- काउंसलिंग में अनियमितता की शिकायत लेकर संयुक्त संचालक सरगुजा के समक्ष पहुंचे शिक्षकों से संयुक्त संचालक ने की अभद्रता,दी निपटाने की धमकी
- मीडियाकर्मियों के आते ही शांत हुए संयुक्त संचालक शिक्षकों की आपçा स्वीकार की
- असंतुष्ट शिक्षकों को राहत नहीं मिलने पर न्यायालय का रुख कर सकते है
- अधिकृत पदोन्नति की सूची जारी नहीं हुई तो फिर कुछ शिक्षकों को कैसे पता चला कि उन्हें कहां पदस्थ किया गया और कैसे सोशल मीडिया पर बधाई आने लगी?
- शिक्षा का दीप जलाने वाले शिक्षकों को लूटने में विभाग की भूमिका आई सामने
- माध्यमिक शाला प्रधानपाठक पदस्थापना में खेला गया करोड़ों का खेल
- काउंसलिंग प्रक्रिया के बावजूद ठगे गए शिक्षक,भ्रष्टाचार का बड़ा खेल।
- एक तरफ कनिष्ठ शिक्षकों की जेब पर डाका दूसरी तरफ वरिष्ठ शिक्षकों के साथ अन्याय
- बड़ी रकम की शिक्षक से वसूली,शिक्षकों ने खुद लगाया काउंसलिंग में भ्रष्टाचार का आरोप
- भ्रष्टाचार के कारण कई शिक्षकों ने पदोन्नति छोड़ी कइयों ने लिए दूसरे जिले और लॉक में पदस्थापना


–रवि सिंह –
बैकुण्ठपुर/अंबिकापुर 13 अप्रैल 2023 (घटती-घटना)। पूर्व माध्यमिक शाला में प्रधान पाठक पदोन्नति की प्रक्रिया को लेकर काफी दिनों से गहमागहमी की स्थिति थी पहले अफ़वा आएगी काउंसलिंग से नहीं सेटिंग से पदोन्नति होगी, जिस पर दैनिक घटती-घटना ने बड़ी प्रमुखता के साथ खबर प्रकाशित किया था, जिसके बाद यह तय हुआ कि प्रधान पाठक को की पदोन्नति काउंसलिंग प्रक्रिया के द्वारा होगी, जिसके बाद शिक्षकों ने चैन की सांस ली थी और घटती-घटना को उनके मुद्दों को उठाने पर धन्यवाद भी शिक्षकों के द्वारा दिया गया था, शिक्षक इस कयास में थे कि काउंसलिंग पद्धति से पारदर्शिता के साथ पदोन्नति होगी पर अचानक शिक्षकों को यह आभास हुआ कि काउंसलिंग प्रक्रिया में अनियमितता देखी जा रही है जिसे लेकर वह आपत्ति दर्ज कराने संयुक्त संचालक के पास पहुंचे जहां शिक्षक व अधिकारियों के बीच गहमागहमी हो गई और मामला बिगड़ गया, अधिकारी आपत्ति दर्ज कराने आए शिक्षक पर भड़क गए और कहा कि मैं तुमको नहीं छोडूंगा.. जिस पर शिक्षक ने भी कहा ठीक है आप मुझे चपरासी बना दीजिएगा पर गलत बर्दाश्त नहीं करेंगे। फाइनल सूची जारी नहीं हुई और कुछ शिक्षक सोशल मीडिया पर बधाई बांटने लगे, जिस शिक्षकों का एक बहुत बड़ा समूह नाराज हो गया, क्योंकि जो बधाई दे रहे थे और अपनी पदोन्नति का जश्न मना रहे थे यदि उनका नाम सूची में आता उस सूची में गड़बड़ी से इनकार नहीं किया जा सकता था और सवाल यह भी यदि सूची आई नहीं तो फिर शिक्षकों को अपनी पदोन्नति की जानकारी कैसे मिलेगी, इससे स्पष्ट होता है कि कहीं न कहीं गड़बड़ी तो काउंसलिंग में हुई है जिस के संदेह पर शिक्षक और देखे नेताओं और एक बहुत बड़ा शिक्षकों का समूह पहुंच गया आपत्ति दर्ज कराने।
