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बलरामपुर/शंकरगढ़@शिक्षक ने पहाड़ी कोरवा की जमीन हड़पी…मजदूरी के लिए किया मजबूर…एक व्यक्ति ने कर ली आत्महत्या

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@ पर क्या शिक्षक पर मामला दर्ज होगा?
@क्या जिला शिक्षा अधिकारी ऐसे शिक्षक पर कार्यवाही करेंगे जो किसी की जमीन हड़प ले रहे हैं और जिसकी वजह से किसी की जान चली जा रही है?
कुछ सवाल
सवाल: पीडि़त परिवार का सवाल यह है कि यदि अधिकारियों द्वारा त्रुटि से अगर 10 से 12 शाल पहले अगर गलती से चढ़ भी गया तो उसमें सुधार क्यों नही किया गया?
सवाल: पटवारी की गलती से चढ़ गया तो शिक्षक के नाम 13 खसरा नम्बर एक साथ कैसे चढ़ सकता है गलती हो?
सवाल: पटवारी के द्वारा गलती से खसरा चढ़ भी गया तो शिक्षक द्वारा सोसायटी में धान का पंजीयन क्यों करवाया?
सवाल: लाखो रुपये का उनकी जमीन में धान बेचकर वारा न्यारा किया?
सवाल: कोरवा परिवार शिकायत कर रहा है तो क्यों दबंग शिक्षक पर कार्यवाही नही हो रही है?
सवाल: क्यों मामले को लीपापोती किया जा रहा है किन-किन नेताओ का संक्षरण शिक्षक को प्राप्त है?
सवाल: शिक्षक बिहारीलाल भगत के दबाव बनाने से बेगुनाह कोरवा ने आत्महत्या कर ली उसका जिम्मेदार कौन होगा?


