दो पूर्व आईएएस के बाद अब पूर्व महाअधिवक्ता पर भी लगे ये गंभीर आरोप
रायपुर,22 दिसम्बर 2024 (ए)। राज्य के चर्चित नागरिक आपूर्ति निगम (नान) घोटाले की जांच अब केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) करेगी। राज्य सरकार ने इस संबंध में अधिसूचना जारी कर दी है। मामला गवाहों के बयान बदलवाने, सबूतों से छेड़छाड़, और पद के दुरुपयोग जैसे गंभीर आरोपों से जुड़ा है। आरोपियों में पूर्व महाधिवक्ता सतीश चंद्र वर्मा, और वरिष्ठ आईएएस अधिकारी डॉ. आलोक शुक्ला एवं अनिल टुटेजा शामिल हैं।
इस मामले में ईओडब्ल्यू (आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो) ने 4 नवंबर 2024 को एफआईआर दर्ज की। एफआईआर के अनुसार, आरोपियों ने हाईकोर्ट में अग्रिम जमानत पाने के लिए गवाहों के बयान बदलवाने और सबूतों में छेड़छाड़ की। सतीश चंद्र वर्मा ने अपने प्रभाव का इस्तेमाल कर डॉ. आलोक शुक्ला और अनिल टुटेजा को लाभ पहुंचाया।
डिजिटल सबूत
ईओडब्ल्यू को जांच के दौरान वाट्सएप चैट और अन्य डिजिटल साक्ष्य मिले। इन चैट्स में स्पष्ट है कि आरोपियों ने ईओडब्ल्यू के वरिष्ठ अधिकारियों पर दबाव डालकर
प्रक्रियात्मक दस्तावेज और विभागीय जानकारी में बदलाव करवाए। इसका उद्देश्य हाईकोर्ट में मजबूत पक्ष रखने और अग्रिम जमानत प्राप्त करने में मदद करना था।
घोटाले में शुरुआत में नागरिक आपूर्ति निगम के तत्कालीन अधिकारी शिवशंकर भट्ट सहित 27 लोगों के खिलाफ मामला दर्ज हुआ। बाद में निगम के तत्कालीन अध्यक्ष और एमडी को भी आरोपियों की सूची में शामिल किया गया।
एफआईआर दर्ज होने के बाद पूर्व महाधिवक्ता सतीश चंद्र वर्मा ने रायपुर की विशेष अदालत में अग्रिम जमानत की अर्जी दी, लेकिन इसे खारिज कर दिया गया। इसके बाद हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई, जहां भी उन्हें कोई राहत नहीं मिली।
अप्रैल 2024 में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने इस मामले में अपनी रिपोर्ट ईओडब्ल्यू को सौंपी। ईडी ने अपनी जांच में डिजिटल डिवाइस से मिले वाट्सएप चैट और अन्य सबूत साझा किए, जिसमें स्पष्ट तौर पर घोटाले की साजिश का विवरण था। रिपोर्ट में कहा गया कि अनिल टुटेजा और आलोक शुक्ला ने हाईकोर्ट से अग्रिम जमानत लेने के लिए अपने पद का दुरुपयोग किया।
ईडी ने यह भी खुलासा किया कि गवाहों के बयान बदलवाने और न्यायिक प्रक्रिया को प्रभावित करने के लिए बड़ी साजिश रची गई।
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