जानकारी के अनुसार प्रधान पाठक पूर्व माध्यमिक शाला पदोन्नति पदस्थापना काउंसलिंग में अनियमितता की सबूत सहित शिकायत करने संयुक्त संचालक सरगुजा के समक्ष पहुंचे शिक्षकों के साथ संयुक्त संचालक ने पहले तो अभद्रता की बाद में उन्होंने शिक्षकों को देख लेने की निपटाने की धमकी भी दी। बड़े ही तमतमाए अंदाज में उन्होंने शिक्षकों को जिस तरह धमकी दी उससे शिक्षक भी भयभीत हुए वहीं मीडियाकर्मियों के आने के बाद संयुक्त संचालक जरा नरम हुए और शिक्षकों को आपत्ति आवेदन पर पावती प्रदान करने की सहमति उन्होंने दी। संयुक्त संचालक कार्यालय की स्थापना शासन ने शिक्षकों की समस्याओं का निराकरण करने के लिए की है जबकि वर्तमान संयुक्त संचालक शिक्षकों को ही धमकी देते नजर आ रहे हैं। शिक्षकों ने पूरे वार्तालाप का वीडियो भी बनाया है और उसमे स्पष्ट रूप से देखा और सुना जा सकता है की संयुक्त संचालक किस तरह आपत्ति नाम पर बिफर रहें हैं और किस तरह शिक्षकों को धमकी दे रहें हैं।
असंतुष्ट शिक्षकों को राहत नहीं मिलने पर न्यायालय का रुख कर सकते है
पूरे मामले की शिकायत करने के लिए जब शिक्षक समुदाय संयुक्त संचालक कार्यालय पहुंचा तो वहां भी काफी गहमागहमी देखने को मिली। और संयुक्त संचालक का रुख भी नकारात्मक था। परंतु शिक्षक समुदाय द्वारा पत्रकारों को आहूत करने के बाद मामले से संबंधित आवेदन संयुक्त संचालक द्वारा लिया गया। अब आगे देखने वाली बात यह होगी कि मामले की जांच होती है, असंतुष्ट शिक्षकों को राहत मिलता है, या फिर मामला लंबे समय के लिए न्यायालय की ओर लंबित हो जाएगी।
मीडियाकर्मियों के आते ही शांत हुए संयुक्त संचालक शिक्षकों की आपत्ति स्वीकार की
संयुक्त संचालक जो आपत्ति दर्ज करने आए शिक्षकों को धमका रहे थे कार्यालय से भगा रहे थे वह मीडियाकर्मियों के आने के बाद शांत हुए और बाद में उन्होंने शिक्षकों की आपत्ति स्वीकार की और उन्हे आवेदन पर पावती दी। संयुक्त संचालक के व्यवहार की शिक्षकों ने निंदा की और कहा की शिक्षक यदि अधिकारी को सम्मान देते हैं तो अधिकारियों को भी शिक्षकों को सम्मान देना चाहिए और उनकी आपत्ति का निराकरण सहानुभूति पूर्वक करनी चाहिए।
शिक्षकों काउंसलिंग में गड़बड़ी के संदेह
पूर्व माध्यमिक शालाओं में प्रधान पाठक पदोन्नति की प्रक्रिया काउंसलिग के बावजूद भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गई जिसकी सुगबुगाहट सुनाई देने लगी और अब भ्रष्टाचार के कारण पदोन्नति प्रक्रिया में प्रभावित हुए शिक्षक आक्रोश में हैं और अपने ही विभाग के अधिकारियों पर वह आरोप लगा रहें हैं और खुद के साथ अन्याय की कहानी बयान कर न्याय की गुहार लगा रहें हैं। पूर्व माध्यमिक शालाओं में शिक्षकों को प्रधान पाठक पद पर पदोन्नति मिलनी थी और पूर्व में यह पदोन्नति और पदस्थापना काउंसलिंग के बगैर की जानी थी जो भ्रष्टाचार की भेंट न चढ़ जाए इसलिए काउंसलिंग की प्रकिया शासन ने तय की। शासन की काउंसलिग प्रकिया को भी विभागीय अधिकारियों ने भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ा दिया और शिक्षकों से जमकर पदस्थापना के नाम पर वसूली की गई जिसका खुलासा अब होने लगा और अब पदोन्नति में भ्रष्टाचार के कारण पदोन्नति से वंचित और पदोन्नति में दूसरे जिले या ब्लॉक में पदस्थापना प्राप्त किए शिक्षक लामबंद होकर विरोध में नजर आ रहें हैं और वह चुप रहने को तैयार नहीं हैं।
वरिष्ठता सूची में निचले क्रम के शिक्षकों को मिली कैसे मनचाही पदस्थापना?
