- क्या जमीन मालिकों को प्रतिदिन ऑनलाइन चेक करना पड़ेगा की जमीन,उनके नाम है या नहीं,नहीं तो कभी भी किसी के नाम होने की आशंका बनी रहेगी?
- सरपंच,सचिव एवं पटवारी ने मिलीभगत कर फर्जी ग्रामसभा आयोजित कर जीवित व्यक्ति के जमीन का किया फौती नामांतरण:शिकायतकर्ता
- नामांतरण में भू-स्वामी की नहीं ली गई सहमति,मामला अब संभाग आयुक्त के न्यायालय में…
चिरमिरी,26 अप्रैल 2025 (घटती-घटना)। भू-स्वामियों के लिए स्थिति बत से बतर होती जा रही है क्योंकि राजस्व विभाग की कार्य प्रणाली लोगों के मन में हमेशा ही भय बना कर रखती है,स्थिति यह है कि भू-स्वामी को प्रतिदिन अपना जमीन ऑनलाइन में चेक करते रहना चाहिए नहीं तो कब उनकी जमीन किसके नाम हो जाएगी यह पता भी नहीं चलेगा,ऐसा इसलिए कहा जा रहा है क्योंकि ऐसे ही मामले कई बार देखने को मिले हैं, एक मामला अभी सामने आया है जिसमें सरपंच सचिव पटवारी की मिली भगत से ग्रामसभा में फर्जी तरीके से जीवित व्यक्ति की जमीन का फौती,नामांतरण कर दिया गया,जिसकी शिकायत पुलिस सहित राजस्व विभाग को किया गया है,मामला एमसीबी जिले के ग्राम पंचायत हर्रा नागपुर का है, जहां वर्ष 2017 में तत्कालीन सरपंच श्यामा बाई,सचिव निरंजन कश्यप एवं पटवारी वीरसाय ने बिना भूस्वामी की सहमति के ग्रामसभा आयोजित की और जमीन के स्वामित्व में परिवार के तीन अन्य लोगों के नाम जोड़ने का प्रस्ताव पारित कर दिया। ये इतने पर ही नहीं रुके,बल्कि इन्होंने वर्ष 2021 में भूस्वामी के जीवित रहते हुए पटवारी द्वारा तैयार पंजी प्रस्ताव के आधार पर फौती नामांतरण भी कर दिया। पूरा मामला अब सरगुजा संभाग के आयुक्त के न्यायालय में लंबित है।
मामले की जानकारी देते हुए भूस्वामी स्व. लक्ष्मी नारायण के पुत्र अजीत नारायण ने बताया कि वर्ष 1971 में उनके नाना ने उनके पिता लक्ष्मीरायण के नाम से ग्राम पंचायत हर्रा नागपुर में खसरा नंबर-82, रकबा 0.134 हेक्टेयर,खसरा नंबर-163, रकबा 0.1740, हेक्टेयर,खसरा नंबर-178,रकबा 0.3240,हेक्टेयर जमीन खरीदी। लेकिन उस समय उसके पिता नाबालिग थे,इसलिए केयरटेकर के तौर पर उनकी माता गुलाबी देवी का नाम दर्ज कराया। अजीत नारायण ने आगे बताया कि उनके चाचा सत्यनारायण,वीर नारायण और दीप नारायण ने वर्ष 2017 में ग्राम पंचायत हर्रा नागपुर की सरपंच श्यामा बाई,सचिव निरंजन कश्यप और पटवारी वीर साय से मिलीभगत कर फर्जी ग्राम सभा आयोजित कर जमीन को उनकी दादी गुलाबी देवी का बताते हुए अपना नाम जुड़वाने का प्रस्ताव पास करा लिया। जबकि इस प्रस्ताव में उनके पिता के न तो हस्ताक्षर है और न ही उनकी कोई सहमति ली गई। इसके साथ ही उन्होंने उनके पिता के जीवित रहते फावती नामांतरण भी करा लिया। अजीत नारायण ने सवाल उठते हुए कहा है कि यदि उपरोक्त जमीन उनकी दादी गुलाबी देवी की थी,तो फिर इसमें उनकी बुआ शांति,मालती और कांति का नाम क्यों जोड़ा नहीं गया? बरहहाल अब पूरा मामला सरगुजा संभाग के आयुक्त के न्यायालय में है,जहां से अजीत नारायण को न्याय मिलने की उम्मीद है। इसके साथ ही अजीत नारायण ने पूरे मामले में ग्राम पंचायत हर्रा नागपुर के तत्कालीन सरपंच श्यामा बाई, सचिव निरंजन कश्यप एवं पटवारी वीर साय की भूमिका की जांच कर उन्हें दंडित करने की मांग भी की है।