नई दिल्ली,03 जून 2025 (ए)। चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) जनरल अनिल चौहान ने पुणे विश्वविद्यालय में भविष्य के युद्ध और युद्धकला विषय पर अपने संबोधन में ऑपरेशन सिंदूर पर महत्वपूर्ण बातें साझा कीं। उन्होंने बताया कि यह ऑपरेशन दर्शाता है कि युद्ध केवल स्ट्राइक नहीं,बल्कि राजनीति का भी हिस्सा होता है। उन्होंने कहा कि ऑपरेशन सिंदूर में जहां युद्ध और राजनीति एक साथ चल रहे थे, वहीं हमें बेहतर काउंटर ड्रोन सिस्टम होने का फायदा मिला।
जनरल चौहान ने कहा,हम प्रोफेशनल फोर्सेस के रूप में नुकसान और झटकों से प्रभावित नहीं होते। हमें अपनी गलतियों को समझकर सुधारना चाहिए और पीछे नहीं मुडऩा चाहिए। उन्होंने स्पष्ट किया कि युद्ध में नुकसान से ज्यादा नतीजा मायने रखता है। उन्होंने बताया कि ऑपरेशन सिंदूर एक ऐसी युद्ध नीति का उदाहरण था जिसमें काइनेटिक और नॉन-काइनेटिक दोनों तरह के युद्ध कौशल इस्तेमाल हुए। सीडीएस अनिल चैहान ने इस युद्ध के दौरान बताया कि चार ट्रेंड उभरे हैं, जिससे आगे के युद्ध की रूपरेखा तय होगी।
पहला: सेंसर टेक्नोलॉजी इस युद्ध के दौरान काफी अहम रहा, हमारे पास नेचुरल और ह्युमन मेड दोनों तरह के सेंसर हैं, न सिर्फ रेंज,बल्कि ह्युमन मेड सेंसर भी कई तरह के होते हैं,और इसकी तैनाती भी अलग-अलग जरूरतों पर की जाती है।
दूसरा: ब्रह्मोस जैसी हाइपरसोनिक मिसाइलें और स्टील्थ टेक्नोलॉजी का इस युद्ध में काफी अहम योगदान रहा, जहां ड्रोन भी हैं,ये सब मिलकर ऐसे खतरे पैदा कर रहे हैं जिनका पता नहीं लगाया जा सकता।
तीसरा: मानव रहित सिस्टम,स्वायत्त सिस्टम इसमें शामिल हैं। मानवयुक्त टैंक और मानव रहित टैंक वगैरह काफी अहम साबित हुए, या आगे के युद्ध में हो सकते हैं जिससे ताकत बढ़ेगी और मानवीय जोखिम कम होगा।
