दो नंबर का काम ऐसी ही नहीं करता,पुलिस नेता व 41 पत्रकार को देता हूं तब जाकर डंके की चोट पर करता हूं:कथित सटोरिया
सट्टा व जुआ खिलाने वाले मालामाल पर खिलाने वाले की वजह से कई घर तबाह, जिम्मेदार कौन?
सट्टा व जुआ खिलाने वाले बड़े गर्व से कहते हैं किसी के खबर प्रकाशित करने से यदि काम हुआ बंद तो पत्रकार की खैर नहीं
किसी इमानदार पुलिस वाले की वजह से काम हुआ बंद तब क्या करेंगे सटोरिया व जुआ खिलाने वाले क्या उनसे भी करेंगे मारपीट?
अवैध काम में संलिप्त लोगों को कहां से मिलती है इतनी हिम्मत की धमकी देने से भी नहीं आते बाज
क्या सट्टा व जुआ खिलाने वाले का एक ही काम घरों कि सुख शांति खराब करना घरों में घरेलू हिंसा पैदा करना?
साटोरियो के ठिकानों पर कब चलेगा प्रशासन का बुलडोजर?

–रवि सिंह –
मनेन्द्रगढ़ 30 जनवरी 2023 (घटती-घटना)। एमसीबी जिले के मनेर्द्गढ़ शहर में साल के 12 महीने सट्टा व जुआ का अवैध कारोबार होता है और इस अवैध कारोबार की वजह से कई घरों की सुख शांति छीन जाती है, घरों में घरेलू हिंसा उत्पन्न हो जाती है पर इससे सट्टा व जुआ खिलाने वाले को क्या फर्क पड़ता है, क्योंकि उनकी कमाई तो घरेलू हिंसा के बीच हो ही रही है विडंबना यह है की जुआ व सट्टा की आड़ में अच्छे-अच्छे घरों की स्थिति बद से बदतर हो चली है परिवार परेशान है कैसे इस लत से अपने बच्चों को बाहर निकाले, कम उम्र में कई घरों के बच्चे रोजगार की तलाश में शॉर्टकट से पैसे कमाने के चक्कर में इस सामाजिक बुराइयों के बीच ऐसे फस गए हैं कि निकल भी नहीं पा रहे हैं जबकि और इस दलदल में फंसते जा रहे हैं जिस वजह से घरों के समान तक बिक जा रहे हैं पर इससे सट्टा व जुआ खिलाने वाले को क्या फर्क पड़ता, फर्क तो उन्हें भी नहीं पड़ता जो इन अवैध कारोबार को बंद कराने के लिए तनख्वाह उठा रहे हैं ऐसे कार्यों के लिए पुलिस विभाग गठित है पर कहीं न कहीं उनकी भी जेब भी इन सटोरियों व जुआरियों के द्वारा भर दी जाती है, वही चुने हुए जनप्रतिनिधि इन्हें संरक्षण दे देते हैं फिर इस दलदल से निजात मिले तो मिले कैसे? जब अवैध कारोबार करने वाले को ही पुलिस और नेता का संरक्षण मिल जाए और ऊपर से पत्रकारों का भी सहयोग हो जाए तो फिर क्या फिर तो बड़ी-बड़ी बातें व धमकियां देना तो सटोरियों व जुआ खिलाने वालों का धर्म व करतब बन जाता है कुछ ऐसा ही मामला मनेन्द्रगढ़ शहर के एक चर्चित सटोरिया व जुआ खिलाने वाले से जुड़ा है जो डंके की चोट पर एक पत्रकार के सवाल पर कहता है की ऐसे ही दो नंबर का काम नहीं कराता हूं पुलिस नेता से लेकर 41 पत्रकारों को भी महीने देता हूं इसके बाद भी यदि कोई पत्रकार खबर छाप कर मेरा काम बंद कर आता है तो फिर मैं उस पत्रकार से मारपीट करने से भी पीछे नहीं हटूंगा, अब सवाल यह है कि आखिर इतनी हिम्मत दो नंबर के काम कराने वाले में कहां से मिलती है? क्या पुलिस व नेता इन्हें यह हिम्मत देते हैं या फिर वह 41 पत्रकार जिन्हें यह हर महीने देता है? इतने लोगों को देखकर इतने लोगों को सेटिंग कर कर आखिर यह आदमी कितने घरों को बर्बाद करता है? इसका आकलन क्या 41 पत्रकार, पुलिस व नेता कर पाएंगे?
