
@ आखिर एमसीबी जिला मध्यप्रदेश की अवैध शराब बिक्री को लेकर क्यों रहता है सुर्खियों में?
@ झींगा मनेंद्रगढ़ से अंबिकापुर तक पहुंचाता है मध्य प्रदेश की अवैध शराब
@ क्या अवैध शराब के पैसे से कुछ प्रधान आरक्षक बन चुके हैं करोड़पति?
@ अवैध शराब की बिक्री के पैसे से क्या खरीद रहे हैं बेशकीमती जमीन?
@ इसबार सरगुजा संभाग की कमान मिली है ईमानदार पुलिस अधिकारी को जो इन कारोबार पर लगा सकते हैं अंकुश:सूत्र



–न्यूज डेस्क –
अम्बिकापुर/एमसीबी,02 मई 2025 (घटती-घटना)। मुट्ठी भर ईमानदार अधिकारियों कर्मचारियों की वजह से आज देश सुरक्षित है समाज सुरक्षित है प्रदेश सुरक्षित है ऐसे अधिकारी कर्मचारी देश के गौरव है, वर्तमान में सरगुजा की कमान ऐसे ही अधिकारी को मिली है बताया जा रहा है कि उन्हें अवैध कारोबार पसंद नहीं है और न ही अवैध कारोबार करने वाले अधिकारी व पुलिसकर्मी पसंद है,अब उम्मीद इसलिए लोगों की बढ़ गई है की अवैध कारोबार तो अब बंद होगा ही,और इस कारोबार में संलिप्त पुलिसकर्मी भी अपनी खैर मान ले क्योंकि अब उनका पाला किसी ईमानदार अधिकारी से इसबार पड़ेगा,इस समय सरगुजा रेंज की कमान एक ईमानदार पुलिस अधिकारी दीपक झा को मिली है, इसके बाद कोरिया एमसीबी सहित बाकी जिलों में अवैध कारोबार पर पूर्णविराम लगने का अनुमान है,एमसीबी जिला मध्यप्रदेश की सरहद से लगा हुआ है जिस वजह से मध्यप्रदेश की अवैध शराब छत्तीसगढ़ में खपाई जाती है मध्य प्रदेश के ठेकेदार से एक पुलिसकर्मी ने किसी झींगा नाम के व्यक्ति की सेटिंग करा दी है, मध्यप्रदेश की शराब सिर्फ उस व्यक्ति को ही वहां के ठेकेदार द्वारा दिया जाता है क्योंकि यह सिस्टम उस समय के तत्कालीन प्रभारी सेटिंग सिंह ने ऐसी सेटिंग जमाई थी कि आज तक वह सेटिंग जमी हुई है,क्योंकि सेटिंग सिंह ठेकेदार को अवैध शराब छत्तीसगढ़ में पकड़े जाने पर कार्यवाही की धमकी देकर उसपर यह दबाव बनाकर एक प्रधान आरक्षक के माध्यम से किसी झींगा नाम के व्यक्ति को यह काम दिला दिया था,इस व्यक्ति के पास चार से पांच लग्जरी कारें हैं और पिकअप है जिस पिकअप से मनेंद्रगढ़ से लेकर अंबिकापुर तक मध्यप्रदेश की शराब झींगा नाम का व्यक्ति पहुंचाता है ऐसा सूत्रों का दावा है।
क्या प्रधान आरक्षक रवानगी से बचने के लिए है बीमार ?
