महाविद्यालय परिसर में पुलिस अधीक्षक कार्यालय बनाए जाने का विरोध हुआ शुरू
जिलेवासियों ने प्रशासन से महाविद्यालय भूमि में पुलिस अधीक्षक कार्यालय बनाए जाने के निर्णय के पुनर्विचार की रखी मांग
पुलिस अधीक्षक कार्यालय महाविद्यालय परिसर में होने से छात्र छात्राओं की स्वतंत्रता होगी बाधित,एमसी हिमधर प्रभारी प्राचार्य बैकुंठपुर महाविद्यालय
महाविद्यालय की नियमित कक्षाओं के संचालन के लिए अब दो पाली में महाविद्यालय संचालन मजबूरी,प्रभारी प्राचार्य
विभिन्न संकाय और विभिन्न स्नातकोत्तर कक्षाओं प्रशिक्षण इत्यादि के लिए भवन का होगा महाविद्यालय के पास आभाव,प्रभारी प्राचार्य
क्या महाविद्यालय यानी कि उच्च शिक्षा विभाग महाविद्यालय की जमीन बचा पाएगा?
जिन प्राचार्य के ऊपर अपनी महाविद्यालय की जमीन बचाने की जिम्मेदारी है वह लेटर भेज कर ऊपर वाले के निर्णय के भरोसे बैठे हैं
महाविद्यालय में संकाय और कक्षाओं के विस्तार के समय सामने आएगी भूमि आवश्यकता तब कैसे होगा विस्तार,लोगों का है सवाल
पुलिस अधीक्षक कार्यालय के लिए कई जगह पहले हुई जमीन की तलाश,अंत में महाविद्यालय परिसर में कार्यालय के लिए जमीन चयन हुआ तय
पहले जैसी होती छात्र राजनीति विरोध हो चुका होता दर्ज,छात्र नेताओं का विरोध आ चुका होता सामने
-रवि सिंह-
बैकुंठपुर,28अगस्त 2025(घटती-घटना)। कोरिया जिले के अग्रणी महाविद्यालय शासकीय रामानुज प्रताप सिंहदेव महाविद्यालय परिसर में नए पुलिस अधीक्षक कार्यालय के भवन निर्माण के लिए कराए गए भूमिपूजन के बाद अब जिलेवासी इसके विरोध में सामने आ रहे हैं और विरोध की शुरुआत प्रशासन से निवेदन के रूप में सामने आया है जिसमें महाविद्यालय परिसर में पुलिस अधीक्षक कार्यालय के निर्माण के निर्णय के पुनर्विचार की बात कही गई है। जिले के अग्रणी महाविद्यालय के परिसर में पुलिस अधीक्षक कार्यालय निर्माण के लिए भूमिपूजन किया जाना छात्र हित और महाविद्यालय के विस्तार हित में नहीं है इस आशय की खबर दैनिक घटती घटना ने प्रमुखता से 28 अगस्त 2025 को प्रकाशित किया था और जिसके बाद अब जिलेवासी खासकर पूर्व छात्र नेता अब इस मामले में मुखर हो रहे हैं और वह प्रशासन से इस निर्णय पर पुनर्विचार की मांग कर रहे हैं। पूरे मामले में प्रभारी प्राचार्य शासकीय रामानुज प्रताप सिंहदेव महाविद्यालय बैकुंठपुर का भी बयान सामने आया है जिसमें उन्होंने इस निर्णय को कई तरह से महाविद्यालय और छात्र हित के विपरीत बतलाया है। कुल मिलाकर पुलिस अधीक्षक कार्यालय के लिए महाविद्यालय परिसर की भूमि का चयन किया जाना जिले के अग्रणी महाविद्यालय के भविष्य के लिए एक अभिशाप बन जाएगा ऐसा जिले के खासकर जिला मुख्यालय के कुछ पुराने छात्र नेताओं का कहना है जिन्होंने इस संबंध में अपने विचार सोशल मीडिया में भी पोस्ट किया है।

