@ आदिवासी समुदाय के डॉक्टर ने प्रताड़ना का लगाया था आरोप,कि थी आजाक थाने में शिकायत
विभाग में भी डॉक्टर ने दिया था इस्तीफा आवेदन,प्रताड़ना की कही थी बात
@ विभाग ने भी आदिवासी समुदाय के डॉक्टर को नहीं दिया मौका,न सुनी कोई बात,इस्तीफा किया स्वीकार
@ डॉक्टर की बात और समस्या सुनी जानी थी,विभाग को डॉक्टर को समय देना था यह कहते हैं जानकार
@ प्रशासन भी मामले में मौन…छत्तीसगढ़ में डॉक्टरों की कमी की शिकायत आम पर…इस मामले में प्रशासन
-रवि सिंह-
कोरिया,06 जुलाई 2025 (घटती-घटना)।कोरिया जिले के एक आदिवासी समुदाय के डॉक्टर ने एक व्यक्ति पर प्रताड़ना का आरोप लगाते हुए इस्तीफा दे दिया जो विभाग द्वारा स्वीकार भी कर लिया गया ऐसी जानकारी सामने आई है।
डॉक्टर ने एक व्यक्ति पर खुद को प्रताडि़त करने का आरोप लगाया था,तथा किसी व्यक्ति के द्वारा गालीगलौज का भी आरोप लगाया था वहीं आजाक थाने में भी ऐसी ही शिकायत की थी और विभाग में इस कारण इस्तीफे की पेशकश की थी,मुफ्त में इलाज और कई अन्य भी आरोप डॉक्टर ने उस व्यक्ति पर लगाते हुए खुद को मानसिक रूप से प्रताडि़त बताया था, पूरे मामले में स्वास्थ्य विभाग ने डॉक्टर का इस्तीफा स्वीकार कर लिया और उसे कोई मौका नहीं दिया की वह अपनी बात रख सके या वह अपनी प्रताड़ना विषय पर न्याय पा सके। वैसे जानकारों के अनुसार डॉक्टर को स्वास्थ्य विभाग के द्वारा मौका दिया जाना चाहिए था वहीं उसकी समस्या और शिकायत और उसकी मानसिक स्थिति से अवगत होकर ही इस्तीफे को स्वीकार किया जाना चाहिए था केवल इस्तीफा स्वीकार करने से ही विभाग का दायित्व पूर्ण नहीं होता यह दबाव में उस व्यक्ति के द्वारा आकर लिया निर्णय हो सकता है ऐसा उनका कहना है मानना है। वैसे डॉक्टर आदिवासी समुदाय से हैं और उन्होंने अपने साथ हुई घटना द्वारा दी गई गालियों सहित प्रताड़ना के विभिन्न तरीकों को लेकर आजाक थाने में भी शिकायत की थी जिसमें भी अभी तक पत्रकार पर कोई कार्यवाही नहीं हुई बताया जा रहा है कि उक्त मामले में जांच अन्य जिले के पुलिस अधिकारियों को सौंप दिया गया है और मामले को ऐसे ही निपटाने का प्रयास जारी है। इधर डॉक्टर के इस्तीफे की स्वीकृति के बाद स्वास्थ्य विभाग भी एक तरह से मामले के पटाक्षेप की तरफ अग्रसर नजर आया और अपने ही एक डॉक्टर के मामले में वह पल्ला झाड़ता उसके विरुद्ध जाता नजर आया।
क्या सांकेतिक विरोध का अधिकार भी डॉक्टर का छीना गया?
डॉक्टर ने प्रताडि़त होने की बात कहते हुए विभाग के सामने इस्तीफा सौंपा,विभाग को डॉक्टर ने अपनी पीड़ा से अवगत कराया जिसमें उसका दर्द था ऐसा कहना ही उचित होगा,यह सांकेतिक विरोध जो इस्तीफे के तौर पर था मामले में विभाग ने सीधे इस्तीफा स्वीकार कर लेना सही माना,क्या यह डॉक्टर के सांकेतिक विरोध के अधिकार को छीनने का एक प्रयास माना जाएगा? वैसे यदि डॉक्टर प्रताडि़त था और उसने पीड़ा सामने रखी विभाग के तो विभाग को चाहिए था कि मामले में वह न्याय के प्राकृतिक सिद्धांत का पालन करता और डॉक्टर को समय देकर यथा समाधान का रास्ता तलाशता जो नहीं किया विभाग ने ऐसा नजर आ रहा है। विभाग ने एक तरह से अपने ही अधीन कार्यरत डॉक्टर को पराया माना और उसके दर्द स्वरूप प्रस्तुत इस्तीफे को स्वीकार कर उसे अकेला छोड़ दिया।
क्या इस्तीफा मंजूर करने में हड़बड़ी दिखाई गई या फिर सोची-समझी साजिश थी यह?
डॉक्टर का इस्तीफा स्वास्थ्य विभाग ने तत्काल स्वीकार कर लिए एक तरह से इस मामले में तत्काल और तेजी से निर्णय विभाग का सामने आया,क्या यह हड़बड़ी थी या साजिश? वैसे हड़बड़ी और साजिश वाली ही स्थिति समझ में आ रही है क्योंकि पूरे मामले के संबंध में जो बातें सामने आई हैं वह यही साबित करती हैं कि डॉक्टर को क्या परेशानी थी जिससे वह मानसिक रूप से प्रताडि़त था और यही वजह इस्तीफा लिखने की थी।
सांकेतिक विरोध में दिया गया इस्तीफा सीएमएचओ ने बिना जांच के ही स्वीकार कर लिया?
डॉक्टर का सांकेतिक विरोध स्वरूप दिया इस्तीफा विभाग के सीएमएचओ ने तत्काल स्वीकार कर लिया,यदि डॉक्टर की मानसिक प्रताड़ना वाली बात सही है और इसीलिए उसने सांकेतिक इस्तीफा दिया था जो मंजूर हुआ तो यह कहना गलत नहीं होगा कि आने वाले समय में ऐसी घटनाएं बढ़ेगी और अन्य भी कर्मचारी दबाव में आकर इस्तीफा देंगे और वह नौकरी छोड़कर सुकून ढूंढने प्रयास करेंगे।
