कोरिया@पंचायत को एजेंसी बनाया…कार्यों की जांच में गड़बड़ी मिलने पर पंचायत होगी जि़म्मेदार…सीईओ साहब पर नहीं आएगी आंच…क्या इस तैयारी के साथ हुई गड़बड़ी?

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-रवि सिंह-
कोरिया,06 मई 2025 (घटती-घटना)। कोरिया जिले का एक काफी सौभाग्यशाली ग्राम पंचायत चेरवापारा है यह इसलिए सौभाग्यशाली है क्योंकि इस ग्राम पंचायत की जमीन पर कलेक्टर कार्यालय व जिला पंचायत कार्यालय स्थित है,जबकि मुख्यालय बैकुंठपुर है पर मुख्यालय के कई कार्यालय शहर में हैं वहीं कलेक्टर कार्यालय व जिला पंचायत कार्यालय ही शहर के बाहर ग्राम पंचायत की जमीन पर है,कहलाने को तो यह मुख्यालय का कार्यालय है पर इसकी वास्तविकता यह है कि यह एक ग्राम पंचायत की जमीन पर सीमा में है जिसका नाम है चेरवापारा पर विडंबना भी इसके साथ एक है, जिस ग्राम पंचायत की धरती पर इतने बड़े-बड़े कार्यालय हैं उसी ग्राम पंचायत कि यदि व्यवस्थाओं की बात की जाए तो एक आदर्श ग्राम से कम नहीं होना चाहिए इसे शहर से कम नहीं होना चाहिए पर ऐसी स्थिति है क्या? इस समय इस ग्राम पंचायत की बात इसलिए हो रही है क्योंकि इस ग्राम पंचायत को मोहरा बनाकर एक बिलासपुर के ठेकेदार को लाभ पहुंचाने का प्रयास किया गया है,वह भी अधिक कमीशन अर्जित करने के लिए…ऐसा सूत्रों का दावा है जो काम टेंडर निकालकर भी किया जा सकता था उस काम को छोटे-छोटे टुकड़ों में ग्राम पंचायत को एजेंसी बनाकर कराया गया,जिस काम की आवश्यकता भी शायद नहीं है थी? जिस ग्राम पंचायत की धरती पर जिला पंचायत कार्यालय चमक रहा है क्या वैसा ही उनका ग्राम पंचायत भी चमक रहा है? या फिर उस ग्राम पंचायत की आड़ में किसी अधिकारी का कार्यालय चमक रहा है कमीशन चमक रहा है क्या यह कहना गलत होगा? अब जब बात निकली है तो बात तो बहुत दूर तक जाएगी क्योंकि ग्राम चेरवापारा की आय व्यय का जो दस्तावेज दैनिक घटती घटना के हाथ लगा है,उसे देखकर तो यही प्रतीत होता है कि जिला पंचायत के कर्ताधर्ता ने अपने ही उसे ग्राम पंचायत का उपयोग अपने कमीशन के लिए किया? जिस ग्राम पंचायत की धरती पर उनके कार्यालय है क्योंकि उसके आय व्यय के आंकड़े कुछ यही बता रहे हैं। अब ठेकेदार को लाभ पहुंचाना यहां के उच्च अधिकारी का काम था या फिर ग्राम पंचायत की आड़ में ज्यादा कमीशन अर्जित करना उद्देश्य था? अब यह सवाल तो चीख चीखकर पूछे जा रहे हैं और पूछे भी जाने चाहिए क्योंकि बात सरकारी पैसे की है जिसका बंदरबांट करने के लिए किसी अधिकारी को वहां का दायित्व नहीं सोपा गया है? ग्राम चेरवापारा को जिला पंचायत के सीईओ ने अपने कमीशन के लिए उपयोग किया और अपने किसी रिश्तेदार ठेकेदार को भी उपकृत किया? इस ग्राम के आय से और इसी में एक संविदा इंजीनियर भी उपकृत हुआ जो बताया जा रहा है कि मूल्यांकनकर्ता भी है निर्माण कार्यों का। अब पूरा मामला जांच का है और जांच कौन करता है होता है कि नहीं यह देखने वाली बात है? वैसे ग्राम पंचायत चेरवापारा के आम लोग शायद अनभिज्ञ हैं पूरे मामले से की कैसे उनके लिए आए उनके ग्राम के लिए आए पैसे से किसी अधिकारी ने अपनी जेब भरने का काम किया और बेवजह बेमतलब पैसा ऐसी जगह खर्च किया जहां आवश्यकता नहीं थी, वहीं शेड निर्माण,एपीसी कार्य, कार्यालय का सौंदर्यकरण जिला पंचायत कार्यालय में करके पैसे की ग्राम विकास के पैसे की आपसी बंदरबांट कर ली गई।
