बैकुंठपुर,@पटना नगर पंचायत सीएमओ की मनमानी के विरुद्ध कांग्रेसी पार्षद हुए लामबंद…पहली बैठक का किया बहिष्कार…

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नगर सरकार बनने के बाद पहली ही बैठक का बहिष्कार, कांग्रेस पार्षदों की मांग को नहीं किया सीएमओ ने पूरा जिसके आक्रोश में पार्षदों ने लिया ऐसा निर्णय
सीएमओ नहीं देना चाहते हैं पार्षदों को कोई जानकारी निर्वाचित पार्षदों का वे कर रहे हैं तिरस्कारःकांग्रेसी पार्षद
बिना अलाव जलाए लकड़ी का 3 लाख का उन्होंने किया भुगतान आखिर कहां जलाया गया अलाव,कांग्रेसी पार्षदों का सवाल?
डेढ़ माह में ही कांग्रेस से मोह भांग फिर भाजपा में प्रवेश
-रवि सिंह-
बैकुंठपुर,27 मार्च 2025 (घटती-घटना)।
ग्राम पंचायत से पहली बार नगर पंचायत बने पटना में चुनाव और शपथ ग्रहण सहित पीआईसी गठन के बाद आयोजित पहली ही बैठक में कांग्रेसी पार्षदों ने बैठक का बहिष्कार कर दिया और विभिन्न मुद्दों पर जानकारी न देने और सीएमओ द्वारा मनमानी किए जाने का आरोप लगाकर बैठक से बाहर चले गए। कांग्रेस पार्षदों का आरोप है कि सीएमओ के द्वारा तीन लाख का अलाव जलाने की जानकारी दी गई है जबकि अलाव जलाया ही नहीं गया इतने का वहीं दुकानों के नीलामी की राशि कितनी जमा है,नई भर्ती कब हुई या उसकी वैकेंसी कब निकली,आय व्यय का लेखा प्रस्तुत करने को लेकर पुराने कमर्चारियों के वेतन कटौती और उनके दुर्व्यवहार के संबंध में, ट्रेक्टर किसका चल रहा है उसकी निविदा कब निकली, अटल परिसर में कोई बोर्ड सूचना का नहीं लगा है ठेकेदार का मोबाइल नंबर होना चाहिए, वृद्धावस्था फार्म, प्रधानमंत्री आवास संबंध सहित कई मुद्दों पर सीएमओ की कार्यप्रणाली ठीक नहीं है, कांग्रेस पार्षदों के बहिष्कार के बाद वैसे बैठक चलती रही और नियमानुसार प्रस्ताव पारित भी हुए वहीं बैठक के बीच से केवल कांग्रेस के पार्षद नाराजगी जाहिर कर चले गए। नगर पंचायत पटना में पहली बैठक का विरोध करते समय कांग्रेस के 8 पार्षद मौजूद थे वहीं बताया जा रहा है कि कुछ देर बाद ही एक कांग्रेसी पार्षद भाजपा कार्यालय बैकुंठपुर पहुंचकर भाजपा में शामिल हो गया। कांग्रेस पार्षदों का बहिष्कार इस हिसाब से बेमतलब साबित हुआ।
डेढ़ माह में ही कांग्रेस से मोह भांग… फिर भाजपा में प्रवेश
वार्ड क्रमांक 6 के पार्षद जो कांग्रेस पार्टी से टिकट पाकर निर्वाचित हुए थे कि भाजपा में प्रवेश को लेकर भी तस्वीरें सामने आईं,पूर्व भाजपाई और टिकट न मिलने पर कांग्रेस की टिकट से विजई राजेश सोनी ने अंततः भाजपा में वापसी कर ली और कांग्रेस पटना नगर पंचायत में और भी कमजोर हो गई,एक तरफ बैठक के विरोध में भी नजर आए राजेश सोनी और बाद में उन्होंने जाकर भाजपा कार्यालय में भाजपा प्रवेश भी कर लिया। कुल मिलाकर डेढ़ माह में ही उनका कांग्रेस पार्टी से मोह भंग हो गया या यह कहें उन्हें टिकट की दरकार थी जो कांग्रेस से मिली और भाजपा प्रत्याशी को पराजित कर वह पुनःभाजपा में शामिल हो गए। भाजपा प्रत्याशियों को पराजित करने वाले ही भाजपा को पसंद आने लगे हैं वर्तमान जिलाध्यक्ष के नेतृत्व में कुछ ऐसा ही देखा जा रहा है, ऐसा लगता है कि वर्तमान भाजपा जिलाध्यक्ष को भाजपा समर्थित प्रत्याशियों को ही पटकनी देने वाले या फिर दूसरी पार्टी से भाजपा में शामिल होने वाले ज्यादा पसंद आ गए हैं या फिर आ रहे पसंदहैं? अब अगली बार लगता है कि पूर्व विधायक को भी वह भाजपा में शामिल करके भाजपा से टिकट दिला देंगे?


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