अंबिकापुर,08 सितम्बर 2025 (घटती-घटना)। अंबिकापुर की बदहाल सडकों को लेकर आम जनता के आक्रोश और असंतोष को आवाज़ देते हुए सडक सत्याग्रह की पहल की गई है। इस पहल के तहत रविवार को नगर के मनेन्द्रगढ़ रोड स्थित होटल माखन बिहार में सर्वदलीय मंच की एक महत्वपूर्ण बैठक आयोजित की गई। बैठक में भाजपा, कांग्रेस सहित विभिन्न राजनीतिक दलों के जनप्रतिनिधि,महापौर,सभापति,व्यापारी, चिकित्सक,पत्रकार,रंगकर्मी,सामाजिक कार्यकर्ता व शहर के जागरूक नागरिक शामिल हुए। सभी ने एकजुट होकर शहर की सडकों की दयनीय स्थिति पर चिंता जताई और समाधान के लिए सुझाव दिए। बैठक की अध्यक्षता कर रहे सडक सत्याग्रह के संयोजक डॉ. योगेंद्र सिंह गहरवार ने सबसे पहले नागरिकों व जनप्रतिनिधियों से सुझाव मांगे। नगर निगम की ओर से महापौर मंजूषा भगत ने शहर की सडकों की वर्तमान स्थिति की जानकारी देते हुए बताया कि अंबिकापुर की लगभग 75 प्रतिशत सडकों की हालत खराब है।
उन्होंने स्पष्ट किया कि बारिश जल्दी शुरू हो जाने के कारण मरम्मत कार्य बाधित हुआ। इस समय लगभग 18 करोड़ रुपए की स्वीकृति मिली है,जिसमें से 11 करोड़ सडकों के लिए और शेष भवन निर्माण कार्य के लिए है। 15 करोड़ के टेंडर जारी हो चुके हैं और अक्टूबर से निर्माण कार्य शुरू किया जाएगा। निगम के आर्किटेक्ट मनोज पाठक ने तकनीकी जानकारी साझा करते हुए कहा कि ड्रेनेज व्यवस्था की खामियां और निर्माण में तकनीकी मानकों की अनदेखी के कारण सडकों की उम्र कम हो जाती है। यदि सही प्रक्रिया से डामरीकरण किया जाए तो सडकें 20 साल तक टिक सकती हैं।
सर्वदलीय सहमति-मुख्यमंत्री से मिलेगा प्रतिनिधिमंडलः
बैठक में यह सामूहिक निर्णय लिया गया कि सडक सत्याग्रह का प्रतिनिधिमंडल जल्द ही रायपुर जाकर मुख्यमंत्री और एनएच मंत्री से मुलाकात करेगा और अंबिकापुर की सडकों की स्थिति से अवगत कराएगा। सभी दलों के प्रतिनिधियों ने आश्वासन दिया कि वे दलगत भावना से ऊपर उठकर शहर के विकास के लिए साथ काम करेंगे।
विपक्ष ने उठाया फंड की कमी का मुद्दा
नेता प्रतिपक्ष शफी अहमद ने सडकों के लिए स्वीकृत राशि को अपर्याप्त बताया। उन्होंने कहा कि अंबिकापुर शहर की सभी टूटी सडकों के समुचित मरम्मत के लिए कम से कम 32 करोड़ रुपए की आवश्यकता है। उन्होंने चेताया कि बार-बार नागरिकों के दबाव में कम राशि में अधिक सडकों का निर्माण कराया जाता है जिससे गुणवत्ता प्रभावित होती है। उन्होंने दलगत राजनीति से ऊपर उठकर समाधान की बात कही।
पारदर्शिता और निगरानी की मांग
डॉ. योगेंद्र सिंह गहरवार ने सुझाव दिया कि निर्माण स्थल पर सूचना बोर्ड लगाया जाए, जिसमें लागत, निर्माण अवधि,ठेकेदार और अभियंता का नाम स्पष्ट रूप से लिखा हो। इससे आम नागरिक भी निगरानी कर सकें और गुणवत्ता सुनिश्चित की जा सके। कांग्रेस के पूर्व जिलाध्यक्ष राकेश गुप्ता ने शहर का डिजिटल सर्वे कराने की मांग की, जिससे सडकों की चौड़ाई, नालियों की स्थिति और अतिक्रमण की सही जानकारी मिल सके। उन्होंने कहा कि जब तक अवैध कब्जे नहीं हटेंगे और जल निकासी की व्यवस्था नहीं सुधरेगी, तब तक सडकों की हालत नहीं सुधरेगी। उन्होंने बाहरी रिंग रोड की जरूरत को भी रेखांकित किया।
नागरिकों को निभानी होगी जिम्मेदारी
भाजपा नेता और सामाजिक कार्यकर्ता कैलाश मिश्रा ने कहा कि सरकार किसी की भी हो, नागरिकों को मूलभूत सुविधाएं मिलनी चाहिए। सडक निर्माण की प्राथमिकता तय होनी चाहिए और निर्माण गुणवत्तापूर्ण हो। उन्होंने नागरिकों से गुणवत्ता पर नजर रखने की अपील की। सामाजिक कार्यकर्ता सुजान बिंद ने भी रिंग रोड और नया अंबिकापुर के निर्माण की जरूरत बताई। विधायक प्रतिनिधि मनोज अग्रवाल ने कहा कि जल्द ही शहर की सडकों का कायाकल्प होगा और हम सब मिलकर गुणवत्तापूर्ण निर्माण सुनिश्चित करेंगे।
