
गर्मी की छुट्टियाँ चल रही थीं।
चिंकी, चिंटू, मुनिया और मोनू रोज़ गाँव के अमरैया की छाँव में जुटते। पास ही दादा जी खेतों की रखवाली में लगे रहते — सधे हुए अनुभव और ठंडी छाया जैसे जीवन के दो सिरों की संगति।पेड़ों की झरती पत्तियाँ और धरती की तपन देखकर बच्चों की बातें दिन-ब-दिन गर्म होती जा रही थीं।लेकिन चिंटू की आँखों में कोई सवाल धूप की तरह चमक रहा था। दादू, पेड़ तो गाँव में कम होते जा रहे हैं और गर्मी बढ़ते जा रही है। क्या ऐसे ही चलता रहेगा? चिंटू ने चिंता के सुर में पूछा। दादा जी की आँखों में समय की गहराई थी। वे बोले —बेटा,पेड़ तो धरती के प्राण हैं। इनका कम होना मतलब हमारी साँसों का कम होना है।
दादा जी! इससे बचने के लिए क्या उपाय हैं? चिंकी पूछ पड़ी।
हम सबको पेड़ लगाकर उसकी रक्षा करनी चाहिए, दादा जी बोले, मानो कोई मंत्र उचार रहे हों।
यह तो बड़े-बुज़ुर्गों का काम है दादा जी, हम बच्चे क्या कर सकेंगे? मुनिया ने सहज प्रश्न रखा।
अरे बेटू! पेड़ हम सब मिलकर लगा सकते हैं, इसमें बच्चे-बूढ़े का सवाल नहीं है,दादा जी ने प्रेम से समझाया।अरे वाह! यह तो बहुत अच्छी बात है कि हम भी वृक्षारोपण कर सकते हैं! मोनू उत्साहित होकर बोला। बस फिर क्या था, बच्चों ने कमर कस ली और समूह स्वर में कहने लगें। अबकी बार बरसात,बीजों की बारात! हमें इसके लिए कुछ तैयारी करनी होगी। घर के आसपास,बाजार आदि स्थानों पर आसानी से मिलने वाले फलों के बीजों को एक जगह इकट्ठा करना होगा,दादा जी ने अगली योजना बताई। हम इन बीजों का क्या करेंगे दादू? चिंकी ने जिज्ञासा से पूछा।
बरसात आने पर इन्हीं बीजों को धरती में रोपना होगा,तभी पेड़ उगेंगे। दादा जी ने धैर्यपूर्वक समझाया।
वो कैसे? चिंटू पूछ बैठा।
हमारेआसपास नीम,शीशम,जामुन, अमरूद,सहजन,इमली,आम, सीताफल,कहुआ,करण,बबूल आदि के बीज मिल जाते हैं। इन्हें इकट्ठा
करके एक बीज-बैंक बनाएंगे।
दादू! लेकिन इसे हम लगाएंगे कैसे? मुनिया ने प्रश्न किया। अरे बिटिया! गोबर और मिट्टी में बीज लपेटकर गोलियाँ बनाएंगे। एक थैली में इस बीज-बम को रखेंगे — धरती को देने का सबसे सच्चा उपहार,
दादा जी ने गर्व से कहा।
दादू,हम इस बीज बम का क्या करेंगे? हमें तो पेड़ लगाना है, बम नहीं बरसाना है! चिंकी कौतूहल से बोली।दादा जी मुस्कराए,बोले —
तुम तो पेड़ लगाने के लिए घोड़े पर सवार हो! तनिक धीरज रखो बेटू!
हाँ दादा जी! हमें क्या करना होगा, बताइए,मोनू ने चिंकी को चुप कराते हुए कहा। अब जब भी हम ट्रेन या बस से कहीं आएँ-जाएँ, बीजों की थैली अपने साथ रखें।
बीज बम को खिड़की से बाहर फेंकते जाएँ।
जहाँ सूनी जमीन दिखेगी,वहीं हरियाली उग आएगी,दादा जी ने बच्चों को बीज मंत्र देते हुए कहा।
वाह! यह तो बहुत ही आसान काम है —आम के आम, गुठलियों के भी दाम!यात्रा का आनंद और वृक्षारोपण का लाभ एक साथ! चिंटू चहकते हुए बोला।सभी बच्चों ने एक-दूसरे के हाथों पर हाथ रखा।
धरती को बचाने, पेड़ लगाने का संकल्प लिया। वे समूह स्वर में बोले — बोएंगे बीज जहाँ-तहाँ,
होगी हरियाली वहाँ-वहाँ।