सूरजपुर@क्या प्रशासन ने ग्रामीणों की शिकायत पर नहीं दिया ध्यान जिस वजह से विराट सॉल्वेंट प्राइवेट लिमिटेड कंपनी व ग्रामीणों के बीच उत्पन्न हुआ विवाद?

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ग्रामीण व विराट सॉल्वेंट प्लांट के बीच पनप रहा आक्रोश पहुंचा प्लांट की तोड़फोड़ की स्थिति तक?
प्लांट की तोड़फोड़ व मारपीट के बाद भीड़ पर हुई कार्यवाही…पूरे मामले में ग्रामीणों को सजा दिलाने के लिए लूट के मामले में मामले को किया गया तब्दील ताकि दोबारा प्लांट को लेकर ना कर पाए कोई विरोध?
मारपीट व तोड़फोड़ का सीसीटीवी में दृश्य हुआ कैद पर 25 लाख के लूट का दृश्य क्यों नहीं हुआ कैद…क्या वहां पर नहीं था सीसीटीवी कैमरा?
इस घटना के बाद ग्रामीणों से मिलने कोई भी जनप्रतिनिधि नहीं आया सामने…ग्रामीणों से बदला लेने के प्लांट संचालक ने कईयों से कराया फोन:सूत्र
मामले में मीडिया भी नहीं दिखी निष्पक्ष सिर्फ प्लांट संचालक के पहलू को दिखाया ग्रामीणों के पहलू को छुपाया गया?
संचालक से आक्रोशित ग्रामीणों ने कानून का सहारा लेने की बजाय हिंसक होना किया पसंद…क्या यही उनके लिए फरारी का बना कारण?
ऊंची पहुंच वालों की वजह से पुलिस ने मामला बनाया एक तरफा?
सूरजपुर में विराट सॉल्वेंट फैक्ट्री पर हिंसक हमला,विवाद की असल वजह  फिरौती का या मजदूरी?

-शमरोज खान-
सूरजपुर 28 मई 2025 (घटती-घटना)। विराट सॉल्वेंट प्लांट में हुई तोड़फोड़ सहित संचालक के पुत्र व कर्मचारी के साथ मारपीट के मामले में इस बार भीड़ पर अपराध दर्ज होने की जानकारी मिली है, पर इस मारपीट की घटना का असली षड्यंत्रकारी आखिर कौन है? क्या यह मारपीट की घटना नहीं होती यदि प्रशासन समय पर इस मामले में हस्तक्षेप कर लेता? बताया जा रहा है कि विराट सॉल्वेंट प्लांट के संचालक अपने प्लांट का दूषित पानी एक जलाशय में गिरा रहे हैं जो जलाशय उस प्लांट के दूषित पानी से खराब हो रहा है, जिसे बचाने की जिम्मेदारी ग्रामीणों के साथ-साथ प्रशासन की भी है पर ग्रामीणों की शिकायत पर प्रशासन ने इस पर कोई कार्रवाई नहीं की और यह विवाद इतना बढ़ गया की शिकायत के कुछ दिन बाद ही आक्रोशित ग्रामीणों ने प्लांट में तोड़फोड़ कर दी और संचालक के पुत्र सहित कर्मचारी के साथ मारपीट कर ली, बताया जा रहा है कि उस दिन भी बात उस गांव के मजदूरों के मजदूरी के भुगतान को लेकर था जो नहीं संचालक द्वारा किया जा रहा था और मजदूर के साथ आपत्तिजनक बातें की गई जो जानकारी ग्रामीण तक पहुंची और ग्रामीणों की भीड़ अचानक उस प्लांट पर टूट पड़ी और आक्रोशित भीड़ ने जलाशय के गंदे पानी सहित उनके गांव के व्यक्ति को मजदूरी न देने के बजाय उनसे गाली गलौज किया गया और फिर मामला एक हिंसा में बदल गया, ग्रामीणों ने आक्रोश में कानून हाथ में लिया और हिंसक बन गए पर उनके इस कृत्य पर अपराध दर्ज हो गया, ग्रामीणों की भावनाओं को किसी ने समझने का प्रयास नहीं किया क्योंकि वह लाचार ग्रामीण है और वही विराट सॉल्वेंट प्लांट संचालक उद्योगपति होने के साथ-साथ सत्ता शासन प्रशासन को भी अपनी मुट्ठी में लेकर चलते हैं, जिस वजह से उस मामले को एक लूट का रंग भी दिया गया, मारपीट व तोड़फोड़ तो सीसीटीवी कैमरा में कैद हुआ और देखा भी गया कि काफी संख्या में ग्रामीणों ने तोड़फोड़ की है पर 25 लाख के लुट का वीडियो कहीं पर भी सीसीटीवी कैमरे में देखने को नहीं मिला, अब सवाल यह उठता है कि क्या संचालक ने अपने प्लांट के विवाद को निपटने के लिए पूरे ग्रामीण को ही इस मामले में घसीट दिया और ग्रामीणों को इस मामले से फरार होना पड़ा, अभी स्थिति यह है कि काफी लोग गांव से पुलिस कार्यवाही की वजह से फरार है पुलिस तलाश कर रही है कुछ की गिरफ्तारी भी हुई है।

ग्रामीणों से सिर्फ वोट चाहिए नेताओं को उनकी समस्याओं से उन्हें कोई लेना देना नहीं?