जिले के अग्रणी महाविद्यालय में वर्तमान में 3200 नियमित छात्र-छात्राएं विभिन्न संकायों और कक्षाओं में अध्ययनरत हैं और वर्तमान स्थिति में ही महाविद्यालय में कक्षाओं के संकायों के संचालन में भवन की समस्या सामने आ रही और और यह भी यदि माना जाए कि भविष्य में विभिन्न संकायों की स्वीकृति और विभिन्न प्रशिक्षण आवश्यकताओं की पूर्ति का विषय देखा जाए तो महाविद्यालय परिसर में स्थित निर्मित वर्तमान के भवन कम पड़ेंगे और अन्य भवनों की जरूरत सामने आएगी तब उनका निर्माण कहां होगा यह समस्या तब खड़ी हो जाएगी। वैसे पूरे मामले में नगरवासी जिलेवासी सहित पूर्व छात्र नेताओं का विरोध कहीं न कहीं सही भी है क्योंकि पुलिस अधीक्षक कार्यालय के लिए आखिरकार क्यों महाविद्यालय परिसर की ही भूमि का चयन किया गया,जिला मुख्यालय में और भी कई शासकीय भूमि ऐसी हैं जो पुलिस अधीक्षक कार्यालय के लिए उपयुक्त और उपयोगी साबित हो सकती थी लेकिन फिर भी महाविद्यालय परिसर की ही भूमि का चयन किया जाना महाविद्यालय के विस्तार को दरकिनार किए जाने जैसा निर्णय है ऐसा माना जा रहा है। पूरे विषय में विरोध और नए सिरे से निर्णय पर विचार के लिए जिला प्रशासन से निवेदन की जो बातें सामने आ रही हैं उसके बाद अब लगता है कि महाविद्यालय के लिए आरक्षित या उसके लिए उपयोगी हो सकने वाली भूमि पुलिस विभाग को पुलिस अधीक्षक कार्यालय के लिए दिया जाना कहीं न कहीं जिले के छात्र छात्राओं के भविष्य के प्रति उदासीनता प्रदर्शित करता है और यह अदूरदर्शी जल्दबाजी में लिया गया एक निर्णय है

शासन के द्वारा विवादित जमीन को ही आवंटित क्यों करती है, पिछले 15 साल में राजस्व की कार्यवाही व उसके निर्णय क्या गलत साबित हुए?
ऐसी क्या बात है कि शासन-प्रशासन बिल्डर के खिलाफ कोई भी काम उन्हें अंदर करवा कर ही कर पाती है एवं बिल्डर संजय अग्रवाल के जिन-जिन भूमियों पर शासन ने रोक लगाई उन पर आज तक शिवाय शासन के पैसे के दुरुपयोग के वहां कोई भी निर्माण कार्य नहीं करवा पाई है, वर्ष 2012 में जिले में तेज तर्रार कलेक्टर रितु सेन के द्वारा बिल्डर की कॉलोनी शकुंतला नगर में स्टे के बाद भी काम चालू रखने के आरोप में धारा 188 एवं 193 में के अंतर्गत अपराध दर्ज करवा कर बिल्डर को जेल दाखिल करवा दिया गया था उसके बाद कचहरी रोड पर स्थित बिल्डर की दुकान खसरा नंबर 62/1 में वूमंस हॉस्टल बनाने के लिए उसका पट्टा निरस्त कर उसमें हुए अतिक्रमण को तुड़वाने का कार्य शुरू किया गया, दिनांक 10 फरवरी 2012 को तोड़फोड़ ककी कर्यवाही शुरू की गयी और ताज्जुब्ब की बात तो यह है कि 11 फरवरी 2012 को शनिवार के दिन, जिस दिन उच्च न्यायालय का अवकाश रहता है, अवकाश के दिन ही उच्च न्यायालय के न्यायाधीश महोदय ने अपने घर पर सुनवाई करते हुए सुबह 11:00 बजे प्रशासन के द्वारा की जा रही कार्यवाही पर स्टे जारी कर दिया, उस जगह पर आज तक ना तो वूमंस हॉस्टल ही बन पाया और ना ही उसके लिए आवंटित राशि का कोई पता चल पाया जबकि उसके लिए आरइएस को निर्माण एजेंसी भी तय कर दिया गया था, इतना ही नहीं आज तक 13 वर्षों बाद तक उस भूमि का मालवा तक नहीं शासन नहीं हटा सकी है, इसी प्रकार बिल्डर के द्वारा निर्माण किये जा रहे शादी घर को भी वर्ष 2020 में तोड़ा जा रहा था जिसे दूसरे ही दिन उच्च न्यायालय के द्वारा