
अब जब भारत विभाजन को लगभग 78 साल हो गए हैं हमें महसूस होने लगा है कि पाकिस्तान बनाकर भारतीय राजनेताओं ने बहुत बड़ी गलती की जिसका खामियाजा¸ हम आज तक भुगत रहे हैं। पाकिस्तान के पास तो यह बहाना है कि जम्मू कश्मीर मुस्लिम बाहुल्य क्षेत्र है इसलिए इसे पाकिस्तान में शामिल होना चाहिए था। लेकिन जम्मू कश्मीर के महाराजा हरि सिंह ने इसे भारत विलय में घोषित करने में देर कर दी जिसको लेकर पाकिस्तान ने जम्मू कश्मीर में कबायली भेज दिए और कश्मीर के एक हिस्से पर कब्जा कर लिया, उस समय दिल्ली सरकार ने कश्मीर समस्या को संयुक्त राष्ट्र के हवाले कर दिया परंतु भारत ने पाक अधिकृत कश्मीर को भी अपना हिस्सा माना जबकि पाकिस्तान ने सारे जम्मू कश्मीर पर अपना दावा ठोका। यह विवाद तभी से चल रहा है। जम्मू कश्मीर को लेकर भारत और पाकिस्तान में अब तक चार युद्ध हो चुके हैं और हर युद्ध में पाकिस्तान को मुंह की खानी पड़ी है। इतने सालों में पाकिस्तान कश्मीर को लेकर चैन से ना तो रहा है और ना ही भारत को चैन से रहने दिया है। अपने यहां आतंकवादी तैयार करके जम्मू कश्मीर में तोड़फोड़ करवाता रहा है। अभी कुछ दिन पहले पहलगाम में पाकिस्तान पोषित आतंकवादी 26 भारतीयों को उनका धर्म पूछ कर मौत की नींद सुला गए। इस सारी बात ने भारत सरकार तथा भारत के देश के लोगों के मन में ज्वाला भर दी। सरकार ने सर्व दलीय मीटिंग बुलाई जिसमें सभी विपक्षी दलों ने पाकिस्तान के खिलाफ कोई भी कार्रवाई करने का बिना शर्त समर्थन करने का वायदा किया। भारतीय सरकार ने पूरी सैनिक कार्रवाई के साथ सबसे पहले पाकिस्तान में आतंकी अड्डों पर हमला किया जिसमें लगभग 100 आतंकी मारे गए। इससे बौखला कर पाकिस्तान ने जम्मू कश्मीर के सीमावर्ती इलाकों में गोलीबारी शुरू कर दी और तुर्की से प्राप्त ड्रोन की सहायता से हमला कर दिया। पाकिस्तान को तुर्की से प्राप्त ड्रोन तथा चीन से प्राप्त एयर डिफेंस सिस्टम पर पूरा विश्वास था। पाकिस्तानी हमले के बाद भारत ने जवाबी कार्रवाई करते हुए पाकिस्तान के कई महत्वपूर्ण एयर बेस नष्ट कर दिये। पाकिस्तान के द्वारा हमला करने के लिए तुर्की के सभी ड्रोन भारतीय एयर डिफेंस सिस्टम ने नष्ट कर दिए, इतना ही नहीं भारत ने पाकिस्तान की चीन से प्राप्त ऐअर सुरक्षा प्रणाली को भी बर्बाद कर दिया। पाकिस्तान को इस बात का यकीन हो गया कि वह भारत से बुरी तरह पिट रहा है। इस बीच उसने ईरान,सऊदी अरेबिया,अमेरिका आदि देशों से युद्ध रुकवाने के लिए अपील की। ऐसा समझा जा रहा है कि शायद पाकिस्तान सरकार भारत के हाथों शर्मनाक पराजय को देखते हुए परमाणु हथियार प्रयोग करने जा रही थी जिसका पता अमेरिका को चल गया और अमेरिका ने संभावित महाविनाश को ध्यान में रखते हुए भारत तथा पाकिस्तान दोनों को तुरंत युद्ध विराम करने का आग्रह किया जिसे मान लिया गया। लेकिन युद्ध विराम लागू होने के 3 घंटे के बाद ही पाकिस्तान ने इसकी अवहेलना करते हुए जम्मू कश्मीर के सीमा वर्ती इलाकों में बमबारी शुरू कर दी जिसमें 15 लोग मारे गए ,बहुत सारे रिहायशी इलाके तबाह हो गए और पाकिस्तान ने पंजाब हरियाणा गुजरात तथा राजस्थान के कुछ इलाकों में फिर ड्रोन अटैक शुरू कर दिए जिन्हें भारतीय सुरक्षा एजेंसियों ने तबाह कर दिया। आखिर दोनों तरफ के उच्च सैनिक अधिकारियों ने युद्ध बंदी को कड़ाई से लागू करने का फैसला किया और जो लागू किया। सवाल यह पैदा होता है कि भारत तथा पाकिस्तान में युद्ध राम का निर्णय तथा घोषणा अमेरिका के राष्ट्रपति ट्रंप के द्वारा क्यों की गई और वह भी बिना शर्त। दूसरा सवाल यह है कि जब इस युद्ध में भारत का पलड़ा भारी था तो भारत बिना