इस पूरे मामले के बाद एक बहुत बड़ा सवाल उत्पन्न हो गया है जहां ग्रामीण की समस्याओं को न तो प्रशासन ने सुना, न तो जनप्रतिनिधि ने सुना पर जब आज मामला अपराधिक प्रकरण तक पहुंच गया या कहा जाए तो इसके जनक भी प्रशासन है जिसने शिकायत पर ध्यान नहीं दिया आखिर ऐसी क्या वजह थी कि गांव वाले ने इकट्ठा होकर तोड़फोड़ किया? क्या संचालक ने गांव वालों को परेशान कर रखा था? आज यह परेशानी ही ग्रामीणों को तोड़फोड़ के लिए विवश कर दिया? और कानून हाथ में लेने के लिए विवश किया तमाम तरह के सवाल इस घटना के बाद खड़े हो रहे हैं, पर शायद इसका जवाब किसी के पास न हो अभी मामला भले ही शांत है पर राजनीतिक दृष्टिकोण से देखा जाए तो ग्रामीण की भी एक समस्या है वह समस्या थी जलाशय में दूषित पानी जाने का जिसका समाधान प्रशासन ने शायद खोजने में दिलचस्पी नहीं दिखाई और न ही विधायक मंत्री ने इस पर कोई पहल की, आज जब मामला ग्रामीणों के आक्रोश से उठकर अपराधिक हो गया तब भी बड़े नेताओं का ग्रामीण के प्रति कोई फर्ज नहीं दिखा उनका संवेदना सिर्फ प्लांट संचालक के प्रति देखने को मिली,कोई भी ग्रामीणों से मिलने नहीं आया उनकी समस्या सुनने नहीं आया, वास्तविक स्थिति क्या थी इसकी जानकारी लेने भी नहीं पहुंचा, जो भी आए वह पुलिस पर दबाव बना की ग्रामीणों पर अपराध पंजीबद्ध कर जेल भेजो, धारा जितना बढ़ सके उसके लिए मंत्री विधयाक का फोन पुलिस के पास आया, क्या ग्रामीणों के भोलेपन की तरफ नेताओं का ध्यान नहीं सिर्फ उनसे वोट पाना ही उनका उद्देश्य है उनकी समस्याओं पर उनके साथ खड़ा होना क्या उनका उद्देश्य नहीं है?
प्लांट संचालक के विरुद्ध ग्रामीणों ने प्रशासन सहित मुख्यमंत्री तक की थी शिकायत पर नहीं हुई उस पर कोई कार्रवाई?
