राजेंद्र शर्मा-
खड़गवां २\25 सितम्बर 2021 (घटती-घटना)।आरईएस कार्यालय खड़गवां की कुर्सी से लगता है पदस्थ एसडीओ का मोह नहीं जा रहा है, जो उप अभियंता से एसडीओ तक का सफर तय करने वाले एसडीओ पिछले ग्यारह बारह वर्षों से भी अधिक समय से एक ही स्थान पर अंगद के पांव की तरह जमे हुए है। जबकि पूर्व एवं वर्तमान राज्य शासन द्वारा समय-समय पर शासकीय अधिकारियों व कर्मचारियों की सर्जरी की जाती रही है।
सत्ता पक्ष के अपने आकाओं की जी हुजूरी करके अपना पोस्टिंग खड़गवां कराने में सफल रहे और इस प्रकार लगभग 11-12 वर्षों से एक ही स्थान पर वे जमे रहकर खड़गवां आरईएस की कुर्सी को अपना स्थाई अड्डा बना रखे है। शायद शासन-प्रशासन ने भी इस ओर ज्यादा ध्यान देना मुनासिब नही समझा, जिसके कारण ये बड़े ढिठ किस्म के हो चले हैं साथ ही ग्राम पंचायतों में होने वाले अनेक निर्माण कार्यों की गुणवत्ता पर भी ग्रहण लगाते चले आ रहे है। जैसे अजगर को उसके जगह से हटाने में बड़ी मशक्कत करनी पड़ती है, ठीक उसी किस्म के एसडीओ साहब लगते है तथा लगता है इनको खड़गवां आरईएस का हवा-पानी कुछ ज्यादा ही भा गया है, इसीलिए खड़गवां का मोह नही छोड़ पा रहे है। वही सूत्रों की माने तो एसडीओ साहब को यहां मन मुताबिक निर्माण कार्य का कमीशन भी धड़ल्ले से वसूल किया जा रहा है प्रत्येक निर्माण कार्य की फाइल में दस से बीस हजार रुपए की वसूली का खेल जारी है खड़गवां आरईएस कार्यलय में बिना कमीशन के कोई भी निर्माण कार्य की फाइल हिलती तक नहीं है छूना तो दूर की बात है जब तक कमीशन की राशि नहीं मिलती फाइल पड़ी धूल खाती है अभी मनरेगा के निर्माण कार्य और अन्य योजनाओं के तहत हुए निर्माण कार्यों की सी सी जारी करने धड़ल्ले से कमीशन कि वसूली जारी है जो अन्य जगह में शायद नहीं मिले।
कुछ इस प्रकार रहता है जवाब
आरईएस कार्यलय में जब भी जाएंगे तो अन्य कर्मचारियों का जवाब रहता है कि साहब फिल्ड में गए हुए है कहां..ग्रे है पता नही..! आखिर एसडीओं साहब इतनी फिल्ड करते कहां- कहां है जो ज्यादातर कार्यालय में दिखते नही.. छोçड़ए एसडीओं साहब है, कुछ भी कर सकते है। फिलहाल वे वर्षों से एक ही स्थान में पदस्थ है। जबकि शासन के नियम अनुसार उनका स्थानांतरण कब का हो जाना था। लेकिन इनको अभयदान मिलता आ रहा है। शासन-प्रशासन को इस मामले में संज्ञान लेने की जरूरत है। क्योंकि एसडीओं अगर 11-12 वर्षों से एक ही जगह पर रह सकते है तो अन्य अधिकारी- कर्मचारी क्यों नहीं।