उर्दू का मशहूर शायर,गालिब आगरा का रहने वाला था! बाद में वह मुगल सल्तनत के आखिरी ताजदार बादशाह, बहादुर शाह जफर के दरबार की रौनक बढ़ाया करता था। गालिब को आम खाने तथा शराब पीने का बहुत शौक था। गालिब की लिखी हुई बहुत सारी गजलें हिंदुस्तान में ही नहीं बल्कि दुनिया के बहुत सारे देशों में शौक से पढी¸ जाती हैं। यूं तो गालिब बहुत समझदार इंसान था। लेकिन कभी उसने किसी संदर्भ में कहा था…ग़ालिब बहुत गहराई में मत जा, नहीं तो साले डूब जाएगा…कितनी समझदारी की बात कह गया यह इंसान! यहां बात सिर्फ हमारे द्वारा किसी नदी या तालाब पार करते समय गहराई से बचने तक सीमित नहीं है! इसका संबंध हमारे जीवन के दर्शनशास्त्र से भी जुड़ा हुआ है! हमारा जीवन हंसने, खेलने, आपसी संबंध सामान्य रखने तथा मौज मस्ती से गुजारने के लिए है। अगर हम हर बात गंभीरता या गहराई से सोचने लग जाएंगे तो हमारा तो दिमाग ही खराब हो जाएगा। हमारे जीवन में बहुत सारी बातें होती हैं। किस-किस बात के ऊपर आदमी गहराई से तथा गंभीरता से विचार करें। अगर हम किसी आदमी को शराब के ठेके पर ₹500 का नोट खुले करवाने के लिए जाते हुए देखते हैं और यह सोचते हैं कि यह आदमी तो शराब खरीदने के लिए गया है अर्थात यह शराबी है और वैसे अपने दैनिक जीवन में अपने आप को सीधा-साधा और शरीफ दिखाने का ढोंग करता है। इससे बच कर रहना चाहिए,इसका स्वास्थ्य शराब पीने से खराब हो जाएगा, ज्यादा शराब पीने के कारण यह मर जाएगा, इसका घर उजड़ जाएगा,इसके बच्चे लावारिस होकर आवारा बन जाएंगे और अपराध की दुनिया में चले जाएंगे आदि आदि…अगर हम यह सारी बातें सोचते रहे तो हमारा तो दिमाग ही खराब हो जाएगा! इन सब बातों को बहुत ही हल्के से लेते हुए गालिब ने तभी तो कहा था…गालिब! बहुत गहराई में मत जा,नहीं तो साले डूब जाएगा…! इसी तरह अगर कोई हमारा मित्र प्यारा किसी कारणवश हमसे बहुत देर तक बातचीत नहीं कर पाता और ना ही मोबाइल पर संपर्क हो पाता है तो इससे और हमारे मन में उथल-पुथल मच जाए और हम उलूल जलूल बातें सोचने लग जाएं, हमारे मन में क्रोध,निराशा या उसकी हमारे प्रति अनदेखी को बुरे बुरे विचारों की दृष्टि से देखने लगे,उसके लिए किए गए अनेक प्रकार के उपयोगी कामों को ध्यान में रखकर नाराजगी महसूस करने लगे तो यह हमारी तरफ से अनावश्यक अति होगी। हो सकता है कि वह किसी मुसीबत में फंसा हुआ हो या उसकी कोई और मजबूरी हो, वह खुद बीमार हो या उसके घर में कोई और गंभीर रूप से बीमार हो और वह हमें संपर्क ना कर सकता हो तो हमें वास्तविक स्थिति जाने बिना उसके खिलाफ निष्कर्ष नहीं निकाल लेना चाहिए। ऐसी स्थिति में कोई गलत निष्कर्ष निकाले बिना हमें उससे संपर्क स्थापित करना चाहिए और अगर वह किसी मुसीबत में है तो उसकी सहायता करनी चाहिए और अगर उसके घर में सब कुछ कुशल मंगल है तो उसको अपनी शुभकामनाएं देनी चाहिए तभी ही तो गालिब ने कहा था…ग़ालिब बहुत गहराई में मत जा, नहीं तो साले डूब जाएगा… ।
हमारे में से कई लोग सारी उम्र कोई काम करने के बारे में कोई निर्णय ही नहीं ले पाते। सारी उम्र घर वालों की छाती पर मूंग दलते रहते हैं। सारी उम्र कोई काम इसलिए नहीं कर पाते.. नौकरी मिलती नहीं क्योंकि बहुत पढ़े लिखे नहीं हैं और अगर मिलती है तो कोई सिफारिश नहीं या फिर देने के लिए रिश्वत नहीं या फिर सोचते हैं कि अगर नौकरी के लिए किसी को रिश्वत दी,नौकरी भी नहीं मिली और रिश्वत के पैसे भी वापिस नहीं मिले।तो क्या होगा। अगर कोई काम धंधा शुरू करने के बारे में सोचते हैं तो उसके लिए ना आवश्यक पूंजी है और ना ही आवश्यक अनुभव और काम धंधे में घाटा होने का डर उन्हें काम धंधा शुरू करने से हतोत्साहित करता है। इसी तरह वह और कामों के बारे में भी सोचते रहते हैं लेकिन कभी कोई काम शुरू नहीं कर पाते। इसी तरह जिंदगी का बहुमूल्य सुनहरी समय बीत जाता है जबकि वह कोई काम शुरू कर सकते थे! क्योंकि हर काम को शुरू करने से पहले वह हानिकारक प्रभावों के बारे में सोचते थे इसलिए कुछ नहीं कर सके! तभी तो गालिब ने कहा था…ग़ालिब बहुत गहराई में मत जा, नहीं तो साले डूब जाएगा!
