सिलेंडर तक ले गई
बदायूं,19 अप्रैल 2025 (ए)। अपने दौर के मशहूर शायर मिजऱ्ा ग़ालिब ने कभी लिखा था, इश्क ने ग़ालिब’ निकम्मा कर दिया वर्ना हम भी आदमी थे काम के । बॉलीवुड ने भी इसे खूब भुनाया और निकम्मा किया इस दिल ने’ पर युवाओं को थिरकने के लिए मजबूर कर दिया।कहने का मतलब है कि दौर बदलते रहे और मोहब्बत का मुकाम भी बदलता चला गया। कितना खूबसूरत अहसास होती है मोहब्बत, जिसे चाहो,उसे चुपके-चुपके याद करो और मुस्कुराते रहो। आज के दौर में मोहब्बत लाल इश्क’ से आगे बढ़कर फरार इश्क’ हो चुकी है। मतलब, मोहब्बत के नाम पर तमाम ऐसी घटनाएं सामने आ रही हैं, जिन्हें जानकर न सिर्फ आप सिर पीट लेंगे, हर गुजरते दिन के साथ ढहती सामाजिक मर्यादाओं पर शर्मिंदा हो जाएंगे। पिछले दिनों अलीगढ़, मेरठ और बरेली से सामने आई घटनाएं हमारे सामने सवाल उठाती हैं कि क्या बड़े होने के नाते हमारा ऐसा फजऱ् बनता है कि अपने आने वाले भविष्य को इस तरह से कलंकित करें।
