-राजा मुखर्जी-
कोरबा, 29 अप्रैल 2022(घटती-घटना)।बालको प्रबंधन ने पिछले दो साल में राज्य शासन को 500 करोड़ के राजस्व क्षति पहुंचा दी । बालको द्वारा चोटिया माइंस का टेंडर लेने के बाद 13 अप्रैल 2020 कोल खनन बंद करने की वजह से यह क्षति पहुंची। माइंस की लीज अधिक प्रीमियम दर में लेने के बाद नुकसान से बचने बालको, एसईसीएल से सस्ते दर पर कोयला ले रहा। इधर खनिज के लगातार नोटिस से प्रबंधन में हड़कंप मच गया है। बालको ने चोटिया स्थित कोल माइंस को सरेंडर करने नॉमिनेट अथॉरिटी कोल नई दिल्ली को पत्र लिख दिया है। प्रक्रिया में अड़चनें नहीं आई तो जल्द चोटिया माइंस बालको के आधिपत्य से मुक्त हो जाएगा। यहां बताना होगा कि पोंडी उपरोड़ा ब्लाक के चोटिया में स्थित कोल माइंस वर्ष 2003 से प्रकाश इंडस्ट्रीज के पास था। कंपनी खदान से कोयला उत्खनन करती थी। मार्च 2015 में वेदांता समूह ने ऊंची बोली लगाकर चोटिया कोल माइंस को खरीदा था। कानूनी अड़चन से कंपनी चोटिया ब्लॉक से कोल खनन नहीं कर सकी थी। जनवरी 2018 में चोटिया से कोयला खनन के लिए विकासखण्ड पोंडी उपरोड़ा के गांव सलाइगोट में बालको ने चोटिया -2 कैप्टिव कोल माइनिंग के लिए लोक सुनवाई पूरी हुई थी। चोटिया खदान की वार्षिक उत्पादन क्षमता (ओपन कास्ट एवं भूमिगत खदान सहित) 1 मिलियन टन है । 1179 हेक्टेयर क्षेत्रफल में फैले 20 साल की लीज अवधि वाले चोटिया कोल ब्लॉक से केंद्र सरकार की मंजूरी मिलने के बाद बालको ने किसी तरह कोल खनन शुरू किया था। लेकिन कोविड -19 के पहले चरण के दौरान 13 अप्रैल 2020 से बालको प्रबंधन ने माइंस से कोल खनन बंद कर दी। माइंस से आज पर्यंत कोल खनन बंद है। इससे शासन को प्रतिवर्ष 250 करोड़ के राजस्व की क्षति पहुंच रही। इस तरह देखें तो पिछले दो वर्ष से कोल खनन बंद कर बालको शासन को 500 करोड़ के राजस्व क्षति पहुंचा चुका है। पिछले दो साल से चोटिया कोल माइंस से कोयला खनन नहीं करने की वजह से शासन को हो रही राजस्व क्षति को देखते हुए खनिज विभाग ने बालको पर नकेल कसना शुरू कर दिया। खनिज विभाग बालको को कोल खनन शुरू करने कई मर्तबा नोटिस जारी कर चुका। राज्य शासन को भी अवगत कराया जा चुका है। बावजूद इन सबके बालको नुकसान को देखते हुए चोटिया कोल माइंस से कोल खनन शुरू करने तैयार नहीं। प्रबंधन ने कोल माइंस सरेंडर करने नॉमिनेट अथॉरिटी कोल नई दिल्ली को पत्र लिखा है। बहरहाल अब पूरी निगाह नॉमिनेट अथॉरिटी कोल नई दिल्ली के रुख पर टिका हुआ है।