झींगा नाम का व्यक्ति का पार्टनर है एक प्रधान आरक्षक जिसकी जिले से अब जशपुर जिले में स्थानांतरण कर दिया गया है जो स्थानांतरण के दिन से ही बीमार पड़ गए हैं और छुट्टी लेकर थाने के इर्द-गिर्द घूमते नजर आ रहे हैं पर उन्हें रवानगी नहीं दी जा रही है,इसलिए क्योंकि वह बीमार है और छुट्टी पर है पर ऐसी कौन सी बीमारी है कि वह अक्सर ठीक होकर थाने की इर्द-गिर्द ही घूमते दिख जाते हैं? साइवर ऑफिस में रोज जा करा बैठता है,उस प्रधान आरक्षक का स्थानांतरण ना हो ऐसा क्या शराब तस्कर चाह रहे हैं ताकि उनका यह व्यापार बंद ना हो जाए,लंबे समय से शराब के मामले में अभी तक कोई भी बड़ी कार्यवाही देखने को नहीं मिली है यही इसका जीता-जागता उदाहरण है कि शराब तस्करी में पुलिस के लोग संलिप्त हैं यदि संलिप्त नहीं होते तो शराब पर कार्यवाही जरूर होती? इससे पहले कई बार अवैध शराब पकड़े जाने की कार्यवाही की गई है पर अभी लंबे समय से यह कार्यवाही न होना पुलिस की सेटिंग मानी जा रही है और प्रधान आरक्षक की भूमिका अहम मानी जा रही है।
शराब तस्करी में संलिप्त व्यक्ति का नाम 302 में भी आ चुका था पर नाबालिक होने की वजह से आज वह जेल की चार दिवारी के बाहर है:सूत्र
सूत्रों के द्वारा बताया गया कि मनेंद्रगढ़ थाना क्षेत्र में रहने वाला झींगा नाम का व्यक्ति मध्यप्रदेश की अवैध शराब तस्करी बड़े पैमाने पर कर रहा है, पर इस पर रोक लगा पाने में पुलिस नाकाम है इसकी वजह पुलिस कर्मियों का उसके साथ का पार्टनरशिप माना जा रहा है,यह शराब तस्कर 2018 में शहर के बीचो-बीच एक व्यक्ति को खुलेआम मर्डर कर दिया था नाबालिक होने की वजह से उस समय छूट गया था,आज इसके हौसले इतने बुलंद है कि एक प्रधान आरक्षक के साथ मिलकर धड़ल्ले से शराब की तस्करी को अंजाम दे रहा है,यह शराब एमसीबी जिले से सरगुजा जिले तक पहुंच रही है इस व्यक्ति का यह भी कहना है कि शासन प्रशासन को वह मोटी रकम पहुंचाता है जिस वजह से उस पर कार्यवाही कोई नहीं कर सकता जबकि इस बात की जानकारी भले ही पुलिस को ना हो या फिर पुलिस जानकारी न होने का ढोंग कर रही हो पर शहर के एक-एक व्यक्ति को इसकी जानकारी है।
फल विक्रेता से हो जाए पूछताछ तो खुल जाएंगे सारे राज
सूत्रों की माने तो प्रधान आरक्षक का एक विश्वसनीय फल विक्रेता जो उसी के जात समाज का है प्रधान आरक्षक अपने अवैध वसूली का पैसा उसी के पास छोड़ आता है,दूसरा उसका एक पार्टनर आरक्षक है जो इस समय प्रधान आरक्षक बन गया है वह कई जगह से सेटिंग व अवैध कारोबार का पैसा लेकर आता है,यह सारी जानकारी पूरे शहर में आम है पर न जाने वहां के पुलिस अधीक्षक इस बात से अनजान कैसे हैं? छोटे कर्मचारी ही अपने अधिकारियों की आंख में धूल झोंक कर अवैध कारोबार करवा रहे हैं फिर कैसे संभव है कि अवैध कारोबार पर अंकुश लगे? सरकार प्रशासनिक बैठक में अक्सर अवैध कारोबार पर अंकुश लगाने की बात कहती है पर ऐसे पुलिसकर्मियों की वजह से क्या यह संभव है? या फिर इन्हीं के चंदा से राजनीतिक पार्टियों को इसका लाभ मिलता है और यही पैसा फिर चुनाव में खर्च होता है?
शहडोल का शराब ठेकेदार का शराब आता है एमसीबी जिला:सूत्र
सूत्रों कहना कि कांग्रेस शासनकाल में एक बार बहुत बड़े मात्रा में मध्य प्रदेश का अवैध शराब क्षेत्र में पकड़ा गया था जिसे पकड़ने के बाद शराब जहां से आ रहा था उस ठेकेदार पर कार्यवाही करने का भय दिखाकर पुलिस ने उससे पैसे भी लिए थे और फिर इस क्षेत्र में वहां के शराब को खपाने का एक पार्टनरशिप तैयार किया गया था और ठेकेदार के साथ पार्टनरशिप झींगा नाम के व्यक्ति के साथ कराया गया और इसमें एक प्रधान आरक्षक की भूमिका अहम रही जो इस झींगा नाम के व्यक्ति का कमाई का पार्टनर है तब से यह कारोबार लगातार चल रहा है उसके बाद से इतनी बडी कार्यवाही फिर दोबारा कभी नहीं हुई क्योंकि अवैध कारोबार में ही पुलिस के कर्मचारी शामिल हो गए और उस कमाई का सुख भोगने लगे।
क्या छत्तीसगढ़ के शराब से ज्यादा अच्छी है मध्यप्रदेश के शराब की तासीर?
