18 वी सदी के उत्तरार्ध में मालवा के महेश्वर से निकला राजमाता अहिल्याबाई का धर्म संरक्षण और गरीबों को समर्पित संदेश आज भी सार्थक और प्रासंगिक है। इंदौर की रानी अहिल्याबाई का जन्म 1725 में 31 मई को महाराष्ट्र के अहमदनगर में चोंडी नामक गैर सामंती परिवार में हुआ था।31 मई 2025 को 300 वर्ष वी जयंती है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उस दिन भोपाल जंबूरी मैदान से अहिल्याबाई का संदेश राष्ट्र को देंगे। अहिल्याबाई एक रानी ही नहीं थी बल्कि सनातन धर्म की ध्वज वाहिका भी थी। उन्होंने अपने पति और मालवा नरेश खांडे राव की मृत्यु के बाद जा चारों ओर से राजाओं ने मालवा पर आक्रमण करने की योजना बनाई तो विधवा अहिल्याबाई ने 60 वर्षों की आयु में महिलाओं की तलवार से युक्त सेना बनाई और भाजे राव पवार,शिंदे को करारा जवाब दिया हार कर सेना जो हमला करने वाली थी वह लौट गयी। उसके बाद रानी अहिल्याबाई ने मुड़कर नहीं देखा। उन्होंने ऐसा राज्य बनाया जिसमें गरीबों की तमाम योजना बनाई गई थी। इतना ही नहीं तत्कालीन समय में जब मुगलों की ताकत कम हो रही थीं और मराठा शक्ती का उदय हो रहा था तब उन्होंने दिल्ली पर कब्जा करने के लिए पेशवा बाजी राव की मदद की। उनके शासन के समय बंगाल में ब्रिटिश का कब्जा हो गया था और ब्रिटिश उड़ीसा विहार,उत्तर भारत में अपने पैर जमाना चाहते थे।अहिल्याबाई ने सनातन धर्म के बद्रीनाथ,गंगोत्री,काशी विश्वनाथ, सोमनाथ मंदिर आदि का जीर्णोद्धार कराया। इतिहासकार रूत्र मजूमदार लिखते हैं कि अहिल्याबाई ने संपूर्ण उत्तर भारत, पश्चिमी प्रदेश में मंदिरों को सुधरवाया और यात्रियों के लिए अन्न क्षेत,धर्मशालाएं बनवाई,कुएं खुदवाए,बाबरिया,स्थापित कराई। और ये कार्य उन्होंने ऐसे काल खंड में किए जब सनातन धर्म संकट में था । पूरे भारत में मुस्लिम शासक थे या ब्रिटिश काल आरंभ हो रहा था ईस्ट इंडिया कंपनी पूरे भारत पर पैर जमा रही थी,हिंदुओं की दुर्दशा थी हिन्दू धर्म पर जजिया कर लगा था।एक बार उनके लिए माले राव ने गाय के बछड़े को रथ से कुचल दिया और उसकी गाय ने अहिल्याबाई का रथ के सामने धरना दे दिया।इस बात का जब पता चला कि मलेराव ने बछड़ा मारा तो अहिल्याबाई ने एक निष्पक्ष शासक के मिशाल देते हुए अपने पुत्र मलेराव को हाथी से कुचलवाने का आदेश दिया, ऐसी थीं अहिल्याबाई रानी। रानी अहिल्याबाई ने इंदौर का महल छोड़कर नर्मदा नदी के किनारे महेश्वर में अपना घर बनाया और राज भी वही से किया । 31 मई को उनकी 300 वी जयंती है। इतिहासकार ने अहिल्याबाई का जीवन चरित्र की आजादी के बाद अनदेखी की हमे अलाउद्दीन खिलजी,अकबर महान,करके पढ़ाया गया देश की अहिल्याबाई जैसी विशाल शख्सियत से दूर ही रखा। भारतीय जनता पार्टी ने अहिल्याबाई रानी के जीवन चरित्र पर एक लाइट एंड साउंड शो भी अभी हाल ही में इंदौर में आयोजित किया गया था और अब 31 मई को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जंबूरी मैदान भोपाल में एक कार्यक्रम करने जा रहे हैं।
-अजय दीक्षित-