स्टे दे दिया गया और साथ ही यह भी कहा गया कि बिल्डर के यहां तोड़फोड़ की कार्रवाई कानून की निगाह में गलत है, आज भी बिल्डर के पक्ष में शादी घर का स्टे प्रभावशील है, इसी प्रकार जेल की जमीन का एवं कॉलेज के सामने की बेशकीमती जमीन के अदला-बदली का मामला भी काफी सुर्खियां बटोरा, स्थानीय जनप्रतिनिधि कई दिनों तक भूख हड़ताल में धरना प्रदर्शन भी किये जिसका कोई असर नहीं हुआ और जेल की जमीन का अदला-बदली का मामला भी उच्च न्यायालय ने बिल्डर के पक्ष में दिया और कॉलेज के सामने की जमीन के अदला-बदली को निरस्त करके उसमें स्पोर्ट्स काम्प्लेक्स का निर्माण तत्कालीन कलेक्टर ने शुरू किया जो की 315 लाख रुपए की लागत से बन रहा था किंतु उस पर भी 2022 में बिल्डर संजय अग्रवाल के पक्ष में उच्च न्यायालय ने स्टे दे दिया जिसके बाद से वहां शासन के द्वारा कराये जाने वाला काम रुका हुआ है एवं वंहा का टेंडर भी निरस्त हो चुका है, इसी प्रकार वर्ष 2020 में बिल्डर संजय अग्रवाल को एक अन्य प्रकरण में जेल भेजा गया तब चेर स्थित शासकीय जमीन पर बनी उनकी बाउंड्री को ध्वस्त कर उसे नगरपालिका को आवंटित कर दिया गया, नगरपालिका ने तत्कालीन विधायक अंबिका सिंह से धूम-धड़ाके से वहां शादी घर के निर्माण के लिए भूमि पूजन करवाया और टेंडर कर वर्क आर्डर भी दे दिया गया लेकिन तब तक बिल्डर संजय अग्रवाल जेल के बाहर आ चुके थे, उसमे भी तुरंत ही उच्च न्यायालय का स्टे आ गया और नगर पालिका द्वारा शादी घर उस जगह पर बनाने की मंशा धरी की धरी रह गई, इसके बाद उसी जगह को पुलिस अधीक्षक कार्यालय के लिए आवंटित किया गया, बड़ी गर्म जोशी से इसका प्रचार प्रसार भी किया गया किंतु आवंटन होने के पांचवें दिन ही उच्च न्यायालय के द्वारा स्टे जारी होने से पुलिस विभाग के अपने मुखिया का कार्यालय वहां निर्माण करने की मंशा पूरी नहीं हो सकी, उसके बाद महाविद्यालय को आवंटित भूमि में पुलिस अधीक्षक कार्यालय निर्माण के लिए उसका भूमि पूजन किया गया है, जो कि सर्वथा अनुपयुक्त है, शिक्षा के विस्तार हेतु प्रस्तावित भूमि को पुलिस अधीक्षक कार्यालय निर्माण करने से स्थानीय जनमानस में विरोध के स्वर उठ रहे हैं जबकि पुलिस विभाग के पास अपनी ही पुलिस लाइन में पर्याप्त जगह है और साथ ही जहां वर्तमान में पुलिस अधीक्षक कार्यालय है उसके आसपास की सारी शासकीय जमीन खाली पड़ी हुई है जिस पर भी पुलिस अधीक्षक कार्यालय का निर्माण किया जा सकता है, पता नहीं क्यों शासन के द्वारा विवादित जमीन को ही आवंटित किया जाता है और टेंडर जारी किया बाद में कोर्ट से स्टे आ जाता है और शासन का करोड़ो रूपया बर्बाद होता है तथा स्थानीय लोगों को इसका लाभ भी नहीं मिल पाता है जो की प्रशासनिक अधिकारीयों एवं जनप्रतिनिधियों के गहन चिंता का विषय है की कोई भी कार्य दूरदर्शिता के साथ अविवादित जगह पर हो।
महाविद्यालय के छात्र-छात्राओं की स्वतंत्रता परिसर में पुलिस अधीक्षक कार्यालय बनने से होगी प्रभावितःएमसी हिमधर प्रभारी प्राचार्य
