- नगरपालिका अध्यक्ष मनेंद्रगढ़ ने महाराणा प्रताप व बिसाहूदास महंत को बराबर का बताया
- महाराणा प्रताप व बिसाहूदास दोनों ही महापुरुष कहना है नगरपालिका अध्यक्ष का
- महाराणा प्रताप से बिसाहूदास महंत की तुलना करना कितना सही अब यह तो नगरपालिका अध्यक्ष ही जाने?
- अपने नेता को खुश करने और उनके पिता की मूर्ति स्थापित कर चौक का नामकरण करने अध्यक्ष की मंशा है स्पष्ट
- महाराणा प्रताप चौक में महाराणा प्रताप की मूर्ति लगाने का नहीं हुआ है कोई प्रस्ताव
- मुगलों से लड़ने वाले महाराणा प्रताप को लेकर नहीं दिख रही नगरपालिका अध्यक्ष मनेंद्रगढ़ में ज्यादा श्रद्धा

-रवि सिंह-
मनेंद्रगढ़ 1 दिसम्बर 2022 (घटती-घटना)। मनेंद्रगढ़ नगरपालिका में हुए प्रस्ताव जिसमें महाराणा प्रताप चौक का नामकरण बिसाहूदास महंत चौक किये जाने का निर्णय लिया गया है साथ ही बिसाहूदास महंत जो विधानसभा अध्यक्ष चरणदास महंत के पिता हैं व क्षेत्रीय सांसद के स्वशुर हैं कि मूर्ति महाराणा प्रताप चौक पर लगाये जाने का निर्णय जो लिया गया है उसमें मनेंद्रगढ़ नगरपालिका की अध्यक्ष का नया बयान सामने आया है, उन्होंने दोनों को ही महाराणा प्रताप व बिसाहूदास महंत को महापुरुष बताते हुए दोनों का ही सम्मान करने की बात कही है और उनका कहना है कि दोनों का अपनी अपनी जगह देश व समाज के लिए योगदान है और दोनों महान हैं। मनेंद्रगढ़ नगरपालिका अध्यक्ष का यह बयान तो सही है कि दोनों महापुरुष हैं और दोनों का योगदान भी देश व समाज के लिए है लेकिन सवाल यह उठ रहा है कि जब दोनों महान हैं तो जिस चौक का नाम पहले से ही महाराणा प्रताप चौक है वहां मूर्ति लगाने का प्रस्ताव यदि लाना ही था तो महाराणा प्रताप की मूर्ति लगाए जाने का प्रस्ताव लाना था बिसाहूदास महंत की मूर्ति स्थापित कर चौक का नामकरण कहीं और किया जा सकता था, लेकिन ऐसा नहीं किया गया और बिसाहूदास महंत की मूर्ति महाराणा प्रताप चौक में लगाने का प्रस्ताव पारित किया गया क्योंकि वह उनके बड़े नेता के पिता हैं और ऐसे में उन्हें इसका राजनीतिक लाभ मिल सकता है।
क्या महाराणा प्रताप को लेकर उनके मन मे कोई श्रद्धा नहीं है?
महाराणा प्रताप को यदि महान मानती वह तो उनके द्वारा महाराणा प्रताप की मूर्ति स्थापित किये जाने पर भी विचार किया जाता और आज नहीं बहोत पूर्व यह विचार कर लिया जाता जो नहीं किया गया और जिससे साबित हुआ महाराणा प्रताप को लेकर उनके मन मे कोई श्रद्धा नहीं है और उनके नाम से स्थापित बिना मूर्ति वाले चौक का अब अलग नामकरण कर वह महाराणा प्रताप का नाम ही शहर से विलुप्त करने की कोशिश में हैं जो दिख रहा है।
नेता प्रतिपक्ष के अलावा कोई भी चौक का नामकरण व अलग नाम से करने का विरोध नहीं कर रहा है
महाराणा प्रताप चौक के नाम परिवर्तन व चौक में बिसाहूदास महंत की मूर्ति स्थापना मामले में विरोध भी कोई विशेष दर्ज नहीं हो रहा है और नेता प्रतिपक्ष के अलावा कोई सामने आकर चौक का नामकरण अलग नाम से करने का विरोध नहीं कर रहा है जिससे यह भी साबित हो रहा है कि शहर में ही महाराणा प्रताप के देश के लिए योगदान को लेकर कोई उनके प्रति आस्था व श्रद्धा नहीं रखता और यही वजह है कि नगरपालिका में ऐसा प्रस्ताव पारित हो गया है। वैसे नगरपालिका ने अन्य चौक जो शहर में स्थित हैं वहां कई महापुरषों की मूर्ति लगाए जाने का प्रस्ताव भी पारित किया है लेकिन एक चौक जो महाराणा प्रताप चौक के नाम पर जाना जाता था उसी को लेकर नगरपालिका को दिक्कत थी और अब उसका नामकरण अलग किया जाएगा जो बिसाहूदास महंत चौक होगा यह तय हो गया है।
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