पदोन्नति में पदस्थापना काउंसलिंग के माध्यम से की जाए इसके लिए स्वयं शिक्षा मंत्री ने विभाग को पत्र लिखा था, जिससे पदस्थापना में भ्रष्टाचार न हो, लेकिन विभाग के अधिकारियों ने इसमें भी भ्रष्टाचार का रास्ता ढूंढ निकाला और उन्होंने वरिष्ठता में निचले क्रम के शिक्षकों को मनचाही पदस्थापना प्रदान करने में उनकी मदद की। वहीं इसके लिए उगाही भी की गई। ऊपर क्रम के वरिष्ठता क्रम में शीर्ष पर आने वाले शिक्षकों को या तो मनचाही पदस्थापना नहीं मिलने पर पदोन्नति से इंकार करना पड़ा या उन्हे अन्य जिले और ब्लॉक में पदस्थापना लेनी पड़ी। कुल मिलाकर जो जिस पद के लिए योग्य व वरिष्ठ था उसे वह पद प्रदान नहीं किया गया और जो निचले क्रम पर थे उन्हे वह पद प्रदान कर दिया गया जो साफ साफ भ्रष्टाचार का मामला है। प्रभावित शिक्षकों के अनुसार वरिष्ठता क्रम अनुसार काउंसलिंग होने पर क्रमांक 780 पहुंचने पर कोरिया जिला के बैकुंठपुर ब्लॉक के सभी पद भरे हुए दर्शाए गए। वरिष्ठता क्रम में बाद में आने वाले शिक्षकों को अन्य ब्लॉक या जिले में पदस्थापना लेनी पड़ी। परंतु शाम होते-होते जब सोशल मीडिया में बधाईयों का दौर चला तब पता चला कि जो शिक्षक काउंसलिंग प्रक्रिया के दरमियान अनुपस्थित थे और बार-बार नाम पुकारने पर भी उपस्थित नहीं हुए और जिन की वरिष्ठता क्रमांक निचले क्रम में थी, उन्हें बैकुंठपुर ब्लॉक में सुविधानुसार पदस्थापना दे दी गई। इसमें वरिष्ठता क्रमांक 787 ईश्वर लाल सिंह, 789 चाइना राम, 784 सुरेश कुशवाहा, 838 हरिवंश साहू, 841 सतानंद पटवा यह सभी काउंसलिंग प्रक्रिया के दरमियान अनुपस्थित थे। परंतु सेटिंग के अनुसार इन्हें बैकुंठपुर ब्लॉक में क्रमशः बासनपारा, बरतरिहापारा, बरदिया, खोंड और छिंदिया में पदस्थापना दी गई। जबकि वरिष्ठता क्रम में इनसे ऊपर क्रम में बैकुंठपुर ब्लॉक से अशोक शर्मा, गायत्री गौतम, सरस्वती ठाकुर, भूपेंद्र सिंह, जगमोहन सिंह, अंजुला सिंह, कौशलेंद्र शर्मा, राम नारायण कुशवाहा, राम सिंह, राजेश कुमार यादव, सुरेश शर्मा, संत लाल यादव लीलाधर पैकरा जैसे अनेकों शिक्षक थे, जिन्हें बैकुंठपुर ब्लॉक में पदस्थापना के लिए चयन का विकल्प ही नहीं दिया गया। यह सूची उनकी है जिन के मामले सामने आ चुके हैं। चुंकि पदोन्नति की प्रक्रिया पूरे संभाग के लिए थी, अतः ऐसा खेल कितनों के लिए खेला गया होगा यह समझना सामान्य बात है।

पदस्थापना आदेश जारी हुए बिना पदस्थापना विद्यालय का नाम लिखकर वाट्सएप में दे दी है बधाई,इसी से उजागर हुआ अनियमितता का खेल
