
लड़कियों के लिए ये बस एक वाक्य नहीं है बल्कि एक हौसला,एक उड़ान हैं। ऐसे तो लड़के हो या लड़कियाँ हर बच्चें के लिए यह वाक्य खास ही होता है और आत्मविश्वास का भी विकास करता है। एक बार की बात है,मुजफ्फरपुर बिहार के एक गाँव में,एक परिवार में तीन बच्चे थे। सौभाग्य से दो बेटियाँ और एक बेटा था। जब उस परिवार में पहला बच्चा-बेटी हुई तो कई लोग खुश हुए तो कई लोग उदास भी हुए क्योंकि सबको चाहत होती हैं कि मेरा पहला बच्चा बेटा ही हो। लेकिन उस बच्ची के माँ-बाप को बहुत खुशी थी कि उसे एक बेटी हुई है। जब उस बच्ची के माँ-बाप पढ़ाई शुरू करवाने वाले थे अपनी बेटिया रानी की,तब सबने बहुत रोक टोक किया। सब बोलते थे…लड़की हैं क्या करेगी पढ़कर लिखकर। पढ़ने से ज़्यादा जरूरी घर के काम होते हैं। घर के काम को अच्छे से करना सीख जाएगी तभी अच्छे घर में शादी होगी इसलिए पढ़ाई लिखाई मत सोच और अपनी माँ के साथ चूल्हा जलाना सीखा लेकिन उसके बाप पर इन बातों का कोई असर नहीं पड़ा वो अपनी बेटी को पढ़ाने के लिए सरकारी स्कूल भेजना शुरू किए। समय के साथ-साथ वो बच्ची बड़ी हो रही थी और पढ़ रही थी तभी उनका दूसरा बच्चा हुआ सौभाग्य से वो भी बेटी हुई। इस बार तो उस बच्चे की माँ पर सब ऐसे बरस पड़े जैसे उसने कुछ पाप कर दिया हो। सबसे पहले सास ही बोलने लगी-पता नहीं! मुझे पोते की सुख की प्राप्ति होगी भी या नहीं। हर बार बस बेटी-बेटी और बेटी ही कर रही हैं। अब समाज के दृष्टि से यही दुर्भाग्य का विषय बन गया था। दोनों पति-पत्नी और वो बच्ची मिलकर खुशियाँ मना रहे हैं और इधर सब उस लड़के के लिए दूसरी लड़की खोजने लगे। जब लड़का पूछने गया-तब उसकी माँ कहती हैं क्या पूछने आया है। तुम्हारी पत्नी तो बस बेटी पर बेटी किए जा रही है,अगर ऐसा चलता रहा तो दहेज कहाँ से देगे हमलोग। याद है ना,कैसे कर्ज ले लेकर तुम्हारी बहन की शादी करवाए थे। अब दो दो और लड़कियाँ है। क्या पता उसे लड़का हो ही नहीं। मुझे पोता चाहिए चाहे इसके लिए तुझे दूसरी शादी करनी पड़े तो करो। मुझे बस पोता चाहिए,बात खत्म। इतनी बात सुनते ही जैसे पति अपनी पत्नी के पास गया। उसकी पत्नी कहती हैं…माँ जी सही ही कह रही हैं। आप दूसरी शादी कर लीजिए,वैसे भी मै बेटा को जन्म कहाँ दे पा रही हुँ। तब लड़का बोलता है -बस इन्हीं बात से मुझे खुशी हैं कि मेरी दो-दो बेटियाँ है। तब वो बोलती है-मै समझी नहीं जी,किस बात की खुशी। अच्छे से समझाए मुझे। तब उसका पति बोलता है-देखो भाग्यवान,इसमें ना तुम्हारी गलती है और ना मेरी गलती है। अगर समाज के अनुसार बोलूँ तो ये सब भागवान की देन हैं और विज्ञान के अनुसार बोले तो ये सब प्रजनन प्रक्रिया के अनुसार होता है। तो अब बताओ क्या कर सकते हैं आप और हम। बेटा हो या बेटी इससे कोई फर्क नहीं पड़ता है,फर्क पड़ता है तो इसका की हमने उन्हें कैसा इंसान बनाया है समझी। इसलिए मै दूसरी शादी बिल्कुल नहीं करूँगा। इतना कहते ही दो बच्चियाँ आ जाती हैं और हर दिन के तरह उसके पापा ही उन दोनों को पढ़ाते। दो बच्चियाँ बहुत ही प्रतिभावान थी,बहुत कम उम्र में उसने कई उपलब्धियाँ हासिल की। उसके पापा हमेशा कहते थे-बच्चों जो करना है वो तुम खुद तय करो और सच्ची-ईमानदारी इरादे से पूरा भी करो। इधर अपनी सास को खुश करने के लिए वो तीसरी बार एक बच्चे को जन्म देने वाली थी। इस बार वो बहुत डरी हुई थी कि हे भगवान कृपा करो इस बार मुझे पुत्र की प्राप्ति दे दो। दो बच्चियाँ,माँ,पापा,सास सब भगवान से दुआ कर रहे थे कि इस बार पुत्र ही हो और इस बार भगवान ने सबकी दुआ सुन ली। इस बार इस घर का चिराग यानि पुत्र का जन्म हुआ। पूरा घर-आस परोस सब बहुत खुश हुए। पूरे घर में मानो कोई त्योहार है ऐसे जश्न मनाया गया। देखते ही देखते बेटियाँ बड़ी हो गई और जहाँ सब उसके शादी के लिए सोच रहे थे। वही वो बच्चियाँ सरकारी नौकरी का सपने देखने लगी। गाँव के लोगों की जीवन खेती पर ही चलती है और उस बच्ची के बाप ने अपना खेत ही बेच दिया है सिर्फ इसलिए क्योंकि उसकी बेटी को सरकारी नौकरी चाहिए था। गाँव से शहर भेजते वक्त भी उसके बाप ने बस यही कहा -तुम्हें जो करना है वो तुम करो हम तुम्हारे साथ है। यही वाक्य उस दोनों बच्चियों के अंदर आत्मविश्वास लाता और इधर वो माँ-बाप,बेटा और सास सब गाँव में रहते। जो अपनी खेत में खेती करता था अब वो दूसरे के यहाँ जाकर खेती करता, पैसा कमाता और घर चलाता। दिन पर दिन घर की स्थिति खराब हो रही थी। तभी एक दिन काँल आया और पता चला कि आपकी दोनों बेटियों का जाँब लग गया। वो बिहार पुलिस की भर्ती में पास हो गई है बहुत बहुत बधाई। पूरे घर में बहुत दिनों बाद वापस हँसी आ गई। तब वो लड़का अपनी पत्नी,बेटा को लेकर अपनी माँ के पास और बताया-कि देखा माँ आपने, मेरी बेटियों ने बिहार पुलिस की भर्ती निकाल ली। बेटियाँ सिर्फ घर संभालने के लिए नहीं,बल्कि कुछ कर दिखाने में भी विश्वास रखती है और अब कभी करोगी बेटी-बेटा में फर्क। तब वो बोलती है-बिल्कुल नही। अब मै भी बोलूँगी-तुम्हें जो करना है तुम करो, मै तुम्हारे साथ हूँ।