अंबिकापुर,11 सितम्बर 2025 (घटती-घटना)। रामगढ़ पर्वत के अस्तित्व को लेकर चल रही बहस के बीच भारतीय जनता पार्टी द्वारा गठित रामगढ़ पर्वत अध्ययन समिति ने गुरुवार को क्षेत्र का दौरा कर स्थलीय निरीक्षण किया। समिति ने अपने निरीक्षण के बाद कहा कि वर्तमान में रामगढ़ पर्वत को किसी प्रकार का सीधा खतरा नहीं दिखता और खनन के कारण दरारें आने के कोई स्पष्ट प्रमाण नहीं मिले हैं। समिति ने पूर्व उपमुख्यमंत्री टीएस सिंहदेव पर इस मुद्दे को राजनीतिक रंग देने का आरोप लगाया है। गौरतलब है कि कुछ दिन पूर्व टीएस सिंहदेव ने एक प्रेस वार्ता कर यह बयान दिया था कि रामगढ़ पर्वत का अस्तित्व खतरे में है,और कोल ब्लॉक की ब्लास्टिंग के कारण पर्वत पर दरारें आ रही हैं, जिससे यह आस्था का केंद्र क्षतिग्रस्त हो रहा है। उन्होंने इस विषय को गैर-राजनीतिक रूप से उठाते हुए रामगढ़ संरक्षण मंच के गठन की भी घोषणा की थी। रामगढ़ क्षेत्र का निरीक्षण करने पहुंचे अध्ययन समिति में पूर्व विधायक शिवरतन शर्मा (समिति संयोजक),पर्यटन एवं सांस्कृतिक मंत्री राजेश अग्रवाल,विधायक रेणुका सिंह और भाजपा प्रदेश महामंत्री अखिलेश सोनी शामिल थे। निरीक्षण के दौरान समिति ने स्थानीय जनप्रतिनिधियों,ग्रामीणों और समाज प्रमुखों से मुलाकात कर उनकी राय जानी। समिति का दावा है कि बातचीत और स्थलीय अध्ययन में उन्हें ऐसा कोई प्रमाण नहीं मिला जिससे यह कहा जा सके कि खनन से पर्वत को नुकसान हो रहा है। शिवरतन शर्मा ने कहा कि रामगढ़ पर्वत का निरीक्षण करने पर हमने पाया कि यहां की स्थिति पिछले15-20 वर्षों से समान है। जो दरारें देखी जा रही हैं वे स्वाभाविक जल रिसाव और बरसात के कारण हैं। खनन को इनसे जोडऩा तर्कसंगत नहीं। उन्होंने यह भी कहा कि वर्ष 2020 में कोल ब्लॉक की अनुमति संबंधित रिपोर्ट कलेक्टर ने दी थी, जब कांग्रेस की सरकार थी और टीएस सिंहदेव मंत्री थे। उस समय यह मुद्दा क्यों नहीं उठाया गया-यह प्रश्न खड़ा करता है।
भाजपा मंत्री बोले…आस्था का विषय,कोई खतरा नहीं दिखा
पर्यटन एवं सांस्कृतिक मंत्री राजेश अग्रवाल ने कहा कि रामगढ़ मंदिर मेरे लिए आस्था का केंद्र है और मैं नियमित रूप से यहां आता रहा हूं। पर्वत की स्थिति में मुझे कोई बड़ा परिवर्तन नहीं दिखा। जो पहले था,वही अब भी है। उन्होंने स्पष्ट किया कि यदि भविष्य में कोई भी खनन गतिविधि पर्वत को नुकसान पहुंचाती है तो वे खुद इसका विरोध करेंगे। उन्होंने भाजपा की नीतियों का हवाला देते हुए कहा कि पार्टी ने सदैव धार्मिक और सांस्कृतिक स्थलों के संरक्षण को प्राथमिकता दी है।
मैंने मुद्दे को गैर-राजनीतिक रूप से उठाया
पूर्व उपमुख्यमंत्री टीएस सिंहदेव ने भाजपा समिति द्वारा उनके नाम का उल्लेख किए जाने पर नाराजगी जताई है। उन्होंने कहा कि मैंने स्वयं समिति के सदस्यों से फोन पर बात कर सरगुजा की जनभावनाओं का ख्याल रखने का अनुरोध किया था। मेरा प्रयास था कि यह विषय पूरी तरह गैर-राजनीतिक रहे। उन्होंने आरोप लगाया कि समिति द्वारा 2020 की अनुमति और कांग्रेस सरकार के समय की बात उठाकर इस पूरे मुद्दे को राजनीतिक मोड़ देने की कोशिश की जा रही है। सिंहदेव ने दावा किया कि मेरे विधायक रहते हुए इस क्षेत्र में एक पेड़ की शाखा तक नहीं काटी गई, जबकि भाजपा के सत्ता में आते ही 5 दिनों में पेड़ों की कटाई शुरू हो गई। मेरे कार्यकाल में ही केंते एक्सटेंशन खदान का प्रस्ताव निरस्त हुआ और विधानसभा में इसे रद्द करने का संकल्प भी पारित हुआ।