पिछले एक साल में यह यह हुआ जिला पंचायत कोरिया कार्यालय में काम,एजेंसी बनी ग्राम पंचायत चेरवापारा
पिछले एक साल में ग्राम पंचायत चेरवापारा को एजेंसी बनाकर जिला पंचायत कोरिया के अधिकारियों ने कुछ ऐसे काम किए जो निम्नानुसार है,जिला पंचायत का शेड निर्माण कार्य जो कई भाग में किया गया शेड निर्माण के नाम पर शासकीय राशि ग्राम पंचायत विकास की राशि को कई भाग में शेड निर्माण के नाम पर बांटा गया,जिला पंचायत के कक्ष में मरम्मत का कार्य जो भी ग्राम पंचायत के आय से किया गया,सीईओ कक्ष में सौंदर्यीकरण का काम,जिला पंचायत के लिए जेनरेटर डिजी सेट की खरीदी,जिला पंचायत के भवन के सामने के हिस्से में एपीसी कार्य,ऐसे कई अन्य काम जिला पंचायत के कार्यालय में अंदर बाहर किए गए जिसमें ग्राम पंचायत को एजेंसी बनाकर जमकर ग्राम पंचायत की राशि की बंदरबाट की गई।
टेंडर निकाल कर बचाया जा सकता था शासन का पैसा
ग्राम पंचायत चेरवापारा के विकास की राशि का जिस काम के लिए उपयोग जिला पंचायत कोरिया द्वारा किया गया और जिन कामों के लिए किया गया वह काम नियमानुसार जिला पंचायत के द्वारा खुद के लिए ऐसे कार्यों की स्वीकृति कर की जा सकती थी और जिसके लिए टेंडर प्रक्रिया निकाल कर यह प्रकिया पूर्ण की जानी चाहिए थी लेकिन ऐसा नहीं किया गया क्योंकि इसके पीछे की मंशा थी कमीशनखोरी की और किसी रिश्तेदार को लाभ पहुंचाने की थी सूत्रों का कहना है। जिला पंचायत कोरिया का इस तरह का काम जिला पंचायत कोरिया की कार्यप्रणाली पर सवालिया निशान लगाती है। वैसे नियमों में क्या है नहीं है इसका तो ज्यादा ज्ञान जिला पंचायत को ही होगा लेकिन जिस तरह के काम हुए हैं वह लाभ कमाने की मंशा से हुए हैं यह स्पष्ट नजर आता है।
मूल्यांकन पर निकाला पैसा या जो इंजीनियर ने लिख दिया वही हो गया ब्रह्मा की लकीर…जो काम कम पैसे में हो सकता था उसके लिए भी ज्यादा का मूल्यांकन क्यों?
वैसे जिला पंचायत कोरिया में अंदर बाहर के कई निर्माण कार्य सौंदर्यीकरण के कार्य जो ग्राम पंचायत के नाम से किए गए क्या उसका पैसा ग्राम पंचायत से मूल्यांकन कर निकाला गया या फिर जो इंजीनियर ने लिख दिया वही ब्रह्मा की लकीर हो गया। वैसे जो काम कम पैसे में हो सकता था उसके लिए अधिक का मूल्यांकन किया गया और ऐसा क्यों किया गया यह बड़ा सवाल है। काम का मूल्यांकन भी किस इंजीनियर ने किया क्या वह वही रवींद्र सोनी तो नहीं जो सीईओ जिला पंचायत का खास है और क्या वह भी ऐसे ही कामों के मूल्यांकन से मालदार हो गया,सवाल कई हैं जिनकी जांच की जाए जिससे दूध का दूध पानी का पानी हो सके यह भी पूरे मामले की स्पष्टता के लिए जरूरी होगा।
उस पंचायत के इंजीनियर होने के बाद भी दूसरे इंजीनियर को जिला पंचायत के काम के लिए क्यों नियुक्त किया गया?