सुदामा राजवाड़े-
बलरामपुर/शंकरगढ़,04 मई 2025 (घटती-घटना)।
10-12 साल से कोरवा जाति के एक परिवार की जमीन शिक्षक ने अपने कजे में कर ली और उन्हें मजदूरी के लिए विवश कर दिया,उस घर का एक लड़का मजदूरी नहीं करना चाहता था पर घर की स्थिति उसे मजदूरी के लिए विवश कर रही थी,पर वह अपनी जमीन रहते हुए भी किसी दूसरे के यहां मजदूरी नहीं करना चाहता था जिस वजह से उसने आत्महत्या कर ली,उस परिवार का एक सदस्य आज इस दुनिया में नहीं है जिसकी वजह वह शिक्षक माना जा रहा हैं,जो उस परिवार की जमीन हड़प ली थी और जिसकी वजह से उसे लड़के की मौत की वजह बनी,आज उसे मामले में ना तो उन पर एफआईआर हो रहा है और नहीं उस पर उसके विभाग ने कोई भी कार्यवाही की, यहां तक के 10-१२ सालों से जिसके कजे में जमीन थी वह उन लोगों को मुआवजा भी नहीं दे रहा है,जिसे लेकर कोरवा परिवार न्याय की गुहार लगा रहा है पर न्याय अब इतना सस्ता नहीं है कि उन्हें मिल सके? क्या अब न्याय के लिए भी उन्हें जिम्मेदारों के सामने भटक-भटक कर अपनी जान गंवानी पड़ेगी या फिर न्याय उन्हें संविधान के तहत तत्काल मिलेगा?
ज्ञात होगी विकासखण्ड शंकरगढ़ में पिछड़ी जनजातीय राष्ट्रपति के दाकपुत्र कहे जाने वाले पहाड़ी कोरवा परिवार को न्याय नही मिलने से दुःखी है जिसका कोई भी राजनीतिक व जनप्रतिनिधि सुध लेने वाला नही है। कोरवा परिवार शिकायत तो करता है लेकिन निराकरण के नाम पर सिर्फ संतावना ही मिल रहा है,गरीब कोरवाओं ने अपने हक के जमीन के लिए आवाज क्या उठाया उनको अपने ही परिवार के एक सदस्य को जान गवाना पड़ गया,मजबूर असहाय कोरवा परिवार आज भी कलेक्टर के दरबार के चक्कर लगा लगा कर अपनी चप्पल घिस रहा है। शासन और प्रशासन के व्यवहार भी कुछ ऐसा की बयां कर रहा है कि कोरवा परिवार सिर्फ कागजो और कहने के लिए ही सिर्फ राष्ट्रपति के दाकपुत्र रह गए हो और शिक्षित व दबंग राजनीतिक पकड़ रखने वाले शिक्षक का प्रशासन भी कुछ नही कर पायेगा। ऐसा इसलिए क्योंकि मामला विकासखण्ड शंकरगढ़ के खैराडीह में रहने वाले पहाड़ी कोरवा परिवार राजनैतिक पकड़ रखने वाले दो शिक्षक से परेशान है,ग्राम खैराडीह के शिवभरत पिता लखनसाय 40 वर्ष,रामभरत पिता लखनसाय 35 वर्ष कालेश्वर पिता बाबूराम 15 वर्ष यह सभी पहाड़ी कोरवा जाती के है,कोरवा परिवार के लोगो ने बताया कि हमारा जमीन ग्राम खैराडीह के धसनी में 2005 से पदस्थ शिक्षक बिहारी लाल भगत के द्वारा जमीन पर दस साल से कजा कर लिया गया है व पटवारी से अवैध तरीके से साठ गाँठ कर ऑनलाइन बी1 पर अपना नाम दर्ज करा कर सोसायटी में धान बेचा जा रहा था।
राशन पानी बंद करने की मिलती थी धमकी
इसकी शिकायत के लिए कोरवा परिवार के लोगो ने कई बार शिकायत करने की कोशिश भी की लेकिन शिक्षक के बड़े भाई मिटकु भगत की पत्नी कई वर्षों से ग्राम पंचायत खैराडीह की सरपंच रही है जिस वजह से उनके द्वारा दबाव बनाया जाता रहा कि शिकायत मत करो नही तो समस्या हो जाएगा व पंचायत से राशन पानी सब बंद हो जाएगा,जिससे की गरीब कोरवा परिवार शांत व असहाय की तरह मौन बने रहा। इस बार जब मिटकु भगत की पत्नी सरपंच पद पर हार गई तो फिर अपने हक की जमीन वापस लेने के लिए कोरवा परिवार ने कलेक्टर बलरामपुर को 24/3/2025 को आवेदन के माध्यम से शिकायत की गई तो मामले को कलेक्टर ने संज्ञान में लेते हुए जाँच के आदेश दिए जिसमे तहसीलदार व पटवारियों द्वारा जाँच कर लगभग डेढ़ महीने बाद कुछ जमीन को कोरवा परिवार के जमीन को यह कहकर वापस कर दिया गया कि त्रुटि के कारण जमीन शिक्षक के नाम पर चढ़ गई थी और अशिक्षित कोरवा है समझकर मामले को ठंडे बस्ते में डाल दिया गया। कोरवा परिवार ने बताया कि हमने जब अपनी जमीन के लिए आवाज उठाया व बलरामपुर कलेक्टर को आवेदन दिया तो शिक्षक बिहारी लाल भगत द्वारा प्रतिदिन घर आकर दबाव बनाया जाने लगा व पैसा लेलो बकरा ले लो कहकर मामलें को दबाने का प्रयास लगातार किया जाने लगा उसी बीच आवेदनकर्ता व जमीन का हिस्सेदार कोरवाओं का भाई बनेश्वर पिता हरिहर जाती कोरवा उम्र 41 वर्ष शिक्षक बिहारी लाल के दबाव में आकर पेड़ से लटककर आत्महत्या कर लिया जिसका सुध लेने आजतक कोई नही आया न आगे कोई कार्यवाही हुई दबंग शिक्षक है इसलिए मामले को दबा दिया गया।


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