बैकुण्ठपुर@राष्ट्रीय राज्यमार्ग के बिल्कुल किनारे लकड़ी का गोदाम बनाने की अनुमति किसने दी?

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-रवि सिंह-
बैकुण्ठपुर,23 नवम्बर 2024 (घटती-घटना)। इस समय लकड़ी माफिया काफी सक्रिय हो गए हैं जो दूसरे राज्यों से आकर कोरिया जिले में लकड़ी का अवैध कारोबार कर रहे हैं, जहां दिखता है यूकेलिप्टस का पेड़ वह वहां पहुंच जाते हैं कटाई करने, यूकेलिप्टस पेड़ को काटने की अनुमति है पर एक छोटी सी फॉर्मेलिटी होती है जो है एसडीएम से लेनी पड़ती है पर बिना अनुमति लिए ही रोज यूकेलिप्टस के हजारों पेड़ काटे जा रहे हैं ऐसे ऐसे उपकरण लेकर माफिया आए हैं की प्रतिदिन हजारों की तादाद में लकड़ी काटी जा रही है यूकेलिप्टस की आड़ में अन्य इमारती लकडि़यों को भी काट कर दूसरे राज्य भेजा जा रहा है, बड़े पैमाने पर यह कारोबार इस समय कोरिया जिले में संचालित हो रहा है यह सूत्रों का दावा है,वह भी नेशनल हाईवे के किनारे जहां पर इस समय काफी मात्रा में पेड़ के कटे हुए तने इकट्ठा है।
सूत्रों की माने तो राजस्थान पेड़ों को भेजा जा रहा है और यूकेलिप्टस के पेड़ो के साथ ही अन्य पेड़ों की भी कटाई हो रही है और जो बड़े पैमाने पर हो रहा है। वैसे सूत्रों का कहना अपनी जगह है आजकल यह अमाचर्चा है जिले में की क्या कोरिया जिले को हरियाली विहीन करने के लिए वृक्ष विहीन करने के लिए प्रशासन की मौन सहमती मिली हुई है। आजकल कोरिया जिले के जिला मुख्यालय से कुछ दूरी पर ही सड़कों पर बाहर से आए ट्रैक्टरों का आवागमन बढ़ा है और उन ट्रैक्टरों की बनावट देखकर ही कहा जा सकता है कि वह विशेष तरीके से डिजाइन किए गए ट्रैक्टर हैं जो कहीं न कहीं लकड़ी माफियाओं के ही ट्रेक्टर हैं जो उनकी गाडि़यों की चाल से भी पता चलता है। ट्रेक्टर से बाहर के लोग जिन्हे लोग माफिया बता रहे हैं पेड़ों को काटकर ढोकर वह एक जगह लाकर वह भी नेशनल हाईवे के किनारे लकड़ी इक्कठा करते हैं वहीं उसी जगह से लकड़ी फिर बड़े बड़े ट्रकों में लादी जाती है और जिसके लिए भी बड़ी महंगी मशीनें लगाई गई हैं। जिले में जारी इस व्यापार को लेकर यह भी समझ में नहीं आ रहा है या इसकी भी जानकारी नहीं मिल रही है कि इतने बड़े पैमाने पर लकड़ी काटने और अन्य राज्य भेजने की अनुमति कौन दे रहा बड़ी तेजी से क्योंकि आम आदमी इतनी जल्दी अनुमति नहीं पा सकता क्योंकि उसे दौड़ते ही महीने लग जाएंगे या कई महीने। माना जा रहा है कि लकड़ी काटने की अनुमती जारी करने में भी काफी कुछ तय किया जा चुका है और जिसमे प्रशासन भी मौन रहने अपनी हिस्सेदारी तय कर चुका है।

