तरक्की करनी हो तो
आसमान को देखो!
दोस्ती करनी हो तो
कृष्ण सुदामा को देखो!
प्रभु में आस्था समझनी हो
तो धन्ना भगत को देखो।
गुरु भक्ति समझनी हो ं
तो एकलव्य को देखो।
ममता को समझना हो
तो अपनी मां को देखो।
त्याग को समझना हो तो
अपने बहादुर पिता को देखो।
पिता का आज्ञाकारी जानना हो
तो श्री रामचंद्र जी को देखो।
दरिया दिली देखनी हो तो
कुदरत को आप देखो।
पवित्रता को देखना हो तो
मोक्षदायिनी गंगा को देखो।
एकता को देखना हो तो
मोतियों की माला को देखो।
माता-पिता की भक्ति देखनी हो
तो फिर श्रवण कुमार को देखो।
शामलाल कौशल
रोहतक
हरियाणा
