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कोरबा@एसईसीएल परियोजनाओं में बड़ा क्कस्न घोटाला उजागर,219 ठेकेदारों पर लटकी कार्रवाई की तलवार

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कोरबा,30 अप्रैल 2025 (घटती-घटना)। भविष्य निधि कार्यालय (ईपीएफओ) ने साउथ ईस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड (एसईसीएल) की विभिन्न परियोजनाओं में कार्यरत ठेकेदारों द्वारा किए गए बड़े भविष्य निधि (पीएफ) घोटाले का पर्दाफाश किया है। ईपीएफओ की जांच में सामने आया है कि कोरबा की चार और मनेंद्रगढ़ की एक परियोजना में कार्यरत कुल 219 ठेकेदारों ने कर्मचारी भविष्य निधि के नियमों का गंभीर उल्लंघन किया है। इस मामले में दो ठेकेदारों के खिलाफ आपराधिक प्रकरण दर्ज कराया गया है, वहीं 217 अन्य को नोटिस जारी कर जवाब-तलब किया गया है।
ईपीएफओ ने अपनी जांच रिपोर्ट में कहा है कि एसईसीएल के अंतर्गत काम कर रहे बड़ी संख्या में ठेकेदारों ने कर्मचारी भविष्य निधि व विविध उपबंध अधिनियम, 1952 के प्रावधानों का उल्लंघन किए हैं। इन ठेकेदारों ने पात्र कर्मचारियों से काम तो लिए पर उनका न तो पंजीयन कराया और ना ही उनके नियमित योगदान की राशि ही भविष्य निधि कार्यालय में जमा कराए। यही नहीं, उक्त ठेकेदारों ने आवश्यक रिटर्न तक दाखिल नहीं कर कर्मचारियों के हितों का उल्लंघन करते हुए शासन के मद की राशि भी जमा नहीं कर क्षति पहुंचा रहे हैं।
ठेकेदारों ने एसईसीएल के संबंधित परियोजनाओं के कार्यालयों में फर्जी पीएफ चालान प्रस्तुत कर बिना सत्यापन के ही भुगतान प्राप्त करते रहे हैं। ईपीएफओ ने अपनी रिपोर्ट में यह भी कहा है कि कानून की धारा 4 ए के तहत एसईसीएल मुख्य नियोक्ता के रूप में अपने ठेकेदारों की वैधानिक जिम्मेदारियों की निगरानी करने का उारदायी है।
एसईसीएल इस कर्तव्य के निर्वहन में पूरी तरह असफल रहा है और बिना पर्याप्त जांच के ठेकेदारों के बिल पास किए जा रहे हैं। जांच के दौरान 2 गंभीर मामले सामने आए हैं, जिनमें ठेकेदारों ने फर्जी पीएफ चालान प्रस्तुत किए।
कहां-कहां ठेकेदारों
ने किया है उल्लंघन…
मजदूरों के भविष्य निधि के मामले में नियमों का पालन नहीं करने वाले एसईसीएल की 5 परियोजनाओं के ठेकेदार शामिल हैं। इनमें एसईसीएल कोरबा में 10 ठेकेदार, गेवरा में 40, कुसमुंडा में 61, दीपका में 41 ठेकेदारों के साथ ही एसईसीएल की मनेंद्रगढ़ परियोजना में कार्यरत 67 ठेकेदार के नाम हैं, जिन्होंने नियोजित कर्मचारियों के साथ न्याय नहीं किया।
हाईकोर्ट ने दिए यह आदेश 21 मार्च 2025 को छाीसगढ़ उच्च न्यायालय के न्यायाधीश बिभू दाा गुरु की पीठ ने यह निर्देश दिया कि याचिकाकर्ता व्यक्तिगत रूप से पीएफ आयुक्त के समक्ष नया प्रतिवेदन प्रस्तुत करें। प्रतिवेदन प्राप्त होने के बाद पीएफ आयुक्त को 30 दिनों के भीतर मामले का परीक्षण कर कानून के अनुसार निर्णय लेने कहा है। दायर याचिका में उल्लेख किया था कि ठेकेदारों के माध्यम से कार्य करा रहे कर्मचारियों को पीएफ और अन्य सामाजिक सुरक्षा लाभनहीं मिल रहे हैं।
दायर की गई थी याचिका…
गयाप्रसाद पासवान सहित 10 श्रमिकों ने उच्च न्यायालय बिलासपुर में याचिका दायर की थी। इसमें बताया है कि वे एसईसीएल के कोयला परिवहन कार्य में 7 वर्षों से सेवा दे रहे हैं, लेकिन उन्हें पीएफ का लाभ नहीं दिया जा रहा है। उनकी मांग है कि एसईसीएल को पीएफ अधिनियम 1952 की धारा 7ए के तहत कार्रवाई के लिए निर्देशित किया जाए। पूर्व में भी यह मामला एमपी उच्च न्यायालय में उठाया गया था, जिसके बाद श्रमायुक्त ने सुनवाई की थी।
ईपीएफओ ने यह भी स्पष्ट कर दिया है कि यदि निर्धारित समय-सीमा में इन निर्देशों का पालन सुनिश्चित नहीं किया गया, तो एसईसीएल के खिलाफ भारी जुर्माना, याज के साथ-साथ कानूनी अभियोजन की कार्रवाई भी की जाएगी। भविष्य निधि कार्यालय ने सभी ठेकेदारों और संबंधित संस्थानों को सख्त लहजे में चेताया है कि यदि भविष्य में इस प्रकार की अनियमितताएं या श्रमिकों के अधिकारों का उल्लंघन पाया जाता है,तो उनके खिलाफ कठोरतम कार्रवाई अमल में लाई जाएगी।


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