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कविता@नवा पंथ बनाबो..

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जात पात ला हम भुलाबो मानवता मा माथ झुकाबो
दीनदुखी ला गला लगाबो चलो नवा पंथ हम बनाबो।।
उच्च नीच के भाव मिटाबो जरूरतमंद मा धन लुटाबो
सुख-दुख मा हाथ बटाबो चलो नवा पंथ हम बनाबो।।
जुरमिल के सब हम रहिबो एक दुसरा के सहारा बनबो
देश ला शिखर मा पहुंचाबो चलो नवा पंथ हम बनाबो।।
क्षेत्रीय के राग ला मिटाबो हिंदुस्तानी के धुन चलाबो
केवल भारत के गुन गाबो चलो नवा पंथ हम बनाबो।।
जातिवाद ला खत्म करबो वंशवाद ला हम भगाबो
संविधान के रद्दा मा जाबो चलो नवा पंथ हम बनाबो।।
विदेशी जिनीश ला छोड़बो स्वदेशी समान ला अपनाबो
रूपिया के मान सब बढ़ाबो चलो नवा पंथ हम बनाबो।।
काशी काबा हम जाबो मंदिर मस्जिद हम बनाबो
नरियर चदर सब चढ़ाबो चलो नवा पंथ हम बनाबो।।


लक्ष्मी नारायण सेन
खुटेरी गरियाबंद
छत्तीसगढ़


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