घटती घटना/अशोक ठाकुर
विवाद,अर्न्तकलह,भीतरघात, आपसी आरोप-प्रत्यारोप व परिवारवाद की राजनीति का चोली-दामन का साथ नेहरु के समय से यह परम्परा चली आ रही है। इससे भला छत्तीसगढ़ की प्रदेश कांग्रेस कैसी अछूती रह सकती है ।कांग्रेस पार्टी में ऐसे कई मौके आए हैं जब कांग्रेस के अलग-अलग कर्मठ नेताओं ने कांग्रेस को नुकसान पहुंचाने वाले नेताओं की शिकायतें की लेकिन इन वरिष्ठ कर्मठ कांग्रेसी कार्यकर्ताओं की आवाज कांग्रेस सदन के नक्कारखाने मे तूती की आवाज बनकर रह गई ।कांग्रेस के आला नेतृत्व व नेताओं से इन भीतरघाती नेताओं की शिकायत को नजरअंदाज कर दिया गया। ऊपर बैठै मंसदधारी कांग्रेसी नेतागण शिकायतकर्ता कार्यकर्ताओं को ऐसे नुकसान धारी नेताओं पर कार्यवाही करने का आश्वासन रुपी झुनझुना थमाकर उन्हें चुप करा दिया जाता रहा है या तो बाहर का रास्ता दिखा दिया गया । इससे कांग्रेस पार्टी में असमंजस्यता रिक्तता और शून्यता नजर आने लगा है आखिर क्यों ? क्या कांग्रेस का नेतृत्व इतना कमजोर होने लगा है ? देश की सबसे पुरानी राजनैतिक पार्टी चंद लोगों के सामने बेबस होकर गिड़गिड़ाने पर मजबूर हो गया है ?
अब हम आते हैं मुद्दे की बात पर 2018 में हुए विधानसभा चुनाव के नतीजे कांग्रेस के पक्ष में आए । पहली बैठक में ही पार्टी के विधायक सत्यनारायण शर्मा, विकास उपाध्याय, कुलदीप जुनेजा ने चुनाव में पार्टी के खिलाफ काम करने वालों की नामजद खुली व लिखित में भी शिकायत की ।लेकिन नतीजा वही ढाक के तीन पांत वाली कहावत की तरह हुई । एक संगठित नेतृत्व द्वारा इन पार्टी के विभीषण व जयचंदों को महत्वपूर्ण पदों पर बैठा दिया गया ।
रायपुर ग्रामीण विधानसभा के चुनाव में खुले रुप से खुलाघात करने वाले अनवर हुसैन के खिलाफ लिखित प्रस्ताव दिये जाने के बावजूद पार्टी से निष्कासित नहीं किया गया ।इसी तरह रायपुर पश्चिम विधानसभा में खुलाघात करने वाले सुबोध हरितवाल को प्रदेश अध्यक्ष के इर्द-गिर्द होने के कारण वर्तमान में युवक कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता के पद देकर सम्मानित किया गया । वहीं भीतर घात करने वाले हरदीप बेनीपाल को भी आज तक बाहर का रास्ता नहीं दिखाया गया । उत्तर विधायक कुलदीप जुनेजा ने पार्षद अजीत कुकरेजा के खिलाफ लिखित शिकायत की थी लेकिन वरिष्ठ कांग्रेसी नेता व विधायक कुलदीप जुनेजा की शिकायत को संगठन के पूर्वाग्रही नेताओं की चरणधोवावन मंड़लीन ली वहीं अजीत कुकरेजा को पदोन्नती देकर विधायक की शिकायत को रद्दी की टोकरी में डाल दिया । इसके पहले भी नगर निगम सभापति के चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी मनोज कंदोई के खिलाफ किसने क्रास वोटिंग की ? किसने श्रीमती किरणमई नायक के खिलाफ विधानसभा चुनाव में खुलाघात किया ? कांग्रेस संगठन में सब आईने की तरह साफ होने के बावजूद की गई शिकायतों पर कांग्रेस नेतृत्व द्वारा कभी कोई किसी तरह की कार्रवाई नहीं किया जाना संगठन के मतभेद व मनभेद की स्थिती को दर्शाता है । इसी तरह शायद यही कारण रहा है कि दक्षिण विधानसभा से चुनाव हारने वाले कन्हैया अग्रवाल ने वरिष्ठ नेताओं का हश्र का अंदाजा लगाकर शिकायत ही नहीं कर खुद की किरकिरी होने से खुद को बचा लिया ।जब मुंसिफ ही कातिल हो तो इंसाफ की उम्मीद किससे करें …?
पिछले दिनों पाठ्य पुस्तक निगम के सदस्य नितिन सिन्हा का एक ऑडियो सामने आया था जिसमें वह खुद कह रहे है कि मुझे पूर्व मंत्री बृजमोहन अग्रवाल से बहुत मदद मिलती रही, जब कहता था लाखों रुपए पहुंच जाते थे इसलिए मैंने कन्हैया अग्रवाल को हराने के लिए कांग्रेस की टिकट दिलाई , शिकायतें भी हुई अखबारों और चैनलों में खबर भी चली पर नतीजा शून्य सिफर रहा । हाल ही में कांग्रेस के ब्लॉक अध्यक्ष का ऑडियो वायरल हुआ जिसमें ब्लॉक अध्यक्ष खुद को सीएम का आदमी बताकर शहर अध्यक्ष गिरीश दुबे के बताये अनुसार शराब दुकान से पचास हजार रुपए महीना मांग रहा है । भाजपा और मीडिया के लोगों ने इस खबर को खूब चलाया इस पर कांग्रेस का नेतृत्व इस पर भी मौन रहा । यह तो कुछ उदाहरण है ऐसे अनेक मामले जिस पर कांग्रेस नेतृत्व द्वारा भीतरघाती फूलछाप खांग्रेसियों को दिये जा रहे संरक्षणकारी रवैया के चलते 15 वर्षीय वनवासी निष्ठावान काग्रेसजनों खुद को ठगा महसूस कर रहें हैं संभवतः आगामी चुनाव में चुनावी परिदृश्य में बदलाव देखने को मिले…?
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