कविता@किस्मत के भरोसे मत बैठो…

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जीवन पथ पर लड़ सकते हो
आगे तुम भी बढ़ सकते हो
त्याग कर आलस का दामन
इतिहास नया गड़ सकते हो
किस्मत के भरोसे मत बैठो.
मिला नहीं उसे ला सकते हो
जो चाहो तुम पा सकते हो
मेहनत के बल आगे बढ़कर
लक्ष्य हासिल कर सकते हो
स्मत के भरोसे मत बैठो..
रगो में साहस भर सकते हो
कठिनाइयों से लड़ सकते हो
दौड़ नहीं तो चल सकते हो
सूरज सा निकल सकते हो
किस्मत के भरोसे मत बैठो.
कर मेहनत हो जाओगे सफल
आज नहीं तो हो जाओगे कल
बिन मेहनत नहीं मिलता कुछ
कर्म से किस्मत लिखता चल
किस्मत के भरोसे मत बैठो


प्रीतम साहू
लिमतरा,धमतरी
छत्तीसगढ़


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