अगर जिंदगी हंसते,खेलते,मौज मस्ती तथा बेफिक्री से जीना चाहते हो तो अपने काम से काम रखो,तांकझांक की गलत आदत छोड़ो,दूसरों के मामले के बारे में जानना और उन में टांग अड़ाना बंद करो,हर जगह हर मामले में चौधरी बनने की आदत छोड़ो। किसी को किसी मामले में सलाह मत दो। सबने अपने हिसाब से निर्णय लेना तथा काम करना होता है। अगर दूसरा आदमी आपकी सलाह के मुताबिक चले और समस्या हल हो जाए, वह आपको श्रेय देने के बदले में अपनी समझदारी और सूझबूझ को ही इसका कारण मानेगा और अगर आपकी सलाह पर चलने से उसका काम बिगड़ जाता है तो आपको बुरा भला कहेगा, दूसरों के सामने आपकी बदनामी करेगा! बाहर की तो बात छोड़ो,आजकल तो आप अपने घर के बच्चों के मामले में भी हस्तक्षेप नहीं कर सकते,आपका काम केवल उनके प्रति अपनी जिम्मेदारी पूरी करने तक ही सीमित है! उसके कर्मों का फल वही भोगेगा। आजकल के बच्चे अपने बाप के भी बाप हैं। उनको उनके हाल पर छोड़ दो। तभी ही तो मैं बार-बार यही बात कहता हूं…गालिब! बहुत गहराई में मत जा,नहीं तो साले डूब जाएगा…!
पहले जमाने में अगर सड़क पर दो आदमीगुत्थमगुत्था होकर लड़ रहे होते थे तो लोग बीच-बचाव करके उन्हें छुड़वाकर मामला शांत कर देते थे लेकिन आजकल आपस में लड़ने वाले फ ाईट टू द फिनिश अर्थात दूसरे को छोडूंगा नहीं…इस हिसाब से लड़ते हैंद्य लड़ने वाले लोगों को कोई छुड़वाता नहीं बल्कि उनके चारों तरफ भीड़ बनाकर उनका तमाशा देखते हैं। एक बार दो आदमी आपस में खतरनाक तरीके से झगड़ रहे थे। एक आदमी दूसरे को कह रहा था…. मैं तुम्हारे 36 दांत तोड़ दूंगा…जब एक आदमी ने उन्हें छुड़वाने की कोशिश करते हुए उसे कहा…दांत तो 32 होते हैं आप इसके 36 दांत कैसे तोड़ोगे…इस पर पहले आदमी ने कहा…मुझे पता था कि तुम हमारी लड़ाई के बीच में आओगे इसलिए चार दांत तुम्हारे भी तोड़ दूंगा…और लो पंगा किसी के झगड़े में बीच बचाव करने का! आप किसी विवाह शादी में जाओ! बारातियों में से कुछ लोग खाना खा रहे होते हैं और कुछ लोग शराब भी पी रहे होते हैं। अगर आप किसी शराबी को शराब पीने के नुकसान बताने की कोशिश करोगे,वो झगड़ पड़ेगा और हो सकता है कि वह यह भी कह दे कि…तेरी अपनी तो कोई औकात नही…तुम कौन होते हो हमें उपदेश देने वाले! बड़े धर्मात्मा बने फिरते हो! मैंने यह उदाहरण सिर्फ और सिर्फ इसलिए दिया है ताकि आप किसी के मामले की गहराई तक मत जाओ और फिजूल की माथापच्ची मत करो। मामला उलटा भी पड़¸ सकता है। आप कहीं जा रहे हो,दंगा झगड़ा फसाद हो रहा है,देखो सुनो और आगे चलो। बारात में जाना है,खाओ पियो,मौज उड़ाओ,किसी को कुछ मत कहो। अगर मेरी इन बातों पर अमल करोगे तो सुखी रहोगे, इज्जत बनी रहेगी, चैन की बांसुरी बजाओगे। इसी किस्म की बातों को ध्यान में रखकर गालिब ने कहा है…गालिब बहुत गहराई में मत जा नहीं तो साले डूब जाएगा! भाई! हम क्यों डूबें?
प्रोफेसर शाम लाल कौशल
रोहतक-124001( हरियाणा)