
मंगलवार 22 अप्रैल 2024 के दिन कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले ने ना सिर्फ कश्मीर बल्कि पूरे देश को हिला कर रख दिया है। यह भारत के लिए एक काला दिन साबित हुआ । जिसे लेकर संपूर्ण भारत में रोष और दुख की भावना है । दुनिया भर में इस आतंकी हमले की चर्चा की जा रही है और इसे अत्यंत दुखदाई और शर्मनाक कहा जा रहा है। तथाकथित तथ्यों पर आधारित इस हमले के तहत 28 लोग जिनमें से एक नेपाली नागरिक शामिल हैं आतंकियों द्वारा मारा गया। अत्यधिक संख्या में हमले की वजह से घायल हुए लोगों की खबर है । कश्मीर जो कि कुछ समय से राहत की सांस लिए हुए था आज एक बार फिर अपने सीने पर एक नया जख्म लिए हुए हैं। इस हमले के खिलाफ में कश्मीर की जनता प्रदर्शन के लिए सड़कों पर उतर आई है। ऐसा बताया जा रहा है कि आतंकी, सेना की वर्दी पहने हुए थे और उन्होंने लोगों से धर्म पूछ कर उन्हें गोलियों से भून दिया । बड़ा सवाल यह उठता है कि आखिर ये आतंकी कौन है और कहां से आते हैं? क्या कोई
भी धर्म इस तरह के आतंक और कतले आम की इजाजत देता है ? समय-समय पर देश दुनिया पर होते आतंकी हमले मानवता पर एक बड़ा नासूर
इस हमले से हताहत लोग और देश की जनता सरकार से एक ठोस कदम और जवाबदारी की उम्मीद लगाए हुए हैं। जिसे ध्यान में रखते हुए प्रधानमंत्री मोदी और गृहमंत्री अमित शाह के नेतृत्व में कुछ ठोस फैसले लिए गए हैं। जिसके तहत 1960 के सिंधु जल समझौते को स्थगित करने की घोषणा की गई है। अटारी बॉर्डर को पूर्णता बंद करने की हिदायत दी गई है। पाकिस्तान गए भारतीय लोगों को 1 मई तक देश वापस लौटने की हिदायत दी गई है। सार्क वीजा के तहत पाकिस्तानियों को वीजे पर दी गई छूट को बंद कर दिया गया है। घटना से पूर्व दिए गए सभी वीजा कैंसिल करने का निर्णय लिया गया है। यह सभी बड़े फैसले इस आतंकी हमले के जवाब और देश की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए निर्धारित किए गए हैं । ये बड़े फैसले यक¸ीनन पाकिस्तान को चेतावानी का ऐलान और एक बड़ा जवाब है। धर्म की आड़ में खेला जाने वाला आतंक का खेल मासूम आम जनता को अपना शिकार बन रहा है । नफरत का ये बीज ,इस तरह के आतंकी हमलों द्वारा अपने पांव तेजी से पसार रहा है। जो मानवता को धराशाई कर रहा है। जिसकी रोकथाम करना बेहद बेहद जरूरी है।
केशी गुप्ता
द्वारका,दिल्ली