कोरिया@क्या भाजपा में देवतुल्य कार्यकर्ता हुए असुर?

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-जिला प्रतिनिधि-
कोरिया,22 दिसम्बर 2024 (घटती-घटना)। भारतीय जनता पार्टी कभी तालाब थी आज भले ही समंदर बन गई हो लेकिन क्या वह फिर से तालाब बनने की राह तो नहीं चुन रही है? भारतीय जनता पार्टी जिस समय तालाब थी उस समय भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस समंदर थी,आज भले ही भारतीय जनता पार्टी अपने आप को समंदर मान रही है, लेकिन क्या अपने आप को समंदर बनाए रखने के लिए जितना सहनशक्ति रखना चाहिए क्या उतना रख पा रही है भाजपा? यह बात इसलिए हो रही है क्योंकि अभी छत्तीसगढ़ में भाजपा की सरकार है जिस समय छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की सरकार थी उस समय भाजपा सत्ता में आने के लिए उम्र नहीं देख रही थी, अपने संगठन चुनाव में उस समय अपने कार्यकर्ताओं को सत्ता दिलाने के लिए काम करने को कह रही थी, अब जब सत्ता आ गई है तो अब पार्टी के विस्तार में उम्र की बात आज आ गई है,अभी वर्तमान में हो रहे मंडल अध्यक्ष मनोयन को लेकर कुछ ऐसी ही बात सामने आ रही है, अभी तक जितने भी मंडल अध्यक्ष बनाए गए हैं उसे लेकर कुछ ऐसे ही स्थिति निर्मित हो गई है अंदर खाने में भाजपा के नेता ही यह बात कहने लगे हैं कि देवतुल्य कार्यकर्ता अब असुर लगने लगे हैं पार्टी को विधायक को…? क्या यही वजह है कि देवतुल्य कार्यकर्ताओं को दरकिनार कर उम्र की बंदिश रखकर मंडल अध्यक्ष बनाया गया है? मंडल अध्यक्ष भले ही भारतीय जनता पार्टी ने बना लिया है पर इसे लेकर अंदर खाने का विरोध अभी तो नहीं पर आगामी चुनाव में भाजपा को नुकसान पहुंचाएगा, यह भी तय माना जा रहा है क्योंकि भाजपा में सामने से विरोध करने की परंपरा नहीं है अंदर खाने से जब विरोध होता है तो भाजपा को बहुत बड़ी पटकनी मिलती है, कुछ ऐसा ही अंदेशा अभी से लगाया जा रहा है।
भाजपा मंडल अध्यक्ष चुनाव में कोरिया जिले का हाल और बेहाल नजर आ रहा है कोरिया जिले में 7 मंडलों के अध्यक्षों के मनोनयन के दौरान एक भी सामान्य वर्ग का अध्यक्ष न होना एक भी साहू समाज का न होना यह जाहिर करता है कि भाजपा के लिए अब सामान्य वर्ग और साहू समाज की उपयोगिता समाप्त है? वैसे मनोनयन को लेकर एक बात और सामने आई है वह यह की मनोनयन को बेवजह ही निर्वाचन साबित करने का प्रयास किया गया, वहीं पैनल का निर्धारण भी यह सोचकर किया गया कि अपमान मनोनयन के दौरान उसी का हो सके जो पार्टी का सच्चा सिपाही हो सच्चा हितैषी हो। कोरिया जिले में मनोनयन के दौरान मनोनयन हेतु जब नामों का पैनल तैयार किया गया तब उस समिति में उन्हें रखा गया जो विधायकों के करीबी थे जिन्हें विधायकों ने अपनी भड़ास की छूट दी थी और जो उन्होंने उन देवतुल्य कर्मठ कार्यकर्ताओं पर निकाली जो पार्टी के लिए हर स्थिति में तैयार रहते थे। खैर अपमानित किए गए पैनल में शामिल अध्यक्ष पद का खुद को संभावित दावेदार मान रहे देवतुल्य कार्यकर्ताओं की बात करें तो उन्हें आभास भी नहीं हुआ कि उन्हें केवल अपमानित करने ही पैनल में रखा गया, शेष जिन्हें अध्यक्ष मनोनीत किया जाना था उन्हें पता था क्योंकि उन्हें अपनी क्षमता से ज्यादा अपनी सिफारिश पर भरोसा था।
भारतीय जनता पार्टी को संगठन को लेकर काफी बारीकी से सोचने की जरूरत
राजनीतिक जानकारों का मानना है कि भाजपा को सब संगठन को लेकर काफी सोचने की जरूरत है। भाजपा में अब वह विचार संगठन मामले में नहीं उपयोग किया जा रहा है जो उसकी विशालता का कारण बना है। भाजपा के अंदर उपेक्षा अनादर जैसा विषय पहले नहीं हुआ करता था लेकिन अब ऐसा होने लगा है। भाजपा में यदि देवतुल्य कार्यकर्ताओं के मामले में ऐसा ही होता रहा उन्हें उपेक्षित और सार्वजनिक रूप से अपमानित किया जाता रहा भाजपा का हाल भी अच्छा नहीं रहने वाला इसलिए भाजपा को संगठन को लेकर सोचना होगा और सत्ता का दंभ छोड़कर कार्यकर्ता देवतुल्य कार्यकर्ता का सम्मान करना होगा।
विधायक,सांसद,मुख्यमंत्री व प्रधानमंत्री की आयु सीमा 75 वर्ष है,मंडल अध्यक्ष की 45 क्यों?
