
जनसामान्य में बाबा साहब डॉ. भीमराव अंबेडकर जी को विधिवेत्ता, राजनीतिज्ञ और समाजसुधारक के रूप में ही जाना जाता है, परंतु बाबा साहब का परिचय इससे व्यापक है। बाबा साहब एक निम्न जाति में जन्म लेकर विषम परिस्थितियों में अपना जीवन व्यतीत किया। वे बचपन से ही समाज के निचले तबके औऱ
उनकी कठिनाइयों से भली भांति परिचित थे। इसी का परिणाम यह हुआ कि वे सदैव शोषित, वंचित और पिछड़ों के लिए लड़ते रहे, इसलिए उनकी पहचान आज भी महामानव के रूप में होता है। उनकी महानता यह भी है कि वे विशालतम संविधान भारतीय संविधान के रचयिता है। अंबेडकर जी का एक दलित समाज में जन्म लेना और उनके हितों के लिए निरन्तर प्रयास करना तत्पश्चात महामानव के रूप में खुद को विश्व विख्यात बनाना इस उक्ति को चरितार्थ करता है कि मनुष्य जन्म से नहीं, कर्म से महान बनता है। भीमराव अंबेडकर जी सर्वहित के मसीहा के रूप में सदैव याद किये जाएंगे।
अमित नेताम
गरियाबंद (छ.ग.)