हर रात के पीछे सवेरा छुपा होता है
ढूंढ सको तो ढूंढ लो!
हर बेगाने के पीछे अपना छिपा होता है
ढूंढ सको तो ढूंढ लो!
हर गम के पीछे ख़ुशी छुपी होती है
ढूंढ सको तो ढूंढ लो!
हर असफलता के पीछे सफलता छुपी होती है
ढूंढ सको तो ढूंढ लो!
हर पतझड़ के पीछे बसंत छुपा होता है
ढूंढ सको तो ढूंढ लो!
हर कमजोरी के पीछे ताकत छुपी हुई होती है
ढूंढ सको तो ढूंढ लो!
हर गरीबी के पीछे अमीरी छुपी होती है
ढूंढ सको तो ढूंढ लो
हर खान के नीचे कोई खनिज पदार्थ होता है
ढूंढ सको तो ढूंढ लो!
हर निराशा के पीछे आशा छुपी हुई होती है
ढूंढ सको तो ढूंढ लो!
हर भजन के पीछे भगवान छुपा हुआ होता है
ढूंढ सको तो ढूंढ लो!
शामलाल कौशल
रोहतक
हरियाणा