पत्रकार को धमकाना आम बात हो चली है क्या पुलिस को भी धमका पाएंगे?
लोकतंत्र का चौथा स्तंभ कहे जाने वाले पत्रकार ढोलक हो चुका है जो चाहे वह बजा कर चला जाए जो इस समय होता भी दिख रहा है, प्रशासन की कमियों को प्रकाशित करें तो प्रशासन के टारगेट में पत्रकार, पुलिस की कमियों को प्रकाशित करें तो पुलिस प्रशासन के टारगेट में पत्रकार, नेताओं की कमियों को प्रकाशित करें तो नेताओं के टारगेट में पत्रकार, अवैध कारोबारियों की खबर प्रकाशित करें तो अवैध कारोबारियों के टारगेट में पत्रकार, अब सवाल यह है कि आखिर पत्रकार क्या टारगेट में रहने के लिए ही खबर प्रकाशित करें? जिस कदर पत्रकारों को अवैध कारोबारी धमका रहे हैं क्या पत्रकार खबर प्रकाशित नहीं करेगा और कोई पुलिस वाला ही उनका कारोबार बंद करा देगा तो क्या पुलिस वाले को भी धमका पाएंगे यह अवैध कारोबारी? या फिर सिर्फ खबर प्रकाशन से अवैध कारोबार बंद होने पर ही पत्रकारों के साथ होगी मारपीट? जबकि पत्रकार सिर्फ खबर प्रकाशित कर सकता है ना कि अवैध कारोबारियों का काम बंद करा सकता है? काम बंद करना तो पुलिस प्रशासन काम है फिर भी पत्रकार अपने कर्तव्यों का निर्वहन करते हुए सिर्फ खबर प्रकाशन कर संबंधित विभाग को जानकारी देने का काम करता है पर यदि इस जानकारी देने के बाद भी उसकी आफत बढ़ती है तो फिर समझ लीजिए की स्थित क्या?
ज्यादा से ज्यादा खबर लगा कर मेरा धंधा बंद करवा सकते हो, अगर मेरा धंधा बंद हुआ फिर देख लेना
मनेंद्रगढ़ में सट्टा खिलाने के नाम पर चर्चित एक व्यक्ति से एक पत्रकार ने सवाल किया कि आप अवैध धंधा कैसे करते हो तब उसने ने कहा मैं दो नंबर का काम ऐसे नहीं करता हूं डके चोट पर करता हूं 41 पत्रकारों को मैनेजमेंट करता हूं साथ ही कुछ नेताओं के दम पर दो नंबर का काम कर रहा हूं आप ज्यादा से ज्यादा खबर लगा कर मेरा धंधा बंद करवा सकते हो अगर मेरा धंधा बंद हुआ फिर देख लेना मैं आपके साथ मारपीट करने पर उतर जाऊंगा खुलेआम पत्रकार को दिया धमकी यह समझा जा सकता है कि कहीं ना कहीं इसे संरक्षण तो प्राप्त है।
साटोरियो के ठिकानों पर आखिर पूरी तरह से प्रशासन कब चलाएगी बुलडोजर?