सूत्रो का कहना है की निर्माण कार्यों का मूल्यांकन क्या उसी इंजीनियर रविंद्र सोनी ने किया जो सीईओ जिला पंचायत का खास है जो इस बीच सीईओ जिला पंचायत के कार्यकाल में काफी मालदार बन गया,वैसे इंजीनियर यदि वही है तो उससे ही क्यों मूल्यांकन कराया गया क्यों नहीं ग्राम पंचायत के इंजिनियर से मूल्यांकन कराया गया यह भी सवाल है। इंजीनियर की भूमिका की भी जांच हो यह इस मामले की सच्चाई के लिए जरूरी है क्योंकि पूरे मामले में ग्राम पंचायत को मोहरा बनाकर काफी बड़ा खेल खेला गया है।
ग्राम पंचायत को एजेंसी बनाया,कार्यों की जांच में गड़बड़ी मिलने पर ग्राम पंचायत होगी जि़म्मेदार,सीईओ साहब पर नहीं आएगी आंच क्या इस तैयारी के साथ की गई पूरी गड़बड़ी?
जिला पंचायत कोरिया भवन के अंदर बाहर जो भी निर्माण संबंधी कार्य हुए वह सभी कार्य ग्राम पंचायत को एजेंसी बनाकर किए गए और सीईओ जिला पंचायत की भूमिका इसमें प्रमुख रही उन्होंने पूरा खेल कमीशन के लिए और अपने एक रिश्तेदार जो ठेकेदार भी हैं को उपकृत करने के लिए किए ऐसा सूत्रों का दावा है वहीं यह सही है तो क्या ऐसा इसलिए किया गया जिससे यदि जांच में गड़बड़ी पाई भी गई तो सीईओ जिला पंचायत इसमें बच निकलेंगे और ग्राम पंचायत दोषी मानी जाएगी यह पूरी तैयारी है,वैसे सीईओ जिला पंचायत को लेकर सूत्रों का यह भी दावा है कि वह काम पूर्णता के बाद फिर उनसे मतलब नहीं रखते जिन्हें वह मोहरा बनाते हैं और वह किनारे हो जाते हैं अपनी छवि को बचाने वह इतनी तैयारी रखते हैं।
जांच हुई तो एक बड़े घोटाले की खुल जाएगी पोल,बड़े अधिकारी शासकीय राशि का कैसे करते हैं बंदरबाट यह पोल खुल जाएगा, सूत्रों का दावा
सूत्रों का दावा यहां तक है कि जिला पंचायत सीईओ वर्तमान के कार्यकाल की पूरी तरह जांच हो जाए तो कई गड़बडि़यां सामने आएंगी और यह पोल खुल जाएगा की कैसे बड़े अधिकारी शासकीय राशि के बंदरबाट के लिए नई नई तरकीब निकालते हैं,यह अपनी तरह का बड़ा घोटाला होगा जो जिला पंचायत सीईओ के पूरे कार्यकाल में किया गया यह सूत्रों का दावा है।
क्या सुशासन तिहार अंतर्गत ऐसे मामलों पर भी जिला प्रशासन लेगा संज्ञान,या फिर अधिकारी होने के कारण पूरे मामले से लेगा पल्ला झाड़?
क्या सुशासन तिहार अंतर्गत जिला प्रशासन ऐसे मामलों पर भी संज्ञान लेगा क्या सुशासन की तस्वीर इन मामलों में भी नजर आएगी यह बड़ा सवाल है,वैसे सुशासन तिहार की सार्थकता ऐसे मामलों के लिए जांच बैठाने त्वरित निर्णय वाली जांच बैठाने से भी नजर आएगी क्योंकि एक बड़े जिला अधिकारी पर यह भ्रष्टाचार का आरोप है और यदि यह सही है तो जब जिला अधिकारी ही शासकीय राशियों के बंदरबाट में लगे हैं तो कैसा सुशासन जिले में और कैसा निराकरण।
जिला पंचायत 15 वीं की राशी के खर्च का विवरण

भुकतान तिथिकार्य का विवरणराशी
25-11-2024जिला पंचायत शेड निर्माण552000
02-09-2024जिलापंचायत मीटिंग हाल एवं सीईओ केविन पीवीसी कार्य749322
03-09-2024जिला पंचायत मीटिग हाल पीवीसी कार्य350678
05-09-2024जिला पंचायत मीटिग हाल पीवीसी कार्य218490
14-10-2024जिला पंचायत भवन का मरमत कार्य167300
29-10-2024जिला पंचायत शेड निर्माण550000
30-10-2024जिला पंचायत शेड निर्माण184000
02-01-2025जिला पंचायत एसीपी वर्क249000
07-01-2025जिला पंचायत शेड निर्माण747000
अज्ञातजिला पंचायत शेड निर्माण367000
अज्ञातजिला पंचायत शेड निर्माण367000
अज्ञातजिला पंचायत शेड निर्माण183000
 कुल राशी 4684790


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