अंबिकापुर,23 जुलाई 2025 (घटती-घटना)। मानव तस्करी और अवयस्क बच्चियों के शोषण के गंभीर मामले में विशेष न्यायाधीश (एन.आई.ए.) अम्बिकापुर जिला सरगुजा (छ.ग.) के पीठासीन अधिकारी श्री के.एल. चरयाणी ने ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए तीन महिला आरोपियों को दोषी करार देते हुए 14-14 वर्ष की कठोर सजा सुनाई है। जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के सचिव ने बताया है कि माननीय न्यायालय विशेष न्यायाधीश (एन.आई.ए.) अम्बिकापुर जिला-सरगुजा (छ0ग0) पीठासीन अधिकारी श्री के0 एल0 चरयाणी जी द्वारा भा.दं.सं. की धारा 120 बी,363,365, 366, 368 एवं 370 के अपराध में आरोपीगण विमला यादव,नीलू उर्फ निर्मला नायक व कोमल अहिरवार को उक्त अपराध में दोषसिद्ध घोषित किया गया। दरअसल अभियुक्तगण विमला यादव, नीलू उर्फ निर्मला नायक एवं कोमल अहिरवार द्वारा दिनांक 12 अप्रैल 2024 से 18 अप्रैल 2024 के मध्य ग्राम पुराईनबंध में साथ मिलकर तीन अवयस्क बच्चों का सदोष परिरोध कर उनका दुव्यापार करने हेतु आपराधिक षडयंत्र करने,अवयस्क बच्चों का व्यपहरण करने,उनका गुप्त रीति से सदोष परिरोध करने एवं अवयस्क बच्चियों को अयुक्त संभोग करने हेतु विवश या विलुध करने के आशय से उन्हें विवाह करने हेतु लड़कों से मिलने के लिये उत्प्रेरित करने तथा अवयस्क बच्चों का सदोष परिरोध कर यह जानते हुये कि उनका शोषण किया जा सकता है मानव दुव्यापार करने के मामले में दिनांक 22 जुलाई 2025 को निर्णय पारित किया गया। प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश श्री के0 एल0 चरयाणी जी द्वारा सम्पूर्ण साक्ष्य विवेचना उपरांत यह स्पष्ट होना पाया कि अभियुक्त विमला ने अन्य अभियुक्त नीलू उर्फ ठुनी एवं कोमल अहिरवार के साथ मिलकर आपराधिक षडयंत्र रचा तथा उक्त आपराधिक षडयंत्र के पालन में अवयस्क पीडि़त बच्चों को अपने साथ बहला-फुसलाकर उनका व्यपहरण कर अपने साथ ले गयी और उनको नीलू और उनके पति कोमल के आधिपत्य में सौंप दिया जिन्होंने पीडि़त कमांक 1 को अवयस्क होने के बाद भी विवाह करने के लिये प्रलोभित किया और उसे देखने के लिये लड़के भी बुलाये थे। प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश द्वारा पाया गया कि यदि अवयस्क पीडि़त कमांक 1 का विवाह हो जाता तो निश्चित रूप से वह अयुक्त संभोग के लिये विवश की जाती, इस तरह तीनों अभियुक्त का अंततः आशय एवं उद्देश्य पीडि़त बच्चों का दुव्यापार कर उससे लाभ अर्जित किया जाना था।
माननीय न्यायालय विशेष न्यायाधीश (एन.आई.ए.) अम्बिकापुर जिला-सरगुजा (छ0ग0) पीठासीन अधिकारी श्री के0 एल0 चरयाणी जी द्वारा तीनों अभियुक्तगण द्वारा उपरोक्तानुसार अपराध में दोषसिद्ध घोषित कर दोषसिद्ध विमला यादव, नीलू उर्फ निर्मला नायक एवं कोमल अहिरवार को अपराध अंतर्गत धारा 363, 365 (जिसमें धारा 368 भा.दं. सं. का अपराध समाहित है) के तहत 3-3 वर्ष का कठोर कारावास एवं प्रत्येक को 1,000/- (एक हजार रुपये) का अर्थदंड, धारा 366क भा.दं.सं. के तहत 4-4 वर्ष का कठोर कारावास एवं प्रत्येक को 1,000/- (एक हजार रुपये) का अर्थदंड तथा उक्त अपराधों में अर्थदंड की राशि अदा नहीं करने पर तीन-तीन माह का साधारण कारावास एवं धारा 370 भा.दं.सं. के तहत् 14-14 वर्ष का कठोर कारावास एवं प्रत्येक को 5000/- (पांच हजार रुपये) के अर्थदंड से तथा अर्थदंड की राशि अदा न होने पर छह माह का साधारण कारावास से दण्डित किया गया है। मानव तस्करी के इस जघन्य अपराध पर न्यायालय का यह निर्णय समाज के लिए एक सशक्त संदेश है कि बच्चों के विरुद्ध किसी भी प्रकार के अपराध को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा और दोषियों को कठोरतम दंड कार्रवाई की जाएगी।