पदस्थापना काउंसलिग में अनियमितता की बात शायद उजागर नहीं होती,अनियमितता की बात स्वयं उन शिक्षकों ने उजागर कर दी जिन्होंने अनियमितता स्वीकार कर पदस्थापना काउंसलिग में मनचाही पदस्थापना प्राप्त करने का प्रयास किया। कुछ शिक्षक जो काउंसलिंग के समय कक्ष में अन्य शिक्षकों के साथ उपस्थित नहीं थे और जब काउंसलिंग समाप्त हो गई उन्होंने अपनी पदस्थापना कहां कहां होनी है इसको लेकर वॉट्सएप में बधाई संदेश डाल दिया और तब जाकर अन्य को पता चल सका की काउंसलिंग में अनियमितता हुई है और तब शिक्षक जो वरिष्ठता सूची में ऊपर क्रम पर थे और जिन्हे वह पद नहीं दिखाए गए जिनका जिक्र निचले क्रम वाले शिक्षकों ने वाट्सएप में बधाई लिखकर डाला की जानकारी हो सकी और वह आपत्ति दर्ज करने संयुक्त संचालक के पास जा पहुंचे। जिन पदों को लेकर आपत्ति आई है जिसे हाइड कर बाद में निचले क्रम के शिक्षकों को पदस्थापना देने की कोशिश की गई उसमे माध्यमिक शाला गिरजापुर, खोंड़, बरदिया, छिन्दीया, भांडी, बासनपारा, उरूमदुगा सहित कई अन्य बैकुंठपुर विकासखंड के विद्यालय शामिल हैं।
निचले क्रम के शिक्षकों को मिली मनचाही पदस्थापना,ऊपर क्रम के शिक्षकों को नहीं मिली जिले और विकासखंड में पदस्थापना
पदोन्नति में पदस्थापना काउंसलिंग के माध्यम से की जाए इसके लिए स्वयं शिक्षा मंत्री ने विभाग को पत्र लिखा था जिससे पदस्थापना में भ्रष्टाचार न हो लेकिन विभाग के अधिकारियों ने इसमें भी भ्रष्टाचार का रास्ता ढूंढ निकाला और उन्होंने वरिष्ठता में निचले क्रम के शिक्षकों को मनचाही पदस्थापना प्रदान करने में उनकी मदद की वहीं इसके लिए उगाही भी की गई। ऊपर क्रम के वरिष्ठता क्रम में शीर्ष पर आने वाले शिक्षकों को या तो मनचाही पदस्थापना नहीं मिलने पर पदोन्नति से इंकार करना पड़ा या उन्हे अन्य जिले और ब्लॉक में पदस्थापना लेनी पड़ी। कुल मिलाकर जो जिस पद के लिए योग्य व वरिष्ठ था उसे वह पद प्रदान नहीं किया गया और जो निचले क्रम पर थे उन्हे वह पद प्रदान कर दिया गया जो साफ साफ भ्रष्टाचार का मामला है।
विद्यालयों के नाम वरिष्ठ शिक्षकों की काउंसलिंग के समय छिपाए गए
वरिष्ठता क्रम में ऊपर आने वाले शिक्षकों ने आरोप लगाया की काउंसलिंग के लिए उन्हे पूरे पद नहीं दिखाए गए और अधिकांश पदों को उजागर ही नहीं किया गया जबकि वही पद निचले क्रम के लोगों को मिल सके और उन्हे मनचाही पदस्थापना मिल सकी जो सीधा सीधा भ्रष्टाचार का मामला है। शिक्षकों ने आरोप लगाया की वरिष्ठता सूची में उनका नाम ऊपर था और उन्होंने पैसा नहीं दिया इसलिए उन्हे पूरे पद पदस्थापना के लिए चुनने के लिए नहीं दिखाए गए और जिन्होंने पैसा दिया उन्हे बाद में वही पद दे दिए गए जबकि वह कनिष्ठ थे वरिष्ठता सूची में। वरिष्ठ शिक्षकों का यह भी आरोप है की काउंसलिंग के पहले और काउंसलिंग के समय जो पद उन्हे दिखाए गए और दीवार में जो चस्पा किए गए उनमें अधिकांश रिक्त पद उन्हे नहीं दिखाए गए और शाम होते ही वह पद कनिष्ठ शिक्षकों से भर दिए गए जो की गलत है।
शिक्षामंत्री के जिले में खेला गया पैसों का खेल,जिसे शिक्षा मंत्री रोकना चाहते थे आखिर वही हुआ