शर्त युद्ध बंदी के लिए क्यों मान गया। अमेरिका के राष्ट्रपति ट्रंप ने यह घोषणा की कि वह भारत तथा पाकिस्तान में कश्मीर को लेकर किसी तीसरे तटस्थ देश में मध्यस्थ करेंगे। पूछा जा सकता है कि जब कश्मीर भारत तथा पाकिस्तान का आपसी मामला है तो इसमें किसी तीसरे पक्ष को लाकर इसे अंतर्राष्ट्रीय मामला क्यों बनाया जा रहा है। भारत ने पाकिस्तान में आतंकी अड्डों पर इसलिए हमला किया था क्योंकि पाकिस्तान की सरकार तथा आईएसआई भारत में तोड़फोड़ करने के लिए आतंकी भेज रहे थे। ट्रंप महोदय ने दोनों देशों में युद्ध विराम की घोषणा करते समय पाकिस्तान के द्वारा वांछित आतंकवादियों को भारत को सौंपने की शर्त क्यों नहीं रखी। इस युद्ध विराम का सबसे गलत भाग यह है कि ट्रंप ने भारत और पाकिस्तान को एक समान माना जबकि पाकिस्तान भारत में आतंकवादी गतिविधियां चलाता रहा है। भारत-पाकिस्तान युद्ध ने कई चीजों को स्पष्ट कर दिया है। इस युद्ध में चीन तथा तुर्की ने पाकिस्तान का साथ दिया जबकि भारत का साथ किसी देश ने नहीं दिया। पाकिस्तान ने एटॉमिक ब्लैकमेल के द्वारा अमेरिका के राष्ट्रपति ट्रंप को प्रभावित करके अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष से आर्थिक सहायता प्राप्त कर ली जिसका दुरुपयोग आतंकवादी गतिविधियों के लिए बाद में किया जाएगा। 1971 में जब भारत और पाकिस्तान के बीच में युद्ध हुआ था और बांग्लादेश का निर्माण हुआ था तब तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी तथा पाकिस्तान के प्रधानमंत्री जुल्फिकार अली भुट्टो के बीच में शिमला समझौता हुआ था जिसके मुताबिक जम्मू कश्मीर में दोनों देश के बीच एलओसी बनाई गई थी। वर्तमान पाकिस्तान सरकार ने शिमला समझौते और एल ओ सी को मानने से इनकार कर
दिया है। पाकिस्तान के द्वारा भारत में पहलगाम में आतंकी घटना के तुरंत बाद भारत पाकिस्तान के साथ सिंधु जल संधि समझौता रद्द कर दिया, दोनों देशों के बीच व्यापार बंद कर दिया, दोनों देशों के बीच वीजा बंद कर दिया,दोनों देशों के दूतावासों की संख्या कम कर दी। भारत के प्रधानमंत्री ने घोषणा की है कि दोनों देशों में युद्ध विराम के बावजूद उपर्युक्त बातों में कोई तबदीली नहीं आएगी और पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत ने ऑपरेशन सिंदूर के तहत पाकिस्तान के खिलाफ कार्रवाई की थी उसे सिर्फ स्थगित किया गया है अगर पाकिस्तान ने युद्ध विराम का उल्लंघन किया तो ऑपरेशन सिंदूर फिर शुरू कर दिया जाएगा। हमारी जल,थल तथा वायु सेना की तैयारी पहले की तरह जारी रहेगी। किसी भी पाकिस्तानी आतंकी हमले को भारत के खिलाफ हमला माना जाएगा और पाकिस्तान के खिलाफ पहले से भी कड़ी कार्रवाई की जाएगी। क्या पाकिस्तान आतंकी गतिविधियां बंद कर देगा,इस पर संदेह है। प्रधानमंत्री मोदी ने पाकिस्तान को कहा है कि भारत उसके परमाणु ब्लैकमेल से डरने वाला नहीं और जब कभी भी दोनों देशों के बीच बातचीत होगी तो यह बातचीत सिर्फ आतंकवाद पर तथा पाक अधिकृत कश्मीर को लेकर होगी,किसी तीसरे देश की मध्यस्थता हमें मंजूर नहीं। भारत और पाकिस्तान के इस युद्ध ने तुर्की के ड्रोन तथा चीन के पाकिस्तान को दिए गए हथियारों की गुणवत्ता की पोल खोल दी है। दोनों देशों मे आनन फानन में युद्ध विराम लागू करने का एक कारण यह भी है कि अमेरिका या चीन कोई भी भारत को दक्षिणी एशिया में सैनिक दृष्टि से ताकतवर होता हुआ नहीं देखना चाहता। इस युद्ध से स्पष्ट हो गया है कि आतंकवाद के मामले को लेकर देश के सभी राजनीतिक दल, सभी धर्म के लोग आपसी मतभेद भुलाकर पाकिस्तान के खिलाफ सरकार का समर्थन कर रहे हैं। यह है राष्ट्रीय एकता।