
भारत—एक ऐसा देश जिसकी जड़ें हजारों वर्षों पुरानी सभ्यता में हैं और जिसकी शाखाएँ अब 21वीं सदी के वैश्विक मंच पर लहराने लगी हैं। आज का भारत न केवल बदलाव के दौर से गुजर रहा है,बल्कि वह बदलाव का वाहक बन चुका है। विज्ञान, तकनीक,राजनीति,संस्कृति और आध्यात्म के क्षेत्र में भारत ने विश्व को अपनी एक सशक्त और आत्मनिर्भरता वाली पहचान दी है।
आज का भारत एक नए युग में प्रवेश कर चुका है। जहां कभी विकासशील देशों की सूची में गिना जाने वाला भारत था, वहीं आज वह वैश्विक राजनीति,अर्थव्यवस्था,विज्ञान, तकनीक और संस्कृति के क्षेत्रों में प्रभावशाली उपस्थिति दर्ज करा रहा है। बदलता भारत अब केवल एक वाक्य नहीं,बल्कि विश्व मंच पर उभरती हुई एक वास्तविकता है।
भारत-एक नई दृष्टि,एक नई दिशा
जहां एक समय भारत को गरीब और पिछड़े देश की दृष्टि से देखा जाता था,वहीं अब वह डिजिटल सुपरपावर,‘स्पेस लीडर,और‘ग्लोबल डिप्लोमेसी का सेंटर’बन चुका है। चंद्रयान-3 की सफल लैंडिंग हो या प्रतिशत-20 की अध्यक्षता—भारत ने पूरे विश्व को यह जता दिया है कि अब वह केवल ‘भागीदार’ नहीं, बल्कि ‘निर्माता’ है।
आत्मनिर्भर भारत:देश से विश्व तक की यात्रा
‘आत्मनिर्भर भारत’ का सपना अब योजना से यथार्थ बनता जा रहा है। मेड-इन-इंडिया रक्षा उपकरण,डिजिटल पेमेंट सिस्टम,और लोकल से ग्लोबल तक पहुंचती स्टार्टअप कंपनियाँ भारत को वैश्विक मंच पर सम्मान और नेतृत्व दोनों दिला रही हैं।
हमारी संस्कृति,
हमारी शक्ति
भारत की संस्कृति, योग, आयुर्वेद,संगीत,साहित्य और वसुधैव कुटुंबकम् की भावना आज पूरी दुनिया में सम्मानित हो रही है। अंतरराष्ट्रीय योग दिवस हो या विश्वभर में मनाया जाने वाला दीपावली उत्सव—भारत अब केवल भूगोल नहीं, एक वैश्विक भाव बन चुका है।
कूटनीतिक दबदबा
जी 20 की अध्यक्षता,ब्रिक्स, मड जैसे मंचों पर भारत की सक्रिय भूमिका उसके वैश्विक नेतृत्व की पुष्टि करती है। विश्व समस्याओं पर भारत की संतुलित राय अब गंभीरता से सुनी जाती है।
सैन्य सशक्तिकरण
आत्मनिर्भर भारत के तहत रक्षा क्षेत्र में भी देश तेजी से आत्मनिर्भर हो रहा है। भारतीय सेना की शक्ति और सीमा सुरक्षा की सजगता अब वैश्विक पटल पर चर्चा का विषय है।
युवा शक्तिःहमारी असली पहचान
भारत की सबसे बड़ी पूंजी उसकी युवा जनसंख्या है। ये युवा नए आइडिया,इनोवेशन और ऊर्जा से भरे हुए हैं। तकनीकी स्टार्टअप्स, स्पेस रिसर्च, हेल्थ टेक, और एआई जैसे क्षेत्रों में भारतीय युवाओं की भागीदारी हमारी नई पहचान को मजबूती देती है।
भारत की वैश्विक भूमिका:शांति का पथप्रदर्शक
यूक्रेन संकट से लेकर वैश्विक महामारी तक,भारत ने हर बार शांति,सहयोग और संतुलन की भूमिका निभाई। यहां तक की हम हमारे दुष्ट पड़ोसी को भी समय समय पर क्षमा करते रहते हैं। वसुधैव कुटुम्बकम के मंत्र के साथ भारत ने यह सिद्ध किया है कि शक्ति और शांति, दोनों साथ चल सकते हैं।
आज का भारत केवल बदल नहीं रहा,नई पहचान गढ़ रहा है—एक ऐसी पहचान जो आत्मबल,सांस्कृतिक गर्व और वैश्विक उत्तरदायित्व से जुड़ी है।
अब समय आ गया है कि हम सब इस बदलाव के भागीदार बनें और अपने भारत को सिर्फ ‘विश्व में’नहीं,बल्कि ‘विश्व के केंद्र में’ केंद्रबिंदु बना देखें।
नव भारत की नव पहचान,अब विश्व गुरु का राह आसान