
पिछले 11 वर्षों में भारत की चौतरफा विकास की गति को पूरा विश्व अपनी आंखों से देख रहा है। अब भारत एशिया का बड़ी शक्ति केंद्र बनकर उभर रहा है। चीन के बाद भारत बहुत बड़ी सामरिक शक्ति भी बन चुका है। भारत ने अन्न तथा दवाइयां,मेडिकल इक्विपमेंट लोहे से बनी सामग्रियां एवं सामरिक महत्व के हवाई जहाज पानी के जहाज एवं अन्य आवश्यक अस्त्र-शस्त्र निर्माण करने में अग्रणी भूमिका का संचालन शुरू कर दिया है। अब भारत शस्त्रों का निर्यातक भी बन गया है। रूस यूक्रेन युद्ध के दौरान रुस से भारत ने कच्चा तेल आयात कर उसे भी परिष्कृत करने के बाद दूसरे देशों में बेचना शुरू कर दिया और यह बात अमेरिका के डोनाल्ड ट्रंप को नागवार गुजरी जिसके फलस्वरुप उसने 25 से लेकर 50 प्रतिशत तक आयात शुल्क लगाकर एक नया विवाद शुरू कर दिया है। जिससे भारत तथा अमेरिका के रिश्तो में अस्थाई रूप से खटास आ गई है। स्वतंत्रता की प्राप्ति के बाद अथक प्रयास करने के पश्चात आधुनिक भारत के स्वप्न दृष्टा प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू ने अपनी कार्यप्रणाली इसी सोच के साथ आगे बढ़ाई थी कि भारत अब एक समृद्ध, शक्तिशाली एवं आर्थिक रूप से संपन्न राष्ट्र के रूप में वैश्विक स्तर पर उभर कर आया है। इसी तारतम्य में 1952 से प्रारंभ की गई पंचवर्षीय योजनाओं के तहत कृषि, उद्योग, विज्ञान और स्वास्थ्य में वैज्ञानिक दृष्टिकोण तथा सोच को मूर्त रूप दिया गया था। समय समय मैं सरकारें बदलती रहे और भारत विकास की ओर धीरे-धीरे बढता रहा। आज वर्तमान में नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत में आर्थिक स्थिति में जबरदस्त विकास किया है, भारत विश्व में पांचवी आर्थिक स्थिति बन चुका है दूसरी तरफ विज्ञान तथा टेक्नोलॉजी में भी अहम स्थान रखता है। सामरिक तौर पर भी भारत की सेना अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपना विशेष स्थान रखती है ।अब पाकिस्तान या चीन की इतनी हिम्मत नहीं है कि वह सीधा भारत पर आक्रमण कर सकें। भारत ने विकास कर यह साबित कर दिया है भारत अब पुराना भारत नहीं रहा है और अब किसी भी विषम परिस्थिति मैं भारत सीना तान कर खड़ा हुआ है। मैं किसी पार्टी विशेष का पक्षधर नहीं हूं।जवाहरलाल नेहरू, इंदिरा गांधी,अटल बिहारी वाजपेई, डॉ मनमोहन सिंह और अब नरेंद्र मोदी जी ने भारत को वैश्विक पटल पर एक सम्मानजनक इस स्थिति में ला खड़ा किया हैद्य अटल बिहारी जी के नेतृत्व में हम परमाणु शक्ति संपन्न देश बने थे और इंदिरा गांधी जी के नेतृत्व में हमने 1971 में पाकिस्तान को बुरी तरह हराकर कर उसका विभाजन कर बांग्लादेश नामक नए देश का जन्म करवाया था। पर मैं यहां बात विकास के वास्तविक धरातल और देश में गरीबी तथा बेरोजगारी उन्मूलन की करना चाह रहा हूं. हमारा देश अभी भी गरीबी, बेरोजगारी,भुखमरी,असमानता, अंधविश्वास, आडंबर और धार्मिक कट्टरपंथ का सामना करते हुए उस गति से विकास नहीं कर पा रहा है जिसके लिए वह अत्यंत समर्थ है। आज भारत की धमक अमेरिका से लेकर जापान तथा अफ्रीकी देशों में भी है। भारत के प्रधानमंत्री मोदी जी का स्वागत अमेरिका फ्रांस ऑस्ट्रेलिया इंग्लैंड ब्राजील इजरायल और सऊदी अरेबिया देश के अनेक राज्यों के राष्ट्रीय प्रमुख हुक्मरानों ने दिल खोलकर किया है, नरेंद्र मोदी की वैश्विक हैसियत इसी बात से पता चलती है कि बाहुबली अमेरिका के राष्ट्रपति ने उनका ऑटोग्राफ लेने की गुजारिश की है और पापुआ न्यू गिनी के राष्ट्र प्रमुख ने उनके चरण छूकर उनका अभिवादन किया,यह संभवत चमत्कारिक प्रभाव भारत के शक्तिशाली होने एवं वैश्विक शांति के प्रति देश की प्रतिबद्धता के कारण ही हुआ है। पर दूसरी तरफ भारत की अंदरूनी स्थिति में भारत 141 करोड़ की जनसंख्या वाला देश हो गया है। विकास की कल्पना में भारत आर्थिक तौर पर एक आर्थिक महाशक्ति के रूप में स्थापित हो,इस स्थान पर गरीबी बेरोजगारी असमानता का उन्मूलन हो चुका हो। इसी तरह भारत कच्चे तेल के संकट से मुक्त होकर उर्जा संपन्न देश बने और भारतीय मुद्रा का चलन वैश्विक स्तर मैं सम्मान पूर्वक हो सके। सामाजिक स्तर पर विभिन्न लक्षित वर्गों जैसे दिव्यांग, वरिष्ठ नागरिक,आदिवासी, महिलाओं तथा बच्चों के लिए लाभकारी नीति बनाई जानी चाहिए। अभी महिलाओं की भागीदारी पुरुषों के के साथ सामाजिक तथा प्रशासनिक,वैज्ञानिक, चिकित्सकीय स्तर पर केवल कागजों में दिखाई देती है नारी प्रताड़ना का प्रतिशत अभी भी भारत में बहुत ज्यादा है। ग्रामीण क्षेत्र में बाल श्रम की स्थिति विकराल है अनाज का पर्याप्त भंडारण होने के बावजूद भूखमरी तथा बेरोजगारी भारत में सिर चढ़कर बोल रही है। इसी तरह भारत में सुरक्षा की दृष्टि से बहुत बड़ी बड़ी चुनौतियां हैं जैसे धार्मिक उन्माद,नक्सलवाद, चरमपंथी विचारधारा तथा विभिन्न राज्यों के आपसी विवादों से हमें मजबूती से निपटना होगा तब जाकर विकास की अवधारणा को मूर्त रूप दिया जा सकता है।
संजीव ठाकुर
रायपुर छत्तीसगढ़,