मंडल अध्यक्ष के मनोनयन में पहली बार उम्र सीमा का निर्धारण था। 45 वाला ही मंडल अध्यक्ष के पद के लिए पात्र होगा यह तय था। जब पार्टी संविधान अनुसार प्रधानमंत्री और सांसद विधायक 75 वर्ष के हो सकते है तो मंडल अध्यक्ष 45 का ही होगा यह कैसा न्याय है। कुलमिलाकर बड़े नेता अपने लिए रास्ता बना ले रहे हैं छोटों के लिए वह रास्ता नहीं बना रहे हैं रास्ता छोटा कर रहे हैं। अलग अलग नियम के साथ चल रहा है भाजपा में सबकुछ किसी के लिए कुछ किसी के लिए कुछ।
भाजपा राजनीतिक पार्टी है या फिर आरएसएस ही भाजपा?
भाजपा एक राजनीतिक पार्टी है और आरएसएस राजनीतिक पार्टी के रूप में जानी पहचानी जाती है ऐसा अभी सामने नहीं आया है। इस बार के मनोनयन में मंडल अध्यक्षों के यह बात भी सामने आई कि उन्हें ही मंडल अध्यक्ष बनाना है जो आरएसएस प्रशिक्षित हैं। सवाल यह उठता है कि आरएसएस की एक अपनी अलग पहचान है जो राजनीतिक पहचान नहीं है, भाजपा राजनीतिक पार्टी है और भाजपा से जुड़ा कोई व्यक्ति आरएसएस प्रशिक्षित ही हो ऐसा अभी तक तो अनिवार्य नहीं था। अब ऐसे में किसी को यह कहकर तिरस्कृत करना की वह आरएसएस प्रशिक्षित नहीं है क्या भाजपा के देवतुल्य कार्यकर्ताओं के साथ अन्याय नहीं है?
क्या भाजपा का अच्छा समय अब खत्म होने वाला है?
भाजपा में अनुशासन और कार्यकर्ताओं का सम्मान पहली प्राथमिकता होती थी,इसलिए वह सफल हुआ करती थी। अब वैसा नहीं है, अब कार्यकर्ता की बजाए बड़े और निर्वाचित नेता ही यह तय करते हैं कि कौन किस पद में जाएगा और किसे लगातार अपमानित करके पार्टी से किनारे जाने मजबूर करना है। व्यापारियों और दो नंबरियों की पूछ परख और उनकी धमक पार्टी में बढ़ी। सच बोलने और अपनी बात रखने वाले लोगों के लिए पार्टी ने बाहर जाने का बोर्ड लगा रखा है। अब पार्टी का भविष्य सफलता वाला ज्यादा लंबा नहीं है यह कहना गलत नहीं होगा। देवतुल्य कार्यकर्ताओं की उपेक्षा के बाद अब ऐसा लगने लगा है कि भाजपा का अच्छा समय अब कुछ दिनों का है और वह समुद्र बनकर खारा होने की राह पर है जहां विशालता के बावजूद उसकी उपयोगिता नहीं है।
सरगुजा संभाग के सभी जिलों में मंडल अध्यक्ष के चुनाव को लेकर असंतोष क्यों?
सरगुजा संभाग के सभी मंडलों के मंडल अध्यक्षों के मनोनयन के दौरान लगभग हर जगह से असंतोष की खबर सामने आ रही है। बताया जा रहा है कि अधिकांश जगह ऐसे लोगों को मंडल अध्यक्ष बनाया गया है जो पद की महत्ता ही नहीं साबित कर पाएंगे,और रबर स्टाम्प बनकर काम करेंगे। कहा जाए तो रबर स्टाम्प बनकर काम करने वालों को ही मौका मिला है और जो योग्य और जुझारू थे उनपर गंभीर आरोप लगाकर उन्हें अयोग्य करार किया गया है। बताया जा रहा है कि अयोग्य बनाने और देवतुल्य का सार्वजनिक अपमान करने के लिए मनोनयन के दौरान उन्हें जिन्हे मनोनीत नहीं किया गया बुलाकर बैठाया गया और उन्हें यह जताया गया कि वह अयोग्य हैं और तिरस्कार से वह इस बात को समझ ले जान लें।


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