वृद्धावस्था किसी भी व्यक्ति के जीवन का एक महत्वपूर्ण चरण होता है और दुनिया भर की सरकारें अपने लोगों के लिए जीवन के इस चरण को अधिक स्थिर, सम्मानजनक, तनाव मुक्त और आर्थिक रूप से सुरक्षित बनाने का प्रयास कर रही हैं। जनसंख्या के अनुमानों से संबंधित तकनीकी समूह की रिपोर्ट (जुलाई 2020) के अनुसार, भारत में बुजुर्गों की आबादी 2031 तक 19 करोड़ से अधिक हो जाने की उम्मीद है। यह आबादी उस समय की भारत की कुल जनसंख्या का लगभग 20 प्रतिशत हिस्सा होगी। वरिष्ठ नागरिकों की जनसंख्या में यह नाटकीय प्रत्याशित वृद्धि इन वृद्धों की सामाजिक-आर्थिक सुरक्षा पर ध्यान देने की तात्कालिक आवश्यकता को रेखांकित करती है। इसी बात को ध्यान में रखते हुए भारत सरकार द्वारा 9 मई 2015 को अटल पेंशन योजना (एपीवाई) की शुरुआत की गई और भारत के असंगठित क्षेत्र पर ध्यान केन्दि्रत करते हुए एक सार्वभौमिक सामाजिक सुरक्षा प्रणाली का निर्माण किया गया। यह योजना असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों के बीच बुढ़ापे की उम्र में पेश आने वाले जोखिमों को दूर करने में मदद करती है और श्रमिकों को स्वैच्छिक रूप से अपनी सेवानिवृत्ति के लिए बचत करने हेतु प्रेरित करती है। एपीवाई एक ऐसी स्वैच्छिक व आवधिक अंशदान-आधारित पेंशन प्रणाली है, जिसके तहत ग्राहक को उनके द्वारा किए गए अंशदान के आधार पर हर महीने 1000 रुपये, 2000 रुपये, 3000 रुपये, 4000 रुपये या 5000 रुपये की न्यूनतम गारंटीकृत पेंशन मिलेगी।इस पहल का महत्व तब और भी बढ़ जाता है जब हम यह देखते हैं कि कुल रोजगार में अनौपचारिक क्षेत्र के कामगारों की हिस्सेदारी लगभग 85 प्रतिशत है। इस क्षेत्र में काम करने वाले या काम कर चुके बुज़ुर्गों की अधिकांश आबादी की रहन-सहन की स्थितियां गंभीर नीतिगत चिंता का विषय हैं। वर्ष 2031 तक बुज़ुर्गों की आबादी 20 प्रतिशत होने की उम्मीद है। इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए कि उस समय तक एक औसत भारतीय की जीवन प्रत्याशा 75 वर्ष की होगी, अटल पेंशन योजना निश्चित रूप से बुज़ुर्गों के लिए एक आकर्षक विकल्प है। कई विशेषज्ञों ने इस पेंशन योजना को सही ही राष्ट्रीय पेंशन योजना (एनपीएस) का एक विशेष रूप से डिज़ाइन किया गया मॉडल बताया है, जो एनपीएस को समाज के आर्थिक रूप से वंचित वर्गों के लिए सुलभ बनाता है। यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि एपीवाई का जन्म एक ही उद्देश्य-वंचितों को पेंशन क्षेत्र के दायरे में लाने के लिए हुआ था। कुछ पुरानी योजनाओं में, पेंशन की राशि गरीब बुजुर्गों के लिए बहुत ही कम है। इसी तरह, तुलनीय योजनाओं के लिए, कवरेज से संबंधित सीमाएं एक बड़ी बाधा हैं। उदाहरण के लिए, ईपीएस केवल उन्हीं संगठनों पर लागू होता है जो कम से कम 20 व्यक्तियों को रोजगार देते हैं और अधिकांश रूप से संगठित क्षेत्र की जरूरतों को पूरा करते हैं। इस आलोक में, एपीवाई न केवल आर्थिक रूप से कमजोर आबादी के एक बड़े हिस्से को अपने दायरे में लाता है, बल्कि यह 2047 तक विकसित भारत के सपने को साकार करने की दिशा में एनपीएस व मनरेगा जैसी भारत सरकार की अन्य सामाजिक सुरक्षा योजनाओं और इसी तरह की अन्य योजनाओं का पूरक भी है।