ग्रामीण पहले प्लांट संचालक से लड़ाई कानून के दायरे में लड़ना चाह रहे थे इसलिए उन्होंने प्रशासन को शिकायत भी की थी और दूषित पानी से छुटकारा मिले इसके लिए प्रशासन के पास ही गुहार लगाया था, मुख्यमंत्री तक को इन्होंने शिकायत में इस बात की जानकारी दी थी पर उस समय तक उस पर कोई भी पहल नहीं किया गया, उस समय भी संचालक का दंभ वाला रवैया ग्रामीणों को पसंद नहीं आया संचालक पैसे व पावर में भले ही बड़े हैं पर आम बोलचाल उनकी इतनी खराब है कि कोई भी उनसे नाराज हो सकता है पूरे सूरजपुर जिले में इकलौते उद्योगपति हैं जो छोटे-छोटे मजदूर व ग्रामीणों से टेढ़े मुह ही बात करते हैं वह भी अपने मजदुर से जिस वजह से समस्या इनकी बढ़ जाती है इनका टेढ़ा बोलचाल ही इनकी सबसे बड़ी कमजोरी है जो हमेशा ही विवादों में का कारण रहती है।
ग्रामीणों पर लगी कई गंभीर धाराएं?
प्लांट संचालक की शिकायत पर ग्रामीणों के ऊपर कई गंभीर धाराएं लगा दी गई ऐसी ऐसी धाराएं लगाई गई जिसमें जमानत न मिल सके मारपीट से लेकर लुट तक की धारा लगाया गया, पर क्या ग्रामीण अपने ही गांव में संचालित प्लांट में लूट कर सकते हैं? क्या लुट उनका उद्देश्य था या फिर उस विवाद का जनक ही संचालक था? यह सवाल भले ही कोई पूछ ना रहा हो पर यह सवाल शहर में तैयार जरूर रहे हैं? आखिर यदि ग्रामीण का उद्देश्य लुट करना होता तो तोड़फोड़ नहीं करते इतने संख्या में थे कि सभी को बंदी बनाकर भी लूट कर सकते थे पर मामला कुछ और था और मामला कुछ और ही रूप ले लिया और रूप लेने के बाद संचालक अपना बदला लेने के लिए क्या उस और बड़ा रूप देने का प्रयास किया ताकि आगामी समय में उनके प्लांट के दूषित पानी के जलाशय में जाने का कोई विरोध न कर सके?
यह है पूरा मामला
जिला मुख्यालय से महज 6 किलोमीटर दूर एक सॉल्वेंट फैक्ट्री में 20 जून को विवाद उत्पन्न हो गया इस विवाद की वजह अलग-अलग बताई जा रही है जहां पर फैक्ट्री के संचालक द्वारा इसे लूट व मारपीट का मामला बताया जा रहा है तो वही ग्रामीणों का कहना है कि यह मामला उनके प्लांट के वेस्टेज पानी का तालाब में जाने की वजह से है जिसे लेकर मामला तहसील न्यायालय में विचाराधीन है बिना एनओसी के ही इन्होंने वहां पर साल्वेंट प्लांट बनाया गया। साल्वेंट प्लांट के गंदे पानी की वजह से आए दिन ग्रामीणों का विवाद रहता है ग्रामीण इस मुद्दे को लेकर शुरू से ही विरोध कर रहे हैं पर उनके विरोध पर कोई कार्यवाही नहीं हो पा रही थी बताया यह भी जाता है कि प्लांट के संचालक काफी पहुंच पकड़ वाले हैं और काफी रसुखदार है जिस वजह से आज उनका प्लांट नियम विरुद्ध तरीके से वहां पर संचालित है और उनके प्लांट का वेस्टेज पानी लोगों के लिए मुसीबत बना हुआ है इसी बीच मजदूरों को भुगतान न करना और किसी मजदूर पर हाथ उठा देने की वजह से ग्रामीण आक्रोशित हो गए और प्लांट का घेराव कर दिया इसके बाद मामला तूल पकड़ लिया और संचालक के बेटों के साथ मारपीट का मामला सामने आया जहां पर ग्रामीण ने सिर्फ यह मारपीट इस वजह से की क्योंकि मजदूरी न देने की वजह से उस गांव के एक मजदूर के साथ उन्होंने दुर्व्यवहार तो किया ही और पैसे न देने के एवज में उसके साथ मारपीट की जिसे लेकर ग्रामीण आक्रोशित हो गए और पूरे मामले विवाद का रूप ले लिया।
ग्रामीणों ने इसे मजदूरी विवाद बताया है
