रक्षाबंधन के दिन रहेगा भद्रा काल का साया,जानिए राखी बांधने का शुभ मुहूर्त

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धर्म डेस्क, नई दिल्ली 20 जुलाई 2022 हिंदू पंचांग के अनुसार हर वर्ष रक्षाबंधन का त्योहार श्रावण माह की पूर्णिमा तिथि को मनाया जाता है। ऐसे में इस साल रक्षाबंधन 11 अगस्त को है। इसे राखी पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है। रक्षाबंधन का पर्व भाई-बहन के आपसी प्रेम और एक दूसरे के प्रति लगाव को समर्पित करने का उत्सव है। रक्षाबंधन पर बहनें अपने भाईयों के जीवन में सुख-समृद्धि की कामना के लिए माथे पर टीका लगाते हुए और आरती उतारकर उनकी कलाई पर रंग-बिरंगी राखियां बांधती हैं। भाई इसके बदले में बहन को उपहार और हमेशा उसकी रक्षा करने का वचन देता है।

 हिंदू पंचांग की गणना के अनुसार राखी हमेशा शुभ मुहूर्त को ध्यान में रखकर ही बांधी जानी चाहिए । रक्षाबंधन के दिन भद्राकाल का विशेष ध्यान दिया जाता है। भद्राकाल के रहने पर राखी नहीं बांधी जा सकती है। शास्त्रों में भद्राकाल के समय को बहुत ही अशुभ माना जाता है। कभी भी भूलकर भद्राकाल के समय पर भाई की कलाई पर राखी नहीं बांधनी चाहिए। ऐसे में आइए जानते हैं कि इस साल रक्षाबंधन का शुभ मुहूर्त,तिथि,भद्राकाल का समय कब से शुरू होगा और भद्रा काल के समय राखी क्यों नहीं बांधनी चाहिए। 

रक्षाबंधन 2022 तिथि और शुभ मुहूर्त 

रक्षाबंधन का त्योहार हिंदू कैलेंडर के श्रावण मास की पूर्णिमा तिथि पर मनाया जाता है। पूर्णिमा के दौरान अपराह्ण काल में भद्रा हो तो रक्षाबन्धन नहीं मनाना चाहिए। शास्त्रों के अनुसार भद्राकाल होने पर रक्षाबंधन मनाने का पूरी तरह वर्जित होता है। इसके अलावा ग्रहणकाल, सूतककाल और संक्रांति की स्थिति होने पर भी यह त्योहार निषेध माना गया है। राखी बांधने का शुभ मुहूर्त 11 अगस्त को सुबह 09 बजकर 28 मिनट से रात 09 बजकर 14 मिनट तक रहेगा। लेकिन भद्रा काल के समय को ध्यान में रखते हुए उस समय राखी न बांधें।

 रक्षाबंधन तिथि- 11 अगस्त 2022, गुरुवार

पूर्णिमा तिथि आरंभ-
11 अगस्त, सुबह 10 बजकर 38 मिनट से 
पूर्णिमा तिथि की समाप्ति- 12 अगस्त. सुबह 7 बजकर 5 मिनट पर
शुभ मुहूर्त- 11 अगस्त को सुबह 9 बजकर 28 मिनट से रात 9 बजकर 14 मिनट 
अभिजीत मुहूर्त- दोपहर 12 बजकर 6 मिनट से 12 बजकर 57 मिनट तक
अमृत काल- शाम 6 बजकर 55 मिनट से रात 8 बजकर 20 मिनट तक
ब्रह्म मुहूर्त – सुबह 04 बजकर 29 मिनट से 5 बजकर 17 मिनट तक 