मनेंद्रगढ़ की पुलिस प्रशासन इतनी ही पाक साफ है तो फिर सटोरियों के ठिकानों पर बुलडोजर क्यों नहीं चला पाती या फिर कहा जाए तो कार्यवाही क्यों नहीं करती? जहां पर मुख्यमंत्री ने भी ऐसे कारोबार को लेकर नाराजगी जता चुके हैं और कार्यवाही के निर्देश दे चुके हैं उसके बावजूद इस प्रकार का काम संचालित होना कहीं ना कहीं पुलिस प्रशासन पर सवालिया निशान तो खड़ा करता ही है पर क्या सवाल सिर्फ सवाल तक ही रहेगा या फिर पुलिस प्रशासन कार्यवाही कर जवाब भी देगी या फिर अपने ऊपर लग रहे आरोप को स्वयं से कार्यवाही ना करके मुहर लगाएगी कि इनके ऊपर जो आरोप लग रहे हैं वह कहीं न कहीं सही है जिस वजह से कार्यवाही नहीं हो रही?
अवैध कारोबार को लेकर एमसीबी की पुलिस झेल रही है बदनामी का दंश
अविभाजित कोरिया के समय से ही मनेंद्रगढ़ अवैध कारोबार को लेकर हमेशा सुर्खियों में रहा लोगों को लगा कि अब नवीन जिले के बाद अवैध कारोबार पर पूरी तरह से अंकुश लग जाएगा क्योंकि वहां पर स्वयं पुलिस अधीक्षक बैठेंगे और उनका क्षेत्र छोटा होने की वजह से वह बहुत अच्छे से अवैध कारोबार पर नजर रख इसे बंद करा पाएंगे पर ऐसा होता नहीं दिख रहा लंबे समय से मनेंद्रगढ़ अवैध कारोबार को लेकर बदनामी की दंश झेल रहा है पर सवाल यह उठता है की बदनामी का दंश पुलिस प्रशासन झेल सकती है पर क्या अवैध कारोबार बंद नहीं करवा सकती? क्या बदनामी दंश ही अच्छा है क्योंकि कारोबार बंद हो गया तो कमाई भी बंद हो जाएगी। क्या इसलिए पुलिस प्रशासन बदनामी को दरकिनार कर कमाई पर दे रहा ध्यान?
दाऊआ मोरो 10 रुपया लगा दे 800 के जुगाड़ हुई जाई…
मनेंद्रगढ़ में इन दिनों 1 का 80 बनाने वाली जादुई पर्ची जोरों पर कट रही है। सूत्रों के आधार पर मिली जानकारी के अनुसार खुलेआम सट्टा पत्ती कटने से बेरोजगार युवकों में सारे काम छोड़ कर एक का 80 बनाने में लगे हुए हैं। जिसमें मेहनत की कमाई शार्टकर्ट से कमाने के चक्कर में लूटा रहे युवक आमतौर पर जहां जुएं और सट्टे का कारोबार होता है वहां के युवा पीढ़ी पूरी तरह से निगम में और असहाय होती जाती है युवाओं में बिना मेहनत के पैसा कमाने के लत से पहले अपने घर से चोरी कर पैसा लगाते हैं जब हारते हैं तो आस-पड़ोस के घरों मोहल्लों में चोरी कर एक एक धनवान बनने के लालच में पूरी तरह से निकम्मे और चोर तथा आदतन अपराधी बन जाते हैं।
कहां-कहां कटती है पत्तियां?
आमतौर पर शहर के मुख्य अड्डों पर सट्टे के सरगना कथित पंकज नामक व्यक्ति द्वारा पत्तियां कटवाई जाती हैं जिसमें मुख्य रुप से रेलवे स्टेशन चौक, फाटक के पास, बस स्टैंड, चनवारीडान्ड, आमाखेरवा जैसे मुख्य अड्डा है जगह बैठकर सट्टा पटिया का काम जोरों पर चल रहा है। कथित पंकज नाम का व्यक्ति मनेंद्रगढ़ में सट्टा खिलाने के नाम पर फेमस है।
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