वहीं दूसरी ओर, नेवरा गांव के स्थानीय लोगों ने इस घटना को मजदूरी विवाद से उपजा बताया है, ग्रामीणों के अनुसार, एक नाबालिग मजदूर द्वारा अपनी मजदूरी मांगने पर संचालक ने उसे पीट दिया, जिससे गुस्साए ग्रामीणों ने फैक्ट्री पर धावा बोल दिया, हालांकि संचालक ने मारपीट से इनकार किया है , ग्रामीणों का दावा है कि लूटपाट जैसी कोई घटना नहीं हुई, और उन्होंने सीसीटीवी फुटेज सार्वजनिक करने की मांग की है, फिलहाल पुलिस दोनों एंगल से जांच कर रही है, एक ओर अवैध वसूली की साजिश की आशंका, तो दूसरी ओर मजदूरी विवाद से उपजा आक्रोश, यह जांच का विषय है कि सच के पीछे कौन-सी परत छुपी है, जिलेभर की निगाहें अब प्रशासन की निष्पक्ष जांच और त्वरित कार्रवाई पर टिकी हैं।
हमेशा विवादों में रहते हैं साल्वेंट प्लांट संचालक
साल्वेंट प्लाट संचालक जहां प्लांट के मालिक तो है ही राइस मिलर भी है और इनका हमेशा विवादों से नाता रहता है क्योंकि अपने आप को भाजपा के बहुत बड़े समर्थक तो बताते ही हैं साथ ही हर विधायक मंत्री के गरीबी भी है, पिछली बार इनका कोरिया में भी एक ऐसा ही विवाद हुआ था राइस मिल की जमीन को लेकर जहां पर उन्होंने खूब गाली गलौज किया था फोन पर व विधायक मंत्री की धमकी भी दी थी, इन की हर बात धमकियों में ही रहतीहै, इनका लहजा भी कुछ ठीक नहीं है और उनके बच्चों का भी लहजा कुछ खराब ही रहा है जिस वजह से हमेशा विवाद की स्थिति उत्पन्न होती है, इस बार भी सूत्रों का कहना है कि बच्चों के लहजे के वजह से ही विवाद उत्पन्न हुआ और यह विवाह सिर्फ मजदूरी भुगतान का था छोटे-छोटे चीजों को लेकर यह अपना बहुत बड़ा पहुंच बनाते हैं और बड़े पहुंच बताने के चक्कर में यह गुंडे का रूप भी ले लेते हैं। डराना धमकाना इनकी फितरत में है इस बात से पूरा शहर इत्तेफाक रखता है। एक तो पर्यावरण के विपरीत व गांव के लोगों कि बिना सहमति के साल्वेंट प्लाट संचालित कर रहे हैं और उसका गंदा पानी तालाब में भेज रहे हैं।
ये थी ग्रामीणों की शिकायत
विराट साल्वेंट प्रा. लि. कम्पनी द्वारा स्थापित कारखाने द्वारा फैलाई जा रही वायु ध्वनि एव जल प्रदुषण को लेकर शिकायत करते हुए ग्रामीणों ने लिखा की ग्राम पंचायत नेवरा में विराट साल्वेंट का कारखाना स्थित है, विराट साल्वेंट प्रा. लि. का कारखाना ग्राम नेवरा के रिहायशी क्षेत्र में स्थापित है। उक्त फैक्टरी के द्वारा निष्काषित प्रदूषित पानी से ग्राम का एकमात्र डेम पीडा जलाशय के नाम से है। पानी पूरी तरह प्रदूषित हो रहा है। ग्राम वासियों के पशुओ के लिए पानी एवं अन्य कृषि कार्य हेतु पानी का एकमात्र साधन डेम है जिसका पानी प्रदूषित होने से विकराल स्थिति निर्मित हो गयी है। उक्त फैक्ट्री का रिहायशी क्षेत्र में होने के कारण लगातार वायु प्रदूषण एवं ध्वनि प्रदूषण के कारण घरों में रहना असंभव सा हो गया है। उक्त कारखाना से निकलने वाले डस्ट एवं बदबू के उचित निपटान की भी कोई व्यवस्था नहीं की गई है। उक्त सबंध में सज्ञान लेते हुये कठोर दण्डात्मक कार्यवाही किये जाने हेतु उक्त कारखाने को बंद कराने की मांग किया था साथ इस बात की जाँच कराई जाने कि मांग की क्या उक्त कारखाने के स्वामी द्वारा कारखाना खोलते समय सम्पूर्ण निमयों का पालन किया गया है।


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