

प्रधान पाठिका व सहायक शिक्षिका को जिला शिक्षा अधिकारी ने जांच में कक्षा पांचवीं की छात्रा की जगह कक्षा चौथी की छात्रा से परीक्षा दिलवाने का दोषी पाया और कार्यवाही की…उसी मामले में अनुपस्थित छात्रा उत्तीर्ण कैसे हो गई?
प्रधान पाठिका व सहायक शिक्षिका ने पत्रकार को फंसाने के लिए जो षड्यंत्र रचा था,उस षड्यंत्र में वह खुद फंस गए…
क्या पुलिस पत्रकार को झूठे मामले में फंसाने वाले प्रधान पाठिका सहित सहायक शिक्षिका पर करेगी कार्यवाही,या फिर सिर्फ पत्रकार को द्वेषपूर्ण कार्यवाही करना पुलिस का भी था उद्देश्य?
राजपुर थाना प्रभारी निरीक्षक चंदर सिंह पर किसका दबाव था कि उन्हें पत्रकार पर बिना जांच कार्यवाही करनी पड़ी?



–सुदामा राजवाड़े-
बलरामपुर/रामानुजगंज,04 मई 2025 (घटती-घटना)। सरगुजा संभाग के बलरामपुर रामानुजगंज जिले के प्राथमिक शाला उधेनुपारा में पांचवीं कक्षा की बोर्ड परीक्षा के दौरान एक पत्रकार ने जब परीक्षा कक्ष में जाकर पूछताछ की थी तब यह बात सामने आई थी कि कक्षा पांचवीं की एक छात्रा अनुपस्थित थी पांचवीं बोर्ड की परीक्षा में और वहीं उसकी जगह कक्षा चौथी की छात्रा को बिठाकर परीक्षा दिलाया जा रहा था और इस बात का संपूर्ण साक्ष्य भी पत्रकार ने जुटाया था वहीं इस मामले में पहले तो पत्रकार को प्रधानपाठिका और सहायक शिक्षिका ने गलत आरोप लगाकर पुलिस में शिकायत कर दी और जिसके बाद पुलिस ने भी पत्रकार पर कार्यवाही कर दी और अंततः पत्रकार कानूनी उलझनों में उलझ गया वहीं बात आगे बढ़ी और जिला शिक्षा अधिकारी ने जांच कराई और यह सामने आया कि पत्रकार की पड़ताल सही थी और पांचवीं की अनुपस्थिति छात्रा की जगह चौथी कक्षा की छात्रा परीक्षा दे रही थी और जिसके बाद जिला शिक्षा अधिकारी ने प्रधानपाठिका और सहायक शिक्षिका को दोषी पाया और कार्यवाही भी की वहीं अब मामले में नया मोड आ गया है बताया जा रहा है कि प्राथमिक शाला उधेनुपारा की उक्त कक्षा पांचवीं की परीक्षा के दौरान अनुपस्थित छात्रा परीक्षाउत्तीर्ण कर गई है और जिसका परीक्षा परिणाम उसे उत्तीर्ण बता रहा है,अब इस परीक्षा परिणाम के बाद यह सवाल उठता है कि क्या प्रधान पाठिका और सहायक शिक्षिका पर की गई जिला शिक्षा अधिकारी की कार्यवाही केवल दिखावा थी? वैसे माना अब ऐसा ही जा रहा है।
अपने बचने के लिए शिक्षकों ने फंसाया पत्रकार को…अब उनके विरुद्ध पुलिस क्यों नहीं कर पा रही कार्यवाही?
पत्रकार जिसने पूरे गड़बड़ी का खुलासा करने का प्रयास किया जिसने विद्यालय जाकर यह पाया था कि वहां कक्षा पांचवीं की अनुपस्थित छात्रा की जगह कक्षा चौथी की छात्रा परीक्षा दे रही है उस पत्रकार को विद्यालय की प्रधान पाठिका और सहायक शिक्षिका ने आरोप लगाकर पुलिस के हवाले कर दिया था और कानूनी उलझनों में फंसा दिया था वहीं बाद में मामले की जांच जिला शिक्षा अधिकारी ने की थी और जिसमे उन्होंने भी दोनों शिक्षकों को दोषी पाया था वहीं अब दोनों के दोषी साबित होने उपरांत भी अनुपस्थित छात्रा का परीक्षा परिणाम उत्तीर्ण में आना यह बतलाता है कि गलती पकड़े जाने के बाद और जिला शिक्षा अधिकारी की जांच में दोषी पाए जाने के बाद भी अनुपस्थित छात्रा का परीक्षा परिणाम उत्तीर्ण में आना यह बतलाता है कि दोनों प्रधान पाठिका और सहायक शिक्षिका ने कार्यवाही के बाद भी अनुपस्थित छात्रा को उत्तीर्ण करने का काम किया और उसकी उत्तर पुस्तिका उपस्थित बताकर भेजी जिसके बाद ही अनुपस्थित छात्रा का उत्तीर्ण होना संभव है,वैसे सवाल अब यह है कि क्या पुलिस अब मामले में इन्हीं शिक्षकों द्वारा फंसाए गए पत्रकार की तरह ही इनपर भी कार्यवाही करेगी क्योंकि मामला अब कूट रचना और ठगी का अब बनता है दोनों पर।
क्या जिला शिक्षा अधिकारी ने जांच रिपोर्ट नहीं भेजी थी बोर्ड कार्यालय को जिससे परिणाम आया छात्रा का उत्तीर्ण वाला?