रक्षाबंधन पर रहेगा भद्रा का साया

इस साल रक्षाबंधन के त्योहार पर भद्राकाल का साया रहेगा। पूर्णिमा तिथि 11 अगस्त को सुबह 10 बजकर 38 मिनट से शुरू हो जाएगी जो अगले दिन यानी 12 अगस्त को सुबह 7 बजकर 5 मिनट तक रहेगी। इस दौरान भद्रा काल भी शुरू हो जाएगी। भद्रा काल की समाप्ति रात 08 बजकर 51 मिनट पर होगी। हालांकि अलग -अलग पंचांगों में भद्राकाल के समय को लेकर मतभेद की स्थिति बनी हुई है। कुछ पंचांग में भद्रा काल का समय 11 अगस्त,गुरुवार के दिन दोपहर 2 बजकर 38 मिनट तक ही है। ऐसे में भद्राकाल की समाप्ति पर ही राखी बांधनी चाहिए। लेकिन बहुत जरूरी होने पर प्रदोषकाल में शुभ, लाभ, अमृत में से कोई एक चौघड़िया देखकर राखी बांधी जा सकती है। इसके अलावा  भद्राकाल के अशुभ योग के दौरान कुछ शुभ योग का भी निर्माण होगा। इस दिन आयुष्मान, सौभाग्य, रवि और शोभन जैसे शुभ योगों का संयोग भी रहेगा जिसके चलते भद्रा का अशुभ प्रभाव कम रहेगा।

रक्षाबंधन 2022 भद्रा काल का समय

रक्षाबंधन के दिन भद्रा काल की समाप्ति- रात 08 बजकर 51 मिनट पर 
रक्षाबंधन के दिन भद्रा पूंछ- 11 अगस्त को शाम 05 बजकर 17 मिनट से 06 बजकर 18 मिनट तक
रक्षाबंधन भद्रा मुख – शाम 06 बजकर 18 मिनट से लेकर रात 8 बजे तक

रक्षाबंधन पर इस बार चार शुभ योग

1- इस बार रक्षाबंधन पर भद्रा का साया रहेगा लेकिन इस दौरान चार तरह के शुभ योग भी बनेगा। 11 अगस्त को सूर्योदय से लेकर दोपहर 3 बजकर 31 मिनट तक आयुष्मान योग रहेगा।
2- इसके अलावा सुबह 5 बजकर 30 मिनट से लेकर शाम 6 बजकर 53 मिनट तक रवि योग रहेगा।
3- तीसरा शुभ योग सौभाग्य योग 11 बजकर 33 मिनट तक रहेगा।
4- चौथा और आखिरी शुभ योग रक्षाबंधन के दिन धनिष्ठा नक्षत्र में शोभन योग रहेगा।
भद्राकाल में क्यों नहीं बांधते राखी ?

शास्त्रों के अनुसार भद्रा काल में राखी नहीं बांधी जा सकती है। भद्रा काल का समय अशुभ होता है ऐसे में इस दौरान कोई भी शुभ कार्य नहीं किया जाता है। ऐसी मान्यता है कि भद्रा काल में किया गया शुभ कार्य कभी भी सफल नहीं होता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार भद्रा भगवान सूर्यदेव और माता छाया की पुत्री थी। साथ ही शनिदेव की बहन भी। ऐसी मान्यता है कि जब भद्रा का जन्म हुआ तो वह पूरी सृष्टि में तबाही मचाने लगी और सृष्टि को निगलने वाली थी। भद्रा जहां पर कोई पूजा-पाठ, अनुष्ठान,यज्ञ और मांगलिक कार्य होता है वह वहां पहुंच कर उसमें रुकावट पैदा करने लगती थीं। इस कारण से भद्रा को अशुभ माना गया है और भद्रा काल के लगने पर राखी या किसी तरह का शुभ कार्य नहीं किया जाता है। इसके अलावा एक अन्य कथा भी यह है कि रावण ने अपनी बहन से भद्रा काल में ही राखी बंधवाया थी, जिस कारण से उसका अंत हुआ था। इसी कारण से रक्षाबंधन के दिन भद्रा के समय राखी बांधना वर्जित होता है।


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