शिक्षामंत्री के जिले में शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने जमकर खेला पैसों का खेल,जिस खेल को रोकने के लिए स्वयं शिक्षामंत्री ने विभाग विभाग को पत्र लिखा था और काउंसलिग की मांग की थी और विभाग ने भी काउंसलिंग की प्रकिया अपनाने आदेश दिया था उसी काउंसलिंग में विभागीय अधिकारियों ने भ्रष्टाचार का रास्ता ढूंढ निकाला और शिक्षकों को लूटने कोई कसर नहीं छोड़ी। अब शिक्षामंत्री की मंशा भले ही भ्रष्टाचार रोकने की रही हो लेकिन अधिकारियों ने उनकी मंशा पर भी पानी फेर दिया और भ्रष्टाचार को अंजाम दे दिया।
दिव्यांग,गंभीर बीमार बताकर दिया गया कनिष्ठ को लाभ,इसी आधार पर हुआ भ्रष्टाचार
जिन शिक्षकों ने भ्रष्टाचार के रास्ते पदस्थापना चाही उन्हे दिव्यांग और गंभीर रूप से बीमार होने का प्रमाण पत्र स्वयं विभागीय अधिकारियों ने बांट दिया और उन्हे रास्ता बता दिया कि कैसे वह दिव्यांग बनकर गंभीर रूप से बीमार बनकर लाभ ले सकते हैं। कनिष्ठ शिक्षकों ने भी पैसा देकर पद लेना उचित समझा और ठीक ठाक होकर भी दिव्यांग या गंभीर बीमारी का बहाना बनाया और मनचाही पदस्थापना लेने में दिमाग लगाया।
दिव्यांगता और गंभीर बीमारी के प्रमाण-पत्रों की हो यदि जांच खुलेगा बड़े भ्रष्टाचार का पोल
गंभीर बीमारी और दिव्यांगता प्रमाण पत्रों की यदि जांच की जायेगी तो यह पूरा भ्रष्टाचार उजागर हो सकेगा और पता चल सकेगा का कैसे एक बड़े भ्रष्टाचार को अंजाम दिया गया है। अक्रोशित और काउंसलिंग प्रक्रिया से असंतुष्ट शिक्षकों ने आरोप सभी प्रमाण पत्रों के जांच की मांग भी की है और भ्रष्टाचार उजागर हो इसकी मांग की है।
करोड़ों का खेला गया तीन दिनों में खेल
सूत्रों की माने तो 1 लाख से डेढ़ लाख तक एक एक कनिष्ठ शिक्षक से वसूली की गई और यह पूरी वसूली वरिष्ठता सूची में कनिष्ठ शिक्षकों से की गई जिन्हे काउंसलिंग में बाद में बुलाकर मनचाही पोस्टिंग दे दी गई और जो वरिष्ठ थे वह ठगे देखते रह गए। वरिष्ठ शिक्षकों का यह भी कहना है की उन्हे पता होता की काउंसलिंग में पैसे के बिना पोस्टिंग मिलना मुस्किल है तो वह भी अधिकारियों से संपर्क किए होते और लाभ प्राप्त किए होते,उन्हे इसका आभास बाद में हो सका। पूरे काउंसलिंग के दौरान 3 से 4 करोड़ की वसूली हुई है यह शिक्षकों का आरोप है।
शिक्षा का दीप जलाने वाले शिक्षकों को भी नहीं छोड़ा विभागीय अधिकारियों ने,वसूले करोड़ों
सूत्रों की माने तो शिक्षा का दीप जलाने वाले शिक्षकों को भी विभागीय अधिकारियों ने नहीं छोड़ा और उन्ही से करोड़ों कमाने का रास्ता भ्रष्टाचार के सहारे ढूंढ निकाला। अब इस भ्रष्टाचार के बाद समझा जा सकता है की विभागीय अधिकारी किस तरह मौका मिलते ही शिक्षकों को लूटने का अवसर नहीं छोड़ सके और करोड़ों की उगाही उन्होंने कर डाली,। करोड़ों की शिक्षकों से वसूली के बाद एक बात और तय है की अब अधिकारी किस मुंह से शिक्षकों से गुणवत्ता की बात करेंगे और किस मुंह से उनपर कोई अनुशासनात्मक कार्यवाही अनियमितता करने पर करेंगे। कुल मिलाकर अब शिक्षक भी उन्हे पैसों की भाषा में बात करेंगे और पैसों से ही उनका मुंह बंद कर देंगे।