पूरे मामले में प्रभारी प्राचार्य शासकीय रामानुज प्रताप सिंहदेव महाविद्यालय बैकुंठपुर एम सी हिमधर का कहना है कि महाविद्यालय परिसर में पुलिस अधीक्षक कार्यालय बनाया जाना सही नहीं है,इस निर्णय से और इस निर्माण के बाद महाविद्यालय के छात्र छात्राओं की स्वतंत्रता बाधित होगी, स्वतंत्रता की बात सामने लाकर प्रभारी प्राचार्य ने एक गंभीर विषय सामने रख दिया है,प्रभारी प्राचार्य का कहना यह भी है कि उनके द्वारा जिला प्रशासन प्रमुख के समक्ष भी महाविद्यालय परिसर में पुलिस अधीक्षक कार्यालय न बनाए जाने की मांग रखी गई, महाविद्यालय में कमरों का अभाव और विभिन्न कक्षाओं के संचालन में वर्तमान में ही हो रही दिक्कत जो कमरों के अभाव के कारण हो रही है और भविष्य में विभिन्न अन्य संकायों के खुलने और कई स्नातकोत्तर कक्षाओं में वृद्धि के बाद और भी दिक्कतों की बात सामने रखी गई,जिस संबंध में उन्हें दो पालियों में कक्षाओं के संचालन की समझाइश दी गई। प्रभारी प्राचार्य के अनुसार वर्तमान में ही अब दो पालियों में कक्षाओं का संचालन करना होगा क्योंकि छात्र संख्या अधिक है और विभिन्न संकायों और स्नातकोत्तर कक्षाओं के अनुसार भवन का अभाव है। प्रभारी प्राचार्य की बात समझी जाए तो यह कहा जा सकता है कि महाविद्यालय के लिए वर्तमान में ही भवन का आभाव है और नए भवन की बात या भवन विस्तार की बात करने की बजाए प्रशासन दो पालियों में कक्षाओं के संचालन की बात कर विषय समाप्त करना चाहता है।
पूर्व छात्र संघ नेता आए सामने विरोध कर रहे दर्ज,क्या छात्र राजनीति पहले की तरह होती विरोध होता प्रबल
पूरे मामले में पूर्व छात्र संघ नेता सामने आए हैं, उनका जिला प्रशासन से अनुरोध है कि निर्णय पर पुनर्विचार की जरूरत है, एक पूर्व छात्रसंघ नेता ने बाकायदा सोशल मीडिया पोस्ट कर इसे भविष्य में महाविद्यालय के लिए अभिशाप तक बतलाया है,वैसे क्या पूर्व की तरह छात्र संघ की राजनीति होती तो क्या यह विरोध जबरदस्त तरीके से दर्ज होता और आंदोलन या अन्य तरीकों से इस निर्णय को अमान्य कराए जाने का प्रयास होता। पूर्व छात्र संघ नेता ने यह भी लिखा है अपने सोशल मीडिया पोस्ट में की 3200 छात्र छात्राएं वर्तमान में अध्ययनरत हैं महाविद्यालय में और भविष्य में कई संकायों की वृद्धि संभव है जिसमें विधि संकाय भी खुल सकता है ऐसे में इस तरह का निर्णय पुनर्विचार का विषय होना चाहिए जिला प्रशासन के लिए।
हाईटेक बनने जा रहे नए पुलिस अधीक्षक कार्यालय के भूमिपूजन के बाद व दैनिक घटती-घटना की खबर के बाद विरोध हुआ तेज
महाविद्यालय परिसर में नए पुलिस अधीक्षक कार्यालय के लिए भूमिपूजन के बाद और दैनिक घटती-घटना में इस आशय की खबर प्रकाशन के बाद की क्या महाविद्यालय परिसर में पुलिस अधीक्षक कार्यालय बनाया जाना उचित है जिला प्रशासन के उस निर्णय का विरोध शुरू हुआ है जिसमे जिला प्रशासन ने महाविद्यालय परिसर की भूमि को पुलिस विभाग को नए पुलिस अधीक्षक कार्यालय निर्माण के लिए प्रदान किया है। इस संबंध में खबर प्रकाशन का उद्देश्य यही था कि यह जल्दबाजी वाला निर्णय है जिसपर विचार पुनः आवश्यक है।