- यदि आरोप सही नहीं तो क्या आरोप लगाने वाले का आरोप है गलत,क्या आरोप लगाने के पीछे की मंशा है कुछ लाभ कमाना?
- आरोप लगाने वाले की आदत में शुमार है निविदाओं में मैनेज होने की आदत,पटना नगर पंचायत में नहीं मैनेज हुआ मामला इसलिए उसने लगाया झूठा आरोपःसूत्र
–रवि सिंह-
बैकुंठपुर/पटना, 28 अप्रैल 2025 (घटती-घटना)। नगर पंचायत पटना से जारी निविदाओं में भ्रष्टाचार हुआ और निविदा गलत तरीके से अपात्र को दी गई ऐसा आरोप सोशल मीडिया पर सीएमओ पर लगाए जा रहे हैं,क्या है पूरे मामले की सच्चाई इस बात की पड़ताल दैनिक घटती घटना ने भी की और कुछ अपने सूत्रों से जानकारी जुटाने का प्रयास दैनिक घटती घटना ने किया और इस प्रयास में सूत्रों ने बताया कि निविदा प्रकिया में धांधली की बात उतनी सही नहीं है जैसा सोशल मिडिया पर बताया जा रहा है बल्कि आरोप लगाने वाले की यह आदत में शुमार है आरोप लगाना और बेवजह का दबाव बनाकर बिना काम किए ही कमीशन लेने की। अब इस बात की सच्चाई की पुष्टि तो हम नहीं करते कि आरोप लगाने वाला अच्छा कमीशन चाह रहा था जो नहीं मिला इसलिए उसने आरोप सीएमओ पर लगाए हैं लेकिन सूत्रों का कहना यह है कि आरोप लगाने वाले की यह हमेशा से आदत है कि वह टेंडर प्रक्रिया में पहले मैनेज होने का प्रयास करता है और जब वह इसमें असफल हो जाता है वह दबाव बनाने का प्रयास करता है और इसके लिए वह पहले राजनीतिक सहारा लेता है और जब काम नहीं बनता वह सोशल मीडिया और प्रिंट इलेक्ट्रॉनिक मीडिया का भी सहारा लेता है,एक ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि जिस निविदा में यह व्यक्ति शामिल होता है और बात मैनेज होने की आती है यह ऐसी बोली लगाता है कि लोग मैनेज होने से पीछे हट जाते हैं क्योंकि इसकी मांग पूरी करने की वह अपनी क्षमता नहीं मानते हैं।
बताने वाले ने यह भी बताया कि यह व्यक्ति भाजपा के एक मोर्चा का जिलाध्यक्ष होने का भी दबाव डालता है और उसका भी भय दिखाता है और इसका भय वह अधिकारियों कर्मचारियों पर ही दिखाता है। जिसने नाम न छापने की शर्त कर यह जानकारी दी उसने यह भी कहा कि वह खुद भाजपा से जुड़े हैं लेकिन वह प्रकिया अनुसार निविदा लेने का प्रयास करते हैं और यह दबाव बनाकर निविदा लेने का प्रयास करता है और यह निविदा कम मैनेज होने में ज्यादा विश्वास करता है। पटना की निविदा प्रक्रिया दोषपूर्ण नहीं है यह भी कुछ लोगों ने बताया और उनका कहना था कि भाजपा नेता का तमगा दिखाकर काम मांगने आरोप लगाने की बजाए नियम से इन्हें चलना चाहिए और निविदा पाने की कोशिश करनी चाहिए जो नियम से इन्हें मिल भी जाएगी वहीं इनके द्वारा भाजपा नेता बनकर जिस तरह से निविदाओं में अपनी मर्जी चलाने की कोशिश की जाती है उससे पार्टी की छवि ही डीबी धूमिल होती है और आपसी ही विरोध जन्म लेता है जिससे इन्हें कोई लेना देना नहीं होता यह हमेशा का इनका नियम है,यह व्यक्ति केवल अपना लाभ देखता है और उसके लिए वह झूठा आरोप लगाता है और किसी को भी बदनाम करने से पीछे नहीं हटता चाहे मामला कितना भी गलत हो,वैसे जिन्होंने नाम न छापने की शर्त पर यह जानकारी दी है उनका कहना यह भी है कि पार्टी को ऐसे मात्र व्यापारिक मानसिकता वाले व्यक्तियों से सजग रहना चाहिए और इनके हर बात पर विश्वास नहीं करना चाहिए क्योंकि यह हर बार खुद ही गलत होते हैं जैसे पटना के निविदा मामले में यह अपनी मनमर्जी मात्र चाहते थे जो नहीं हुआ और यह आरोप लगाने भीड़ गए।
क्या कुछ लोग सही मायने में सत्ता का भय दिखाकर अधिकारियों पर बेवजह का दबाव डालना चाहते है और यह मामला वैसा ही?
पटना नगर पंचायत सीएमओ को लेकर एक भाजपा नेता साथ ही ठेकेदार का यह आरोप की पटना सीएमओ के द्वारा निविदाओं में भ्रष्टाचार किया गया क्या सही आरोप हैं,या फिर यह आरोप सही है कि उक्त भाजपा नेता बेवजह का दबाव अधिकारियों पर भाजपा नेता बनकर डालते हैं और अपने अनुसार उन्हें निर्देशित करने का प्रयास करते हैं। भाजपा नेता बनकर यदि आरोप लगाने वाले ठेकेदार द्वारा अधिकारियों पर अनावश्यक दबाव डालने की बात सही है तो भाजपा नेताओं को विधायक को ध्यान देना चाहिए और ऐसे नेताओं के मनोबल को कमजोर करना चाहिए जिससे वह बेवजह का गलत आरोप न लगाते रहें व्यवस्था का जिम्मा सम्हालने वाले जिम्मेदार लोगों पर।
क्यों केवल निविदा मामले में ही अधिकारियों पर लगते हैं आरोप ठेकेदार लगाते हैं आरोप,कभी अपने गुणवत्ताविहीन कार्यों की वह जांच की क्यों नहीं करते मांग?
अक्सर देखने को मिलता है कि सत्ता या राजनीतिक दलों से जुड़े ऐसे लोग जो ठेकेदारी करते हैं वह सत्ता और राजनीतिक दल का उपयोग अपने स्वार्थ के लिए करने का ही प्रयास करते रहते हैं और वह लाभ उद्देश्य से शासकीय निविदाओं में भाग लेते हैं और उनका प्रयास होता है कि वह दबाव बनाकर सत्ता का अधिक से अधिक लाभ कमा सकें और इसके लिए वह कई बार अधिकारियों पर और कमर्चारियों पर भी आरोप लगाने से पीछे नहीं हटते हैं और यह आरोप निविदाओं से संबंधित होते हैं। वैसे इस तरह के नेता कभी अपने ही गुणवत्ता विहीन कार्यों की जांच की बात क्यों नहीं करते यह बड़ा सवाल है।