
धनहापुर नाम के एकठन कस्बा रहय।जिंहा सावन नाम के एक झन अड़बड़ अलबेला छोकरा रहय, अउ बरशा नाम के नटखट छोकरी रहय।ये दूनो झन के भेंट बरसाती भाई नाम के एकठन होटल मा होते।भेंट मुलाकात के बाद दूनो झिन अजनबी चाय पीयत रहय तब धोखा से बरशा के चाय हा सावन के ऊपर मा गिर जते।बरशा हा कहिते माफी देबे, धोखा से गिलास हा गिरगे। थोथना ला निहारे सावन हा मुस्कुरा के कहिते, कोनो बात नइ होवै,अउ तोर ये चाय के चिनहा सबर दिन मोला सुरता रही।चाय वाला दिन के बाद दूनो झिन एक दूसरा ला निहारना चालू कर देते।कभू बिहाने घुमइ, कभू पुस्तकालय मा पढ़ै ता कभू हाट बजार के बहाना एक दूसरा ला निहारत रहय। धीरे-धीरे दूनो मा एक दूसरे बर मया हो जते।
सावन अउ बरशा दूनो झिन मया के समुदर मा सुग्घर ढंग ले तौंरत रहय,इही बेरा मा एक दिन सावन के जिनगी मा पहाड़ टूट जते। सावन हा बीमार पर जते। सावन अउ बरशा के मिलना जुलना चालू रहय। एक दिन सावन हा बड़का अस्पताल मा जाके जांच करवाते ता पता चलते की सावन के पेट मा कैंसर हे। जांच के रिपोट ला देख के डाक्टर हा कहिते सावन तोर कैंसर हा तो आखिरी स्टेज मा पहुंच गे हे। तोर इलाज बहुत मुश्किल हे। डाक्टर के बात ला सुन सावन हा कलेचुप रहिते।
अब सावन हा अपन बीमारी ला जाने के अपन बरशा ले दुरियाए ला लागते। सावन के व्यवहार ला देख के बरशा हा समझ जते की कुछ तो बात हे, तेमा मोर संग मा निरमोही कस तंय हा व्यवहार करत हस।बरशा हा सावन ला अड़बड़ पूछे के कोशिश करते फेर सावन हा अपन बीमारी ला बताबे नइ करे।
सावन हा एक दिन बरशा ला बिना बताए धनहापुर शहर ला छोड़ देते।अपन गांव मा रहत रहत
सावन हा बरशा के नाम एकठन चिट्ठी लिखते की,अब मोर दुनिया ले अब जाए के दिन आगे मोला कैंसर हे बरशा। तोला मंय हा अपन मया के आखिरी संदेश देवत हो। बरशा मै तोला बहुत मया करतो, अउ मोर आखिरी इच्छा एकेठन रिहीश की मंय हा तोला हमेशा खुश देखना चाहतो। मंय हा तोर आंखी मा कभू आंसू नइ देख सको, तेकर सेति मंय हा तोला बिना बताए गांव आगेव।अउ जब तक मोर तन मा सांस चलहि तब तक मोर हर धड़कन तोरेच नाम के रही।बरशा हा चिट्ठी ला पढ़के अपन दिल मा चिट्ठी ला रखके कहिते सावन मंय तोर निश्छल मया ला जिनगी भर नइ भुलव। तोर मया हा मोर बर गंगा के पानी ले घलो बड़के पवित्र हे कहिके बरशा हा रोए ला लागते। बरशा हा कहिते सावन अउ बरशा के निश्छल मया हा जुग जुग मा अमर रही। सावन के बिना बरशा अउ बरशा के बिना सावन के मया कभू पूरा नइ होवै।
लक्ष्मीनारायण सेन
खुटेरी गरियाबंद (छ.ग.)