्रमण के उपचार एवं आवश्यकता को ध्यान में रखकर तात्कालीन कलेक्टर के निर्देशानुसार पर कार्य का जेम पोर्टल के माध्यम से 28.08.2021 टेण्डर आमंत्रित किया गया था। शिकायतकर्ता द्वारा दिनांक 28.08.2021 को उक्त ऑनलाईन टेण्डर में भाग लिया गया था। जिसकी वैधता 30 दिवस के लिए थी। उपरोक्त निविदा के नियमों के अनुसार उक्त कार्य 13.09.2021 से 28.09.2021 तक कार्य पूर्ण किया जाना था। निविदा के नियम एवं शर्तों के तहत कार्य पूर्ण नही होने की स्थिति में निविदा ही निरस्त हो जाना प्रावधानित था। जिससे स्पष्ट है कि शिकायतकर्ता जयंत चौधरी द्वारा जेम पोर्टल के माध्यम से टेण्डर में भाग लिया गया था व दिनांक 13.09.2021 को ही स्वयं स्वीकार नही करने से वहनिरस्त हो गई है। शिकायतकर्ता के द्वारा एक लिखित पत्र मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी जिला सूरजपुर (छग) को दिनांक-16.01.2024 को प्रस्तुत कर अनुरोध किया गया था कि उक्त जेम आर्डर न. जीइएमसी-51168774 3933732 निविदा निरस्त कर दिया गया है उसे जेम पोर्टल में भी निरस्त कर दिया जावे,उपरोक्त दोनों दस्तावेज यह स्पष्ट करता है कि शिकायतकर्ता ने उपरोक्त स्वीकृत कार्य केन्द्रीयकृत ऑक्सीजन प्लांट जिला चिकित्सालय सूरजपुर में किया ही नही है। इस प्रकार शिकायतकर्ता के द्वारा मिथ्या आधारों पर राजनैतिक विद्वेशवश उक्त झूठी शिकायत की गई है।
इस वजह से यूनिक इंडिया कंपनी रायपुर वाले जयंत का कार्य आदेश हुआ निरस्त
इस मामले में यह जानकारी लगी कि डीएमएफ योजना के तहत कोविड काल में केन्द्रीयकृत ऑक्सीजन प्लांट हेतु राशि स्वीकृत की गई थी। वैश्विक महामारी के समय जिले में अत्याधिक संक्रमण को ध्यान में रखते हुए 28 सितम्बर 2021 को जेम पोर्टल से टेण्डर आमंत्रित किया गया था, जो 30 दिवस के लिए वैध था। नियम व शर्तों के तहत कार्य पूर्ण नहीं होने की स्थिति में निविदा स्वमेव ही निरस्त हो जाना प्रावधानित था। शिकायतकर्ता के द्वारा 13 सितम्बर को उक्त निविदा स्वयं निरस्त कर दी गई। हालांकि उस दौरान कोविड काल में भण्डार एवं क्रय अधिनियम के तहत सभी नियमों को शिथिल कर दिया गया था तथा प्राकृतिक आपदा की विषम परिस्थितियों में बिना निविदा के ही आवश्यक महत्त्वपूर्ण कार्य कराए जाने के निर्देश थे। जिले में 100 बिस्तरीय अस्पताल के लिए ऑक्सीजन प्लांट हेतु मौखिक दिशा निर्देश प्रदान करने पर यूनिक इंडिया कंपनी दंतेवाड़ा को मैन्यूअल पद्धति से आक्सीजन प्लांट हेतु दूसरे फर्म को कार्यदिश जारी हुआ और उक्त आधार उनके द्वारा समय से कार्य भी पूर्ण कर लिया गया। जिसके उपरांत क्रय शाखा प्रभारी जेम्स बेक, स्टोर कीपर सकीरन दास, लेखा शाखा प्रभारी विजय कुमार सिन्हा तथा स्टोर ऑफिसर डॉ. अजय मरकाम द्वारा प्रस्तुत देयक एवं स्थापित प्लांट का सत्यापन कर विभागीय प्रक्रियाओं के पश्चात यूनिक इंडिया कंपनी दंतेवाड़ा को भुगतान किया गया। शिकायतकर्ता जयंत चौधरी के द्वारा की गई शिकायत के मामले में पुलसि के द्वारा अपराध तो दर्ज कर लिया गया है। वहीं दर्ज हुई एफआईआर को लेकर पूरे जिले में स्वास्थ्य महकमा चर्चा में बना हुआ है। बहरहाल तत्कालीन सीएमएचओ के द्वारा प्रस्तुत किए गए दस्तावेजों और वर्तमान सीएमएचओ के द्वारा जारी पत्र को लेकर पुलिस महकमा भी असमंजस की स्थिति में है।
आईये जानते है क्या कहती है डॉ. रनसाय सिंह की शिकायत
डॉ. रनसाय सिंह ने बताया की शिकायतकर्ता के द्वारा न तो सामग्री प्रदाय की गई और न ही तीन वर्षों के बीते अंतराल में कभी भुगतान की मांग की गई,अपितु संबंधित यूनिक इंडिया कंपनी के जयंत चौधरी के द्वारा जेम पोर्टल पर आहूत हुई निविदा स्वीकार न करने पर स्वतः निरस्त हो गई और पोर्टल में लंबित दिखने के कारण उक्त निविदा को निरस्त करने और जेम पोर्टल से हटाने के लिए 16 जनवरी 2024 को आवेदक ने सीएमएचओ को पत्र लिखा। शिकायतकर्ता के द्वारा मथ्या व राजनीतिक साजिश तथा विद्वेषपूर्ण ढंग से वास्तविक तथ्यों को छिपाकर तत्कालीन सीएमएचओ को बदनाम करने के नियत से कार्रवाई किया गया है,पूर्व सीएमएचओ डॉ. आरएस सिंह की ओर से पुलिस महानिरीक्षक सरगुजा,कलेक्टर व पुलिस अधीक्षक सूरजपुर को पूरे मामले व प्रमाणित दस्तावेजों के साथ अभ्यावेदन प्रस्तुत कर प्रकरण खात्मा करने का अनुरोध किया गया है। जिस पर अधिकारियों ने गंभीरता से तथ्यों से अवगत होते हुए जांच अधिकारी को आवश्यक निर्देश भी दिए हैं।