क्या छत्तीसगढ़ की शराब शराब प्रेमियों को पसंद नहीं आ रही जिस वजह से मध्य प्रदेश की शराब छत्तीसगढ़ में ज्यादा खपाई जा रही है जिससे सरकार को भी राजस्व की हानी हो रही है पर इसके बावजूद भी सरकार इस मामले को लेकर गंभीर क्यों नहीं है सूत्रों का कहना है कि छत्तीसगढ़ की शराब की तासीर मध्य प्रदेश की शराब की तासीर से कम है जिस वजह से लोगों को मध्य प्रदेश की शराब पसंद आती है और अधिक दाम में लोग अधिक तस्करी के शराब को लेते हैं और उस शराब का सेवन करके नशे का आनंद लेते हैं यही वजह है कि मनेंद्रगढ़ क्षेत्र में सबसे अधिक मध्य प्रदेश की शराब का सेवन शराब प्रेमी करते हैं छत्तीसगढ़ की शराब की खपत इस वजह से कम हो जाती है?
प्रधान आरक्षक क्या शराब की कमाई बंद हो जाएगी इसलिए पड़ गए तबादले के आदेश के बाद बीमार?
कानून की रक्षा और अवैध कारोबार पर अंकुश लगाने का जिम्मा सम्हालने वाली पुलिस ही जब अवैध कारोबार में हांथ काला करने लगे अपना फर्ज भुलाकर वह वेतन भत्ते की बजाए हराम की कमाई खाने लगे तब आम आदमी से कानून के पालन की कैसे उम्मीद की जाए? मनेंद्रगढ़ के प्रधान आरक्षक का तबादला अन्य जिले में हुआ है जो सूत्रों की माने तो अवैध शराब की कमाई जमकर खाते हैं और उसके बिना उनका घर परिवार अपनी जरूरत नहीं पूरी कर पाता है और इसलिए जबसे प्रधान आरक्षक का तबादला हुआ है वह परेशान हैं ऐसा बताया जा रहा है। वैसे बताया यह भी जा रहा है कि उनकी तबियत खराब हो गई है, अब सवाल यह उठता है कि क्या हराम की कमाई बंद हो जाएगी और उनके परिवार की बढ़ी जरूरतें कैसे पूरी होंगी यह सोचकर वह तबादले के बाद से परेशान हैं जिस कारण उनका स्वास्थ्य खराब हो गया है,क्या वह अन्य जिले जायेगे तो केवल वेतन भत्ते से ही जीना पड़ेगा और जिसमे उनका जीवन निर्वाह परिवार सहित नहीं हो पाएगा इसलिए वह बीमार हैं यह सवाल खड़ा हो रहा है।
अधिकारियों की आंखों में धूल झोंकने के लिए झींगा पर 2 दिन पहले की गई कार्रवाई?
अपनी फजीहत होते देखा पुलिस वालों ने रचा एक खेल झींगा के ऊपर दो दिन पहले 4 से 5 लीटर शराब की तस्करी की कार्यवाही की गई ऐसा लग रहा था कि यह कार्रवाई अधिकारियों की आंखों में धूल झोंकने के लिए है? क्योंकि इसके ऊपर बड़ी कार्रवाई होनी थी उसे पर सिर्फ खाना पूर्ति वाली कार्यवाही ही मानी जा रही है,ताकि अधिकारी पूछे तो यह कह दिया जाए की 2 दिन पहले ही तो उसके ऊपर कारवाई किए हैं,जबकि यह मामला छोटे-मोटे कार्रवाई का नहीं बड़े कार्यवाही का है क्योंकि बड़े स्तर पर अवैध शराब का खेल चल रहा है।