इन दिनों में आज भी यहां 7 दिन अलग कमरे में रहती हैं।
महिलाएं-लड़कियां,जानिए क्या कहते हैं विशेषज्ञ और समाज
इन 7 दिनों में नारकीय जीवन जीने को विवश होती हैं महिलाएं-लड़कियां, दूसरे समाज में अब नहीं रह गई है यह प्रथा, जागरूकता से ही हो सकता है यह संभव
-नगर संवाददाता-
जयनगर. ,27 अप्रैल 2022(घटती-घटना)।राष्ट्रपति के दत्तक पुत्रों के विकास व जागरूकता हेतु यूं तो शासन स्तर पर करोड़ों रुपए खर्च किए जा रहे हैं लेकिन मैदानी स्तर पर समाज के लोगों में रूढि़वादी विचारधारा खत्म होती नहीं दिखाई पड़ रही है। सूरजपुर जिले में राष्ट्रीय राजमार्ग क्रमांक 43 किनारे बसे राष्ट्रपति के दत्तक पुत्तरो के ग्राम पंचायत पंडोनगर में समाज की महिलाओं को वर्षों बाद आज भी पुरानी परंपरा के अनुसार प्रति माह 7 दिवस तक नारकीय जीवन यापन करने विवश होना पड़ता है। हालांकि इस संबंध में कई समाज सेवियों व शासन-प्रशासन द्वारा लोगों को जागरूक करने काफी प्रयास किया जाता है। बावजूद इसके मैदानी स्तर पर सभी मेहनत केवल कागजों में ही नजर आती है।
