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घातक लेप्टोस्पायरोसिस व टायफस फीवर की भी वायरोलॉजी लैब में होगी जांच

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संभाग में अब तक नहीं थी दोनों बैक्टीरियल संक्रमण के जांच की सुविधा

अम्बिकापुर 20 सितम्बर 2021 (घटती-घटना)। मेडिकल कॉलेज अस्पताल अंबिकापुर में कोरोना वायरस की जांच के लिए स्थापित किया गया वायरोलॉजी लैब अब अन्य गंभीर बीमारियों की जांच में भी सहायक बन रहा है। माइक्रोबायोलॉजी विभाग जल्द ही लेप्टोस्पायरोसिस व टायफस फीवर की जांच भी शुरू करने जा रहा है। ये दोनों ही बैक्टीरियल संक्रमण हैं और काफी घातक होते हैं। बड़ी बात है कि इन दोनों ही बीमारियों के लक्षण समान्य मलेरिया, टाइफाइड व अन्य बुखार वाली बीमारियों की तरह ही होते हैं। यह एक जीवाणु संक्रमण है जो बग लेप्टोस्पाइरा के कारण होता है। ये जीवाणु पानी और गीले मैदान में पनपते हैं। फिर ये पालतू जानवरों और रोडेंट, चूहों को संक्रमित करते हैं। संक्रमण एक संक्रमित जानवर के मूत्र से या मृत जानवर से संक्रमित ऊतक के माध्यम से फैल सकता हैए जो काफी घातक होता है। वहीं टायफस फीवर पिस्सुओं के काटने से होने वाली इस बीमारी में भी डेंगू की तरह प्लेटलेट्स की संख्या घटने लगती है। यह खुद तो संक्रामक नहीं लेकिन इसकी वजह से शरीर के कई अंगों में संक्रमण फैलने लगता है। मेडिकल कॉलेज के डीन डॉक्टर रमणेश मूर्ति ने बताया कि मेडिकल कालेज में इलाज हेतु आने वाले ओपीडी एवं भर्ती मरीजों की जांच सुविधा की गुणवत्ता बढ़ाने के लिए लगातार प्रयास किए जा रहे हैं। माइक्रोबायोलॉजी विभाग के अंतर्गत लेप्टोस्पायरोसिस एवं टायफस फीवर जांच शीघ्र प्रारंभ की जानी है। मरीजों को बुखार होने पर मलेरिया, डेंगू, टाइफाइड, निमोनिया, कालाजार, वायरल पेशाब में संक्रमण इत्यादि सबसे पहले सोचे जाते हैं। लेकिन अभी संभावनाओं को देखते हुए उपलब्ध जांच का दायरा बढ़ाकर मरीजों के इलाज की सुविधा में बढ़ोतरी होगी।

दोनों ही जांच बैक्टीरियल संक्रमण

मेडिकल कॉलेज के डीन डॉ. रमणेश मूर्ति ने बताया कि पिछले 1 वर्ष के अंदर अंबिकापुर मेडिकल कॉलेज में कोविड-19 हेतु वायरोलॉजी आरटीपीसीआर लैब, ट्रू नॉट, सिकल सेल यूनिट, स्पीच एंड हियरिंग सेंटर हिस्टो पैथोलॉजी सिल्स लैब ये कुछ सुविधाएं हैं, जो पिछले 1 वर्ष में शुरू किए गए हैं। वहीं जल्द ही लेप्टोस्पायरोसिस एवं टायफस फीवर की जांच शुरू की जाएगी। ये दोनों ही जांच बैक्टीरियल संक्रमण हंै।

चूहे के मूत्र से फैलता है लेप्टोस्पायरोसिस

विशेषज्ञों का कहना है कि लेप्टोस्पायरोसिस चूहे के मूत्र से फैलने वाला एक बैक्टीरियल संक्रमण है। आम तौर पर बारिश के समय चूहे का मूत्र बारिश के पानी में मिल जाता है और जब कोई व्यक्ति इनके संपर्क में आता है या शरीर में लगी चोट के कारण यह बैक्टीरिया शरीर में प्रवेश कर जाता है तो यह बीमारी होती है। लेप्टोस्पायरोसिस संक्रमण के कारण बुखार के साथ ही लिवर, किडनी पर भी इसका असर पड़ता है। वहीं चिकित्सकों का कहना है कि टाइफाइड व स्क्रब टायफस फीवर के नाम सुनने में जरूर के जैसे लगते है लेकिन दोनों एक दूसरे से बिलकुल भिन्न है और दोनों के लिए अलग बैक्टीरिया है।

एलाइजा मशीन से होगी जांच

माइक्रोबायोलॉजी विभाग द्वारा लेप्टोस्पायरोसिस व स्क्रब टायफस फीवर की जांच किट आने के बाद शुरू किए जाने की बात कही जा रही है। इन दोनों बैक्टीरियल इंफेक्शन की जांच एलाइजा मशीन में शिरोलॉजी पद्धति से मरीज के खून का सैम्पल लेकर की जाती है। अब इस जांच के सरगुजा में शुरू होने से मरीजों के इलाज की सुविधा में निश्चित रूप से वृद्धि होगी।


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