अब सवाल यह उठ रहा है कि क्या जिला शिक्षा अधिकारी बलरामपुर रामानुजगंज ने उक्त प्राथमिक शाला की प्रधान पाठिका और सहायक शिक्षिका के विरुद्ध की गई जांच रिपोर्ट जिसमें दोनों दोषी पाए गए थे अनुपस्थित छात्रा की जगह दुसरे छात्रा को बैठाकर परीक्षा दिलाने के लिए जो जांच उन्होंने खुद संस्थित की थी को बोर्ड कार्यालय को प्रेषित नहीं किया जिससे अनुपस्थित छात्रा का परीक्षा परिणाम उत्तीर्ण वाला आ गया। वैसे ऐसा उन्होंने क्या जिले की शिक्षा व्यवस्था की छवि बचाने के लिए किया क्या ऐसा उन्होंने आगे चलकर महिला शिक्षकों को बचाने के लिए किया जो निश्चित दोषी है मामले में। अब बात जो भी हो यदि उक्त छात्रा अनुपस्थित वाली यदि उत्तीर्ण है इसका मतलब है कि बलरामपुर रामानुजगंज जिले में शिक्षा व्यवस्था की स्थिति कागजों में है और इसी तरह अन्य जगह भी हुआ होगा यह भी मुमकिन है।
पत्रकार पर अपराध पंजीकृत करने के लिए आखिर किसका था राजपुर पुलिस पर दबाव…क्या प्रधान पाठिका और सहायक शिक्षिका पर अपराध दर्ज न करने का आ रहा दबाव?
पूरे मामले में यह स्पष्ट होने लगा है कि अपनी गलती जो पत्रकार ने पकड़ ली थी को छिपाने के लिए प्रधान पाठिका और सहायक शिक्षिका ने पत्रकार को फंसाया था और किसी न किसी अन्य का इसके लिए राजपुर थाना प्रभारी निरीक्षक चंदर सिंह पर दबाव था जिसके बाद अपराध उसके ऊपर दर्ज किया गया। अब सवाल यह भी उठ रहा है कि जिसने प्रधान पाठिका और सहायक शिक्षिका के साथ मिलकर पत्रकार को फंसाया क्या वह पुलिस पर प्रधान पाठिका और सहायक शिक्षिका पर अपराध दर्ज करने दबाव नहीं डाल रहा है या फिर उसे बचाने का दबाव है,वैसे यदि वह न्यायप्रिय था उसे तत्काल दोनों के विरुद्ध अपराध दर्ज करने पुलिस पर दबाव डालना चाहिए। वैसे इस मामले में थाना के एक स्टाफ में नाम ना बताने की शर्त पर बताया थाना प्रभारी के ऊपर काफी दबाव था,इस वजह से यह कार्रवाई बिना जांच के करनी पड़ी पर दबाव किसका था यह नहीं बता पाए,क्योंकि थाना प्रभारी भी अपने दबाव की चर्चा अपने थाने के स्टाफ के सामने की थी जिस वजह से स्टाफ को भी इस बात की जानकारी है, पर सवाल यह उठता है कि जहां तत्काल अपराध दर्ज होना चाहिए वहां पर पुलिस कई दिनों तक अपराध दर्ज नहीं करती और जहां पर अपराध दर्ज नहीं करना चाहिए वहां पर दबाव में पुलिस अपना दर्ज कर लेती है, क्या यह सिस्टम है पूरा खराब हो चुका है एक बार के आवेदन में ही पुलिस ने अपराध दर्ज कर लिया? जबकि वहीं कई बार प्रार्थी महीना तक थाने के चक्कर लगाते रहता है पर अपराध दर्ज नहीं हो पाता,ऐसे में पुलिस की कार्यप्रणाली कैसी है इस बात से अंदाजा लगाया जा सकता है।