बैकुण्ठपुर @किराये के जर्जर भवन में दशकों से संचालित है उप डाकघर पटना

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  • भारत सरकार की सबसे भरोसेमंद संस्था भारतीय डाकघर पुराने ढर्रे पर…आम आदमियों के लिए बनी मुसीबत
  • जहां सारे संस्था समय के साथ अपडेट हो रहे हैं वही आज भी भारतीय डाकघर पुराने ढर्रे पर ही।
  • भारतीय डाकघर का उप डाकघर पटना शाखा करोड़ों रुपए की आय करने के बावजूद लोगों को नहीं दे पा रहा बेहतर सुविधा।

-रवि सिंह –
बैकुण्ठपुर 19 नवम्बर 2022 (घटती-घटना)।
भारत सरकार की सबसे भरोसेमंद संस्था में भारतीय डाकघर का नाम आता है भारतीय डाकघर भारत सरकार की सबसे विश्वसनीय संस्था में से एक है और सारे जगहों पर इसकी शाखा मिल जाती है, आम जनमानस में लोगों को भारतीय डाक पर भरोसा भी खूब होता है पर जब सुविधाएं की बात आती है तो भारतीय डाक बाकी संस्थो के मुताबिक पीछे हो जाता है इसका जीता जागता उदाहरण पटना का उप डाकघर है जहां प्रति महीने करोड़ों की आय डाकघर को होती है इसके बावजूद यहां पर पैसा जमा करने वाले व निकालने वालों को काफी समस्या होती है इसमें सबसे बड़ी समस्या है इंटरनेट की और दूसरा भारतीय डाकघर की जहां हमेशा लिंक फेल होने की बात आती है, वही सुरक्षा की दृष्टि से भी इस शाखा में बहुत कुछ अच्छा नहीं है।
कोरिया जिले के ग्राम पटना स्थित उप डाकघर किराये के जर्जर भवन में कई दशकों से संचालित है। भवन की जर्जर स्थिति और पुराने जमाने की पटाव वाली खपरैल भवन रहने के कारण जहां हादसे कि आशंका बनी हुई है वहीं डाकपाल सहित सभी कर्मी खौफ के साये में कार्य करने को विवश हैं। आमलोगों के लिए महत्वपूर्ण यह डाक विभाग आज के जमाने भी अपनी बदहाली पर आंसू बहाने पर विवश है। कार्य अवधि कै दौरान आम लोगों की भी भीड़ लगी रहती है यदि कोई हादसा हुआ तो इसका जिम्मेदार कौन होगा। विदित हो कि पटना उप डाकघर छाीसगढ़ राज्य गठन होने के पूर्व 1987 से लेकर वर्तमान तक किराये के एक खपरैल भवन में संचालित है जिसकी स्थिति जर्जर हो गई है, परन्तु जिम्मेदारों द्वारा स्थिति सुधारने की दिशा में अब तक कोई कार्य नहीं किया गया है। ऐसा नहीं है कि उप डाकघर पटना भवन कि स्थिति को लेकर डाकपालों द्वारा विभागीय अधिकारियों को अवगत नहीं कराया गया है। बल्कि बारहाँ कराया है, बावजूद इसके विभाग भवन उपलध कराने को लेकर गंभीर नहीं हो पा रहा है।
छोटे से जर्जर भवन मेंउप डाकघर कई दशक से संचालित
पटना डाकघर मे कार्यरत उप डाकपाल  बताते हैं कि किराये पर लिए गये छोटे भवन में यह उप डाकघर कई दशक से संचालित है, इसकी जर्जर स्थिति क्षेत्र के लोगों से छुपी हुई नही है। ऐसी स्थिति में हमें कार्य निष्पादन में कई परेशानियों का सामना करना पड़ता है, तथा किराया कम रहने के कारण भवन मालिक भी मरम्मत नहीं करते हैं। परिणाम स्वरूप सभी कर्मियों को इस जर्जर भवन में खौफ के बीच काम करने कि बाध्यता है। वर्तमान डाकपाल के अलावे पूर्व के उप डाकपालों द्वारा भी वरीय अधिकारियों को भवन की स्थिति बताते हुए नये भवन की मांग की जा चुकी है लेकिन स्थिति यथावत बनी हुई है। वरीय अधिकारियों को इस दिशा में ध्यान देने की अत्यधिक आवश्यक्ता है।


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