क्या कोरिया जिले को हरियाली विहीन करने की जारी है तैयारी?
कोरिया जिले के जिला मुख्यालय से लगे एक ग्राम क्षेत्र में जो नेशनल हाईवे से जुड़ा ग्राम है में बड़ी मात्रा में लकड़ी काटकर जिलेभर से लाया जा रहा है और जहां से लकड़ी अन्य राज्य को भेजा जा रहा है। लकड़ी काटने और बाहर भेजने की गति को देखने से यही प्रतीत होता है कि लकड़ी इस स्तर पर काटा जाना है कि जल्द से जल्द जिला कोरिया वृक्ष विहीन हो जाए। अब ऐसा कौन चाहता है और बाहर से अन्य राज्यों से माफियाओं को किसने जिले में बुलाया है यह अभी ज्ञात नहीं है,फिर भी मामले में बड़े स्तर पर लकड़ी का काम करने वाले राष्ट्रीय स्तर के लकड़ी माफियाओं का हांथ है संलिप्तता है यह बताया जा रहा है।


प्रशासन को मौन बनाए रखने वरिष्ठ जिला अधिकारी की भूमिका प्रमुख हैःसूत्र
सूत्रों का कहना है कि पूरे मामले में लकड़ी काटने की अनुमति जल्द से जल्द जारी करवाने वहीं बिना अनुमति भी लकड़ी काटकर परिवहन करवाने के लिए एक जिला अधिकारी की जिम्मेदारी तय है। अब इस बात की सच्चाई की पुष्टि दैनिक घटती घटना नहीं करता लेकिन सूत्रों की माने तो जिला अधिकारी का काम है कि जिला प्रशासन मौन रहे वहीं अनुमति पेड़ो की कटाई की जल्द से जल्द जारी होती रहे। अब जिला अधिकारी कौन है और किसे जिम्मेदारी मिली है इस कार्य की वह सूत्र नाम नहीं बता रहे।
यूकेलिप्टस के साथ अन्य पेड़ों की भी कटाई जारी है
यूकेलिप्टस के ही पेड़ो की कटाई और ढुलाई नहीं हो रही है। सूत्रों की माने तो अन्य पेड़ों जिसमें ऐसे पेड़ जिन्हें काटना प्रतिबंधित है उन पेड़ो की भी कटाई ढुलाई हो रही है। यूकेलिप्टस के पेड़ो के साथ ही अन्य पेड़ों की कटाई ढुलाई की जा रही है। इस बात की भी पुष्टि दैनिक घटती घटना नहीं करता लेकिन पेड़ो की कटाई और ढुलाई की गति और उनकी बाहर राज्य को भेजने की गति बताती है कि जिले में इस तरह का व्यापार आम व्यक्ति या व्यापारी नहीं कर सकता यह कोई बड़ा माफिया सरगना समूह ही काम कर सकता है।
ट्रैक्टरों की कतार वह भी अन्य राज्यों की टैक्टरें,कतार ऐसी की टूटती ही नहीं घंटों
लकड़ी माफियाओं की ट्रेक्टर जो लकड़ी काटकर एक जगह इक्कठा कर रही है जो अन्य राज्य की है उनकी कतार सड़क पर टूटती नजर नहीं आती है। कतार के हु साथ साथ यदि उनकी गति की बात की जाए तो वह भी इतनी तेज होती है कि वह जल्द रुक जाएं संभव नहीं। वैसे लकड़ी के परिवहन के दौरान उसमें लदी लकडि़यों की मात्रा भी इतनी होती है कि वह सड़कों पर वाहन की भार सहन क्षमता अनुसार सही है कहना सही नहीं होगा। ट्रैक्टरों में क्षमता से अधिक लकड़ी लादकर ट्रेक्टर चल रहे हैं और यदि कोई उनके आसपास गलती से आया उसका दुर्घटना भी होना तय है।


परिवहन विभाग भी मौन,यातायात विभाग भी मेडल और ख्याति बघारने तक सीमित
परिवहन विभाग यातायात विभाग की नजर क्यों नहीं पड़ रही है यह भी विचार करने वाली बात मानी जा रही है। परिवहन विभाग जो ऐसे तो काफी सक्रिय है और जाहिर करता है सक्रियता वह ट्रैक्टरों पर भारी और क्षमता से अधिक लकड़ी लादकर तेज गति से चलती ट्रैक्टरों पर कार्यवाही के दौरान क्यों नजर नहीं आ रही है ,क्यों अनदेखा कर रहा है परिवहन विभाग इन ट्रैक्टरों को वहीं क्या ट्रैक्टरों को जिस तरह से वह या उनके डाले बने हैं वह सही हैं परिवहन नियम अनुसार यह जांच कार्यवाही क्यों नहीं कर रहा है परिवहन विभाग।यातायात विभाग जिले का भी मौन है केवल ख्याति और मेडल तक की ही चाहत तक यातायात विभाग का काम है। दोपहिया वाहन चालकों तक ही उनकी जिम्मेदारी है। क्या अन्य राज्यों के ट्रैक्टरों को लेकर कोई जिम्मेदारी नहीं परिवहन विभाग या यातायात विभाग की यह भी सवाल खड़ा है? वैसे बिना नम्बर प्लेट के भी हैं अधिकांश ट्रेक्टर और इस ओर भी किसी का ध्यान नहीं है। क्या सब कुछ तय है सेट है यह भी आज कल चर्चा है?
लकड़ी माफिया के लिए कोरिया बना अंतरराष्ट्रीय हब
अभी तक कोयला, जुआ और कबाड़ के लिए कोरिया जिला प्रसिद्ध था वहीं पटना पुलिस थाना क्षेत्र इसलिए लिए ख्याति प्राप्त था वहीं अब यहां लकड़ी का भी अवैध कारोबार शुरू हो गया है। अब यह जिला लकड़ी के लिए अंतर्राज्यीय जब बन चुका है। कोरिया जिले से लकड़ी राजस्थान भेजा जा रहा है।
सिर्फ साल में एक बार याद आती है पेड़ लगाने की, पेड़ पूरे साल काटे जाते हैं
पेड़ काटने की बात की जाए तो साल भर पेड़ काटे जा रहे हैं। और पेड़ लगाने की बात की जाए साल में एक बार ही पेड़ लगाए जाते हैं वह भी पेड़ जीतने लगाए जाते हैं उससे कहीं ज्यादा दिखावा होता है। फोटो खिंचाया जाता है आयोजन होते हैं शपथ लिया जाता है। यह शपथ सबसे ज्यादा जनप्रतिनिधि और अधिकारी लेते हैं वहीं जब पेड़ो की कटाई होती है तब यह शपथ वही लोग भूल जाते हैं और या तो पेड़ों को काटने वालों को वह मौन सहमती देते हैं या वह अनुमति जारी करते हैं। वैसे शपथ का एक भी प्रतिशत वह निभाएं तो पेड़ों को काफी हद तक माफियाओं से बचाया जा सकता है। वैसे पेड़ों को यदि वर्ष भर काटने की अनुमति दी जा रही है तो लगाने का भी अभियान वर्ष भर चलना चाहिए।

लकड़ी माफिया कोरिया को बना देगे दिल्ली:अरविंद सिंह
जस तरह दिल्ली प्रदूषण की चपेट में है और गर्मी में तपती है ठीक उसी तरह कोरिया का भी हाल हो जाएगा, दिल्ली में पेड़ नहीं है इस वजह से यह स्थिति है, और जहां पेड़ है वहां दिल्ली बनाने का प्रयास लकड़ी माफिया कर रहे हैं, हरे भरे पेड़ों को जिस तरीके से काटा जा रहा है, वाटर लेवल काम हो रहा कहकर यूकेलिप्टस के पेड़ की अंधाधुंध कटाई की जा रही है, हर सवाल यह है कि जब यूकेलिप्टस के पेड़ से वाटर लेवल खराब होता है तो फिर इसे लगाने पर ही प्रतिबंध क्यों नहीं लगाया गया? वन विभाग खुद इस पेड़ को पहले लगता था।


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