बैकुण्ठपुर @चुनाव में ना सत्ताधारी दल को और ना ही विपक्ष को जीत का भरोसा

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मतदाताओं का मिजाज पढ़ने में दोनों दल कर रहे कोशिश,मतदाता हैं फिलहाल मौन, किसकी है लहर बता पाने राजनीतिक असमर्थ

रवि सिंह-
बैकुण्ठपुर 14 दिसम्बर 2021 (घटती-घटना)। नगरपालिका चुनाव को लेकर अब शहर का माहौल और अधिक गर्म होता जा रहा है,बढ़ती ठंड में प्रत्याशियों सहित जिले के दो प्रमुख दलों कांग्रेस व भाजपा के पदाधिकारी सहित कार्यकर्ता पूरी मेहनत कर रहें हैं और शहर में अपने अपने दल की सरकार बनाने अपना योगदान दे रहें हैंजबकि मतदाताओं के रुख से एक चीज जो स्पष्ट नजर आ रही है वह यह कि मतदाता अभी मौन है और वह किसे अपना प्रतिनिधि चुनने जा रही है इसको लेकर वह अभी बहोत जल्दबाजी में नहीं है और अभी वह और वक्त लेकर निर्णय लेगी यह समझ मे भी आ रहा है। आपस में ही एक दूसरे की निगरानी में प्रत्यासी व समर्थक बिता रहें हैं वक्त। अलग अलग दल के प्रत्यासी व उनके समर्थक विपक्षी पर ही नजरें टिकाए बैठें हैं। किसकी बनेगी नगर में सरकार, कौन होगा शहर का सरदार, अभी स्पष्ट नहीं। कांग्रेस भाजपा में किसको मिलेगी शहर संचालन की जिम्मेदारी, अभी कुछ कहना जल्दबाजी। हार की स्थिति में कौन लेगा जिम्मेदारी यह भी दोनों प्रमुख दलों में चिंतन है जारी।
जिले के बैकुंठपुर नगरपालिका चुनाव में जहां एक तरफ सत्ताधारी दल की संसदीय सचिव व बैकुंठपुर विधायक का गृह निवास होने व कांग्रेस जिलाध्यक्ष के भी बैकुंठपुर क्षेत्र का ही निवासी होने के कारण सत्ताधारी दल के लिए साथ ही प्रदेश में सरकार होने की स्थिति में चुनाव जीतना महत्वपूर्ण है वहीं पूर्व भाजपा विधायक सहित पूर्व मंत्री व जिलाध्यक्ष भाजपा का भी गृह क्षेत्र इसी क्षेत्र में होने की वजह से भाजपा के लिए भी चुनाव महत्वपूर्ण है। कांग्रेस व भाजपा के हिसाब से यह चुनाव क्रमशः विधायक संसदीय सचिव व जिलाध्यक्ष एवम पूर्व विधायक मंत्री व जिलाध्यक्ष की भी राजनीतिक परीक्षा का चुनाव है और दोनों ही दलों के इन महत्वपूर्ण पदों पर आसीन और आसीन रह चुके नेताओं के लिए जीत सुनिश्चित कर खुद को खुद के जनाधार को साबित करने का चुनाव है।

प्रत्याशियों की छवि से भी कई वार्डों में होगा चुनाव रोचक

एक तरफ मतदाता मौन बने हुए हैं, वहीं कुछ वार्डों में चुनाव में मुकाबला बड़ा रोचक भी नजर आ रहा है,जिन वार्डों में प्रत्यासी कई हैं और कई वार्डों में जहां प्रत्यासी पूर्व से भी पार्षद रह चुके हैं उन वार्डों में चुनाव ज्यादा रोचक प्रत्याशियों की वजह से बना हुआ है, क्योंकि प्रत्याशियों की पूर्व उपलब्धियों व पूर्व कार्यकाल को भी मतदाता याद कर रहें हैं और अपना निर्णय लेने मन बना रहे हैं, फिर भी मतदाता अभी अपनी स्थिर प्रवृति कायम रखे हुए हैं और अपना मतदान किसे करेंगे इसे लेकर चुप्पी साधे हुए हैं।

मतदाताओं का रुख फिलहाल स्पष्ट नहीं

जिले के नगरपालिकाओं में 20 दिसम्बर को मतदान होंगे और अब कुछ ही दिन शेष हैं जिसमें मतदाताओं को अपनी अपनी तरफ राजनीतिक दलों को रिझाना है। मतदाताओं का रुख अभी बिल्कुल मौन बना हुआ है और जिसकी वजह से दोनों ही दल कांग्रेस व भाजपा मतदाताओं के रुख को भी समझने का फिलहाल प्रयास कर रहें हैं और उन्हें अपनी तरफ आकर्षित करने प्रयास कर रहें हैं।

किसी की लहर नहीं दिख रही स्पष्ट

नगरपालिका चुनावों में नगर सरकार में किसका कब्जा होगा यह लहर किसी के पक्ष में स्पष्ट नजर नहीं आ रही है, एक तरफ सत्ताधारी दल और दूसरी तरफ भाजपा ने अपनी पूरी ताकत भले ही चुनाव जीतने के पीछे लगा रखी है लेकिन अभी भी दोनों दल इस आत्मविश्वास में नजर नहीं आ रहें हैं कि उनकी सरकार नगर में स्थापित हो सकेगी।

प्रत्यासी एक दूसरे के पीछे बिता रहे समय

नगरपालिका चुनाव में जहां प्रत्यासी अपने पक्ष में मतदाताओं को रिझाने में लगे हुए हैं वही वह अपने विपक्षी प्रत्यासी के पीछे भी समय बिता रहें हैं, कौन किस्से मिल रहा है और कौन कहां जाकर आ चुका है या किससे मिलने का उसका अगला कार्यक्रम है यह भी प्रत्यासी एक दूसरे पर नजर बनाए हुए हैं।

जीत गए तो बल्ले-बल्ले हार मिली तो किसकी होगी जिम्मेदारी?

राजनीतिक दलों में यह भी चिंता देखी जा रही है कि यदि चुनाव में उनके दल को जीत मिली तो सबकुछ ठीक है और यदि हार मिली तो कौन लेगा जिम्मेदारी यह भी मंथन कर रहें है राजनीतिक दलों के प्रमुख।


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