नारी शक्ति के दृष्टि कोण को मजबूत करने के उद्देश्य से लैस इस योजना में महिलाओं की भारी भागीदारी देखी गई है। 31 मार्च, 2025 तक इस योजना के कुल ग्राहकों में महिलाओं की हिस्सेदारी 48 प्रतिशत से अधिक है। अनौपचारिक क्षेत्र पर जोर देने के साथ, एपीवाई स्वाभाविक रूप से उन प्रमुख समूहों को लाभ पहुंचाता है, जिन्हें अक्सर चार प्रमुख जातियों के रूप में निरुपित किया जाता है। इनमें गरीब और महिलाएं शामिल हैं। इसके अलावा, वृद्धावस्था पेंशन का संबंध केवल पैसे से ही नहीं है। इसका एक गहरा महत्व है। गरीबों और महिलाओं को इसके जरिए जो मानसिक शांति और सम्मान मिलता है, वह बेहद संतोष जनक है। 31 मार्च 2025 तक, एपीवाई के तहत ग्राहकों की कुल संख्या 7.6 करोड़ है और प्रबंधन के तहत परिसंपत्ति (एयूएम) 44,781 करोड़ रुपये की है। वित्तीय वर्ष 2024-2025 के दौरान, इसमें 1.17 करोड़ ग्राहक और 8250 करोड़ रुपये का एयूएम जुड़ गया है, जिससे इसके ग्राहक आधार में 15.4 प्रतिशत और एयूएम के विकास में 22.5 प्रतिशत की वार्षिक वृद्धि दर्ज की गई है। एपीवाई के तहत कुल सकल नामांकन के मामले में शीर्ष पांच राज्य उत्तर प्रदेश, बिहार, महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल और तमिलनाडु हैं। इसलिए, एपीवाई का लक्ष्य भारत के क्षेत्रीय रूप से वंचित लोगों के वित्तीय समावेशन को कार्यान्वित करना है ताकि सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास, सबका प्रयास’ के प्रमुख नीतिगत लक्ष्य को हासिल किया जा सके।वर्ष 2035 एक ऐतिहासिक वर्ष होगा। यह वह वर्ष होगा जब बहुप्रतीक्षित अटल पेंशन योजना (एपीवाई) के ग्राहकों को मासिक पेंशन की पहली किश्त मिलनी शुरू हो जाएगी।अटल पेंशन योजना के जरिए, असंगठित क्षेत्र में कार्यरत मुख्य रूप से स्व नियोजित,अनियमित(कैजुअल), गिग, प्लेटफ़ॉर्म श्रमिकों के लिए पेंशन कवरेज सुनिश्चित की जाती है। हालांकि भविष्य में जीवन प्रत्याशा और मुास्फीति-सूचकांक में होने वाली वृद्धि को देखते हुए, दीर्घकालिक अवधि में वृद्धावस्था में आय संबंधी सुरक्षा प्रदान करने की दृष्टि से मौजूदा व्यवस्थाओं की पर्याप्तता एक चुनौती होगी। हालांकि, कुल मिलाकर अटल पेंशन योजना आम जनता के लाभ के लिए वित्तीय एवं सामाजिक, दोनों ही मानदंडों पर एक सुविचारित योजना है। एपीवाई बुज़ुर्गों के लिए उनके बुढ़ापे में एक बेहतर भविष्य सुनिश्चित करने की दिशा में बेहद अहम साबित होगी।आगे की राहभारत की बढ़ती सामाजिक सुरक्षा समावेशी कल्याण एवं आर्थिक सुरक्षा के प्रति इसकी मजबूत प्रतिबद्धता को दर्शाती है। यह एक ऐसा उभरता हुआ परिदृश्य है, जिसमें दायरे का विस्तार करने, मौजूदा योजनाओं को मजबूत करने और विविध कार्यबल की चुनौतियों का समाधान करने पर ध्यान केन्दि्रत किया गया है। इसका लक्ष्य अपने सभी नागरिकों के लिए एक अधिक समावेशी और मजबूत सामाजिक सुरक्षा प्रणाली तैयार करना है।
-चित